पाठ 194: आशीर्वाद और शाप
मूसा जब लोगों से निवेदन कर रहा था कि वे परमेश्वर से प्रेम करें और उसकी आज्ञाओं का पालन करें, उसने उन्हें उनकी भक्ति दिखाने के विशेष तरीके बताये। उसने उन्हें पत्थर ले कर और उसे प्लास्टर करने को कहा। फिर उन्हें वाचा और दस आज्ञाओं को उन पत्थरों पर स्मरण रखने के लिए लिखने को कहा। एक बार वे यरदन पार कर के वादे के देश में पार कर लेते हैं, उन्हें एबाल पर्वत पर यहोवा के लिये एक वेदी बनाने के लिए पत्थर का उपयोग करना था। एक बार जब लोग देश पार कर के उन देशों को जीत लेते हैं, उन्हें इस पर्वत पर जा कर उन पत्थरों से वेदी बनानी थी। उनके पास मेलबलि चढ़ाने का और परमेश्वर कि प्रशंसा करने का समय होगा।
आधी जनजातियां एबाल कि ढलानों पर खड़े होकर शाप का उच्चारण करेंगी। अन्य आधे लोग गिरिज्जीम पर्वत के सामने खड़े होकर आशीर्वाद का उच्चारण करेंगे। यह उत्सव मनाने का बड़ा दिन था और उन आज्ञाओं का पालन करने कि महान शक्ति थी। इससे परमेश्वर कि आशीषों और शाप प्रभावित हुईं। (मूसा के आदेशों का पालन करना और एबाल पर्वत पर चढ़ाई के विषय में यहोशू 8:30-35 में पढ़ सकते हैं।
परमेश्वर कि आँखें सब देखती हैं, और वह हर समय हर व्यक्ति के कामों को देखता रहता है। ना केवल हर व्यक्ति के कामों को वह जानता है, वह उनके विचारों को भी जानता है। वह उनके दिलों को भी समझता है!
तब मूसा ने कल्पना की, कि लोग उन पहाड़ों पर चढ़ेंगे और यह घोषित करेंगे कि परमेश्वर कि दृष्टी से कुछ भी नहीं छुपा है। जो सूची लेवियों को लोगों के सामने सुनानी थी वे उन गुप्त पापों के विषय में थीं। वे वो बातें हैं जिन्हें मनुष्य समझता था की कोई नहीं देखता है और वे उन से बच सकते थे। लेकिन परमेश्वर जानता है, और वह गुप्त दुष्टता में रहने वालों को अभिशाप देगा। मूसा ने नियमों के विरुद्ध गुप्त अवज्ञा के लिए लोगों को यहोवा के साथ पवित्र शपथ लेने के लिए उन्हें तैयार किया। मूसा ने लेवियों को उन पापों के नाम बताये:
"'वह व्यक्ति अभिशप्त है जो असत्य देवता बनाता है और उसे अपने गुप्त स्थान में रखता है। यहोवा उन चीजों से घृणा करता है!’
तब सभी लोग उत्तर देंगे, ‘आमीन!’
वह व्यक्ति अभिशप्त है जो ऐसा कार्य करता है जिससे पता चलता है कि वह अपने माता—पिता का अपमान करता है!’
तब सभी लोग उत्तर देंगे, ‘आमीन!’
वह व्यक्ति अभिशप्त है जो अपने पड़ोसी के सीमा चिन्ह को हटाता है!’
तब सभी लोग कहेंगे, ‘आमीन!’"
मूसा लगातार गुप्त पापों के विरुद्ध उन शाप कि घोषणा करता रहा। उसने उस व्यक्ति को शाप दिया जो एक अंधे व्यक्ति को भटकाता है, और विदेशी, अनाथ और विधवाओं का न्याय नहीं करता, उसने उस व्यक्ति को शाप दिया जो अन्य स्त्री के साथ सम्बन्ध बनाता है, उसने उस व्यक्ति को शाप दिया जो किसी मासूम की हत्या गुप्त में करता है, और उस व्यक्ति को भी शाप देता है जो परमेश्वर के नियमों का पालन नहीं करता है। और इन प्रत्येक शाप के बीच, इस्राएल के लोगों को परमेश्वर के शब्द के साथ समझौते की विजय को घोषित करना था। आमीन!
फिर भी मूसा जानता था कि इस्राएली कई गुप्त पापों को कर रहे थे। वे अपने पाप में खुश थे, और वे पश्चाताप नहीं कर रहे थे! वे उनसे बच कर निकलने में खुश थे। मूसा ने कहा की चाहे सभी इस्राएलियों ने इन पापों के विरुद्ध शपथ ले ली है, उनमें से कुछ कहेंगे, "'चाहे मैं अपने रास्ते पर चलता रहूँ, मैं सुरक्षित रहूंगा।'" लेकिन मूसा कहता रहा कि परमेश्वर देखेगा। परमेश्वर उसे कभी माफ नहीं करेगा; उसका क्रोध और उत्साह उस व्यक्ति के विरुद्ध जलता रहेगा। इस पुस्तक में लिखे सभी शाप उस पर गिरेंगे, और यहोवा उसके नाम को आसमान के नीचे से मिटा देगा। परमेश्वर उसे इस्राएल के सभी जनजातियों में से, नियमों कि किताब से, अलग कर देगा। वाह।
मूसा ने एबाल पर्वत और गिरिज्जीम पर्वत कि ढलानों पर उस महान दिन के लिए मोआब के मैदानों पर इस्राएलियों के दिलों को तैयार किया। लेकिन वह दिन शाप के साथ समाप्त नहीं होने जा रहा था। वह आशीर्वाद भी थे! यदि यहोवा के चुने हुए लोग बिना किसी गुप्त पाप के पूरी तरह से उसके आदेशों का पालन करते थे, तो वह उन्हें बहुतायत से आशीषें देगा। उन्हें अन्य सभी देशों के ऊपर उच्च स्थापित किया जाएगा। जो इस्राएली शहरों में रहते हैं और जो ग्रामीण इलाकों में रहते हैं, वे सब परमेश्वर की महान शांति और जीवन में बहुतायत की आशीषों का अनुभव करेंगे। उनके परिवार स्वस्थ बच्चों के साथ आशीषित किये जाएंगे। परमेश्वर मौसम को बदलकर बारिश देगा। उनके खेतों में बहुतायत से गेहूं और जौ होगा, उनके फलों के और जैतून के पेड़ बहुतायत से फलेंगे। उनके पशु स्वस्थ और ताकतवर होंगे। उनके बहुत से बच्चे होंगे। इस्राएल के लोगों के पास खाने के लिए मांस होगा, कपड़े बनाने के लिए ऊन और जूते बनाने के लिए चमड़ा होगा। उनका परमेश्वर उन्हें हर पल आशीषें देगा। यहोवा कि आशीषें उन पर हर समय होंगी। ये सब कितना अद्भुत लगता है। यह उस समय की तरह लगता है जब आदम और हव्वा अदन कि वाटिका में थे। परमेश्वर से प्रेम करना और उसके नियमों का पालन करना परमेश्वर के विरुद्ध मानवता के विद्रोह को उल्टा करने का एक रास्ता था। इस्राएल को परमेश्वर कि सुंदरता और शांति को दिखाने के लिए अलग किया गया था। वे शाप को दूर नहीं कर सकते थे और वे मौत को नष्ट नहीं कर सकते थे, लेकिन वे उस तस्वीर को दिखा सकते थे जो पाप आने के कारण हुआ था। वे देशों को वो तस्वीर दिखा सकते थे जो परमेश्वर से प्रेम करने वालों को बहाल करके दिखाता है।
सभी देश यह देखेंगे कि किस प्रकार इस्राएल को एक विशेष रूप से चुना गया था, और वे समझेंगे कि किस प्रकार वह उनसे प्रेम करता था। वे इस्राएल से डरेंगे और उसके लोगों को उच्चतम सम्मान देंगे। लेकिन ये सब आशीर्वाद लोगों कि वफ़ादारी पर निर्भर करता था।
मूसा जब राष्ट्र को उपदेश दे रहा था, उसने उन्हें वाचा का सम्मान करने के लिए एक और मौका दिया। उसने लेवीय याजकों को आज्ञा दी कि वे लोगों को पवित्रता का जीवन जीने के लिए उन्हें चुनौती दें। मानव हृदय बहुत पापी है।
उसे परमेश्वर के करीब रहने के लिए एक लगातार मदद और अनुस्मारक कि ज़रूरत है। मूसा ने अपने शब्दों और अपनी योजनाओं से लोगों को दिखाया की परमेश्वर के वचन को जानना कितना महत्वपूर्ण था और एक दूसरे को बार बार याद दिलाते रहें।