पाठ 198: मशाल को पार करना - मूसा से यहोशू को
यहोवा ने, जो इस्राएल का परमेश्वर है, मिस्र से उन सब लोगों को ग़ुलामी से बचाया जिनके साथ उसने सबसे पहले अपनी वाचा को बनाया था। अड़तीस साल बाद, मूसा ने मोआब के मैदानों पर इस्त्राएलियों की अगली पीढ़ी के साथ बात की। पूरा देश यरदन नदी के पास डेरा लगाया हुआ था। दूसरी तरफ वो देश था जिसे यहोवा ने उन्हें जीतने के लिए उन्हें भेजा था। वे दूर से ही यरीहो की दीवारों को देख सकते थे। जब मूसा बात कर रहा था, उसने परमेश्वर के साथ अपनी वाचा को नवीनीकृत करने के लिए बुलाया। यह वाचा उस शक्तिशाली प्रेम को चाहती थी, जो उन्हें अपने पूरे दिल और आत्मा और सामर्थ से करना था।
जब उसने समाप्त किया, मूसा जानता था की उसे इस देश के लिए परमेश्वर पर भरोसा करना होगा। वह अपने लोगों के साथ वादा के देश में प्रवेश नहीं कर सकेगा। परमेश्वर इसकी अनुमति नहीं देगा। तो वह फिर से लोगों के सामने गया, लेकिन इस बार उन्हें परमेश्वर की ओर खींचने के लिए नहीं था। यह उन्हें उसे छोड़ने के लिए मदद करने के लिए था। मूसा को अपने वफ़ादार यहोशू पर नेतृत्व को पारित करना था। उसने कहा:
"'अब मैं एक सौ बीस वर्ष का हूँ। मैं अब आगे तुम्हारा नेतृत्व नहीं कर सकता। यहोवा ने मुझसे कहा है: ‘तुम यरदन नदी के पार नहीं जाओगे।’ यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे आगे चलेगा! वह इन राष्ट्रों को तुम्हारे लिए नष्ट करेगा। तुम उनका देश उससे छीन लोगे। यहोशू उस पार तुम लोगों के आगे चलेगा। योहवा ने यह कहा है। “यहोवा इन राष्ट्रों के लोगों के साथ वही करेगा जो उसने एमोरियों के राजाओं सीहोन और ओग के साथ किया। उन राजाओं के देश के साथ उसने जो किया वही यहाँ करेगा। यहोवा ने उनके प्रदेशों को नष्ट किया! और यहोवा तुम्हें उन राष्ट्रों को पराजित करने देगा और तुम उनके साथ वह सब करोगे जिसे करने के लिये मैंने कहा है। दृढ़ और साहसी बनो। इन राष्ट्रों से डरो नहीं। क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे साथ जा रहा है। वह तुम्हें न छोड़ेगा और न त्यागेगा।”
तब मूसा ने यहोशू को बुलाया। जिस समय मूसा यहोशू से बातें कर रहा था उस समय इस्राएल के सभी लोग देख रहे थे। जब मूसा ने यहोशू से कहा, “दृढ़ और साहसी बनो। तुम इन लोगों को उस देश में ले जाओगे जिसे यहोवा ने इनके पूर्वजों को देने का वचन दिया था। तुम इस्राएल के लोगों की सहायता उस देश को लेने और अपना बनाने में करोगे। यहोवा आगे चलेगा। वह स्वयं तुम्हारे साथ है। वह तुम्हें न सहायता देना बन्द करेगा, न ही तुम्हें छोड़ेगा। तुम न ही भयभीत न ही चिंतित हो!'”
आपको क्यों लगता है की मूसा उन्हें डरने के लिए नहीं कह रहा था? खैर, युद्ध एक डरावनी बात है! वादा के देश में छह देश थे। इस्राएल को उन सब को जीतना था। जब इस्राएल का विशाल डेरा उस भूमि के किनारे पर ठहरा हुआ था, आगे के कार्य के विषय में सोच कर वे आसानी से डर सकते थे। वे लोग जानते थे की लड़ाई के लिए वे तलवार लेंगे और युद्ध में जाएंगे। महिलाएं और बच्चे जानते थे की उनके पति और बेटे और पिता और भाई एक गंभीर खतरे में जा रहे थे। लेकिन उनका परमेश्वर यहोवा उन्हें इस कार्य के लिए बुला रहा था, और वह उन्हें सामना करने कि साहस देगा।
मूसा चाहता था कि इस्राएल के लोग उन नियमों के साथ वादे के देश में प्रवेश करें। वह चाहता था की वे अपनी अच्छाइयों और पवित्रता के द्वारा दूसरे देशों में परमेश्वर की महिमा को चमकाएं। सो उसने नियमों को लिखा और याजकों को दिया। वे लेवी के पुत्र थे, और उनमें वाचा का सन्दूक ले जाने का अद्भुत सम्मान था। सन्दूक का ढकना दया का सिंघासन था, और यहोवा की उपस्थिति इस पृथ्वी पर उस में एक विशेष, शक्तिशाली रूप से उपस्थित थी। दस आज्ञाओं की दो तालिकाएं उसके अंदर पहले से मौजूद थीं। मूसा ने इस दिन पर लेवीय याजकों को जो वाचा कि पुस्तक दी थी, वह हर समय परम पवित्र स्थान में सन्दूक के बगल में रखी जानी थी। वाह। तब मूसा ने उन से कहा:
"'हर एक सात वर्ष बाद, स्वतन्त्रता के वर्ष में डेरों के पर्व में इन नियमों को पढ़ो। उस समय इस्राएल के सभी लोग यहोवा, अपने परमेश्वर से मिलने के लिए उस विशेष स्थान पर आएंगे जिसे वे चुनेंगे। तब तुम लोगों में इन नियमों को ऐसे पढ़ना जिससे वे इसे सुन सकें। सभी लोगों, पुरुषों, स्त्री, छोटे बच्चों और अपने नगरों में रहने वाले सभी विदेशियों को इकट्ठा करो। वे नियम को सुनेंगे, और वे यहोवा तुम्हारे परमेश्वर का आदर करना सीखेंगे और वे इस नियम व आदेशों के पालन में सावधान रहेंगे और तब उनके वंशज जो नियम नहीं जानते, इसे सुनेंगे और वे यहोवा तुम्हारे परमेश्वर का सम्मान करना सीखेंगे। वे तब तक सम्मान करेंगे जब तक तुम उस देश में रहोगे जिसे तुम यरदन नदी के उस पार लेने के लिये तैयार हो।'”
नियम केवल मैदान पर मूसा के सुनने वालों के हृदयों को गहराई से चुबने के लिए नहीं थे। उन्हें भविष्य में इस्राएल के देश से गुज़रना था और प्रत्येक इस्राएली के हृदय की गहराई में जाना था और हर पीढ़ी को परिवर्तित करना था!