Posts tagged deuteronomy
पाठ 170 : मिद्यानियों का कठिन तरीकों से सीखना

इस्राएलियों के कनान देश में स्थानांतरित करने का समय नज़दीक आ गया था। अभी भी उन्हें कुछ अधूरे काम करने बाकि थे जिस समय वे मोआब के मैदानों पर डेरा लगाये हुए थे। बिलाम जो एक नबी था, उसने इस्राएल के पुरुषों को विचलित करने के लिए मिद्यानी महिलाओं को आश्वस्त किया था।

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पाठ 173 : # 2 मोआब के मैदानों में - युद्धक्षेत्र पर यहोवा की वफ़ादारी को याद करना

मूसा परमेश्वर के लोगों के दिलों के डर को जानता था। वादे के देश में प्रवेश करना एक बड़ी चुनौती थी। यह डरावना था! लेकिन परमेश्वर अपने लोगों को वफ़ादारी से यहां तक ले आया था। चार सौ साल पहले, उसने इब्राहीम से एक वादा किया था।

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पाठ 179 : # 8 आज्ञा 3

पहली दो आज्ञाओं ने सिखाया की किस प्रकार उन्हें अपने धर्म और विश्वास के बारे में सोचना है। वे यहोवा के आगे और किसी अन्य देवता किपूजा नहीं कर सकते थे। वे किसी भी मूर्ती किपूजा नहीं कर सकते थे।

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पाठ 180 : # 9 चौथी आज्ञा

इस्राएली हिब्रू की भाषा बोलते थे। हिब्रू में, "सब्त" "आराम करना" या "रोकना" होता है। इसे "जश्न मनाना" भी कहते हैं।

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पाठ 181 : #10 मूसा का चौथी आज्ञा की अतिरिक्त टिप्पणियाँ

जब परमेश्वर ने हर सप्ताह के सातवें दिन सब्त के दिन को मनाने की आज्ञा दी, उसने कहा की वह चाहता था की उसके लोग इसका सम्मान करके उसके प्रति अपनी वफ़ादारी को दिखाएँ।

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पाठ 182 : # 11 चौथी आज्ञा: पर्व

इस्राएल के लोगों को यहोवा को सप्ताह का एक दिन देना होता था। यह उनके लिए सब्त का दिन था। साल में एक बार उन्हें यहोवा की उपस्थिति के लिए अपने सभी फसलों और पशुओं के दसवें हिस्से को लाना होता था।

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पाठ 184: सप्ताह के पर्व और मंदिर का पर्व

एक वर्ष में तीन बार, इस्राएल के परिवारों को उस महान राष्ट्रीय पर्व के लिए अपने घरों और खेतों से मंदिर के लिए यात्रा करनी होती थी। पहला पर्व फसह का पर्व था।

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पाठ 187: भविष्यवक्ताओं का सम्मान

परमेश्वर ने इस्राएल को चुने हुए अगुवे दिए थे। वे लेवी कहलाते थे। इस्राएल के बारह गोत्रा थे। इब्राहीम का पुत्र इसहाक, इसहाक का पुत्र याकूब था जिसके बारह बेटे थे। प्रत्येक पुत्र एक गोत्र का प्रमुख था।

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पाठ 188: छठी आज्ञा-जीवन का सम्मान

मूसा जब अपने लोगों से बात कर रहा था, वह सभी मानव जीवन के मूल्य के बारे में उनसे बात कर रहा था। छठी आज्ञा यह है:

"तुम्हें किसी व्यक्ति की हत्या नहीं करनी चाहिए”

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पाठ 189: छठी आज्ञा-युद्ध के दौरान जीवन का सम्मान

छठे आज्ञा में, यहोवा ने लोगों को हत्या ना करने कि आज्ञा दी। जब एक व्यक्ति किसी दूसरे की जान लेता है तो वह हत्या कहलाता है। यदि इस्राएली किसी को बिना उद्देश्य मारते हैं, तो फिर कैसे वे युद्ध में जा सकते थे? वादे के देश में जाकर कैसे वे कनानियों के विरुद्ध युद्ध करेंगे?

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पाठ 190: छठी आज्ञा-जीवन का सम्मान

एक इस्राएल के जीवन का सम्मान तब तक महत्वपूर्ण नहीं था जब तक वह जीवित रहता है। वह उनके मरने के बाद भी महत्वपूर्ण था! यदि एक व्यक्ति मृत पाया गया है, और यह स्पष्ट होता है की उसकी हत्या की गई है, तो यह एक भयानक बात थी। यदि इसका कोई न्याय नहीं किया जाता है तो यह उनके लिए अनादर की बात होती, लेकिन कभी कभी एक हत्या का समाधान करना असंभव होता है।

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पाठ 191: सातवीं आज्ञा-विवाह का सम्मान

सातवीं आज्ञा दिखाती है कि परमेश्वर के लिए विवाह कितना महत्वपूर्ण है। यह बहुत ही सरल है:

"तुम्हें व्यभिचार नहीं करना चाहिए”

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पाठ 192: आठवीं आज्ञा-संपत्ति का सम्मान

यहोवा ने अपने लोगों को एक-दूसरे के बीच नैतिक पवित्रता को सिखाने के लिए सांतवी आज्ञा दी। उन्हें अपने कौमार्य की रक्षा विवाह होने तक अपने दिल और दिमाग और शरीर को पवित्र और निर्मल रखना था। आठवीं आज्ञा में, परमेश्वर ने अपने लोगों को एक दूसरे के लिए एक सुरक्षा के रूप में एक मज़बूत, स्वस्थ सीमा दी। यह नियम इस्राएलियों को सिखा रहा था की उन्हें एक दूसरे कि संपत्ति के प्रति कैसा व्यव्हार करना है।

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पाठ 194: आशीर्वाद और शाप

मूसा जब लोगों से निवेदन कर रहा था कि वे परमेश्वर से प्रेम करें और उसकी आज्ञाओं का पालन करें, उसने उन्हें उनकी भक्ति दिखाने के विशेष तरीके बताये। उसने उन्हें पत्थर ले कर और उसे प्लास्टर करने को कहा।

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पाठ 195: पलायन का विपर्यय - रोग, विनाश, निर्वासन ... दास होने के लिए भी योग्य नहीं

इस्राएल का राष्ट्र फिर से इकट्ठा हुआ। हज़ारों लोगों कि कल्पना कीजिये कि किस प्रकार वे अपने महान अगुवे को खड़े सुन रहे थे। पति, पत्नी, बच्चे, और वे सभी विदेशी जो उनके बीच में रहते थे। मूसा उन्हें वाचा के नियम सुनाता रहा। उसने उन्हें दस आज्ञाओं को याद दिलाया और फिर प्रत्येक आज्ञा का पालन करने के कई तरीके सिखाये।

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पाठ 197: यहोवा की यथार्थवादी आवश्यकताएं - सृष्टि द्वारा गवाही देना

परमेश्वर वास्तव में अपने लोगों के पूरे दिल और जान को चाहता था। वह उनकी पूरी भक्ति को चाहता था, और वह उनकी इच्छाओं और आशाओं को पूरी तरह से अपने ऊपर लेना चाहता था। और कमाल की बात यह है कि यह संभव हो सकता था। उनका अच्छा और पवित्र परमेश्वर उनसे कोई असंभव चीज़ की मांग नहीं करेगा।

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पाठ 198: मशाल को पार करना - मूसा से यहोशू को

यहोवा ने, जो इस्राएल का परमेश्वर है, मिस्र से उन सब लोगों को ग़ुलामी से बचाया जिनके साथ उसने सबसे पहले अपनी वाचा को बनाया था। अड़तीस साल बाद, मूसा ने मोआब के मैदानों पर इस्त्राएलियों की अगली पीढ़ी के साथ बात की। पूरा देश यरदन नदी के पास डेरा लगाया हुआ था। दूसरी तरफ वो देश था

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पाठ 199: पवित्र स्मरण का एक गीत

यहोवा ने मूसा से कहा,“'अब तुम्हारे मरने का समय निकट है। यहोशू को लो और मिलापवाले तम्बू में जाओ। मैं यहोशू को बताऊँगा कि वह क्या करे।'”

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पाठ 200: मूसा देश में प्रवेश नहीं करेगा

जिस दिन परमेश्वर ने मूसा को भविष्य के बारे में इस्राएल के लोगों के लिए गीत को दिया, उसने भविष्य के बारे में मूसा को निर्देश दिए। मूसा अबारीम पर्वत से नबो पर्वत पर गया। वहाँ से, वह कनान देश को और उसकी महिमा को देख पाएगा। मोआब में उस पर्वत से, मूसा पश्चिम की ओर यरदन घाटी में देख पाएगा।

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