पाठ 192: आठवीं आज्ञा-संपत्ति का सम्मान
यहोवा ने अपने लोगों को एक-दूसरे के बीच नैतिक पवित्रता को सिखाने के लिए सांतवी आज्ञा दी। उन्हें अपने कौमार्य की रक्षा विवाह होने तक अपने दिल और दिमाग और शरीर को पवित्र और निर्मल रखना था। आठवीं आज्ञा में, परमेश्वर ने अपने लोगों को एक दूसरे के लिए एक सुरक्षा के रूप में एक मज़बूत, स्वस्थ सीमा दी। यह नियम इस्राएलियों को सिखा रहा था की उन्हें एक दूसरे कि संपत्ति के प्रति कैसा व्यव्हार करना है। वह कहता है:
"तुम्हें चोरी नहीं करनी चाहिए"
चोरी वह होती है जब किसी दूसरे की चीज़ को इस प्रकार ले लेना जैसे की वह हमारी अपनी हो। इसका मतलबा होता है की आप उसे वापस नहीं देंगे। परमेश्वर चाहता था कि उसके लोग प्रत्येक परिवार की उन चीजों के प्रति सम्मान दिखाएँ जिन्हें परमेश्वर ने उन्हें प्रदान की थीं। परन्तु क्या अगर एक गुलाम किसी अन्य राष्ट्र से बच कर आपके घर आ गया हो? एक गुलाम एक विदेशी के द्वारा अपनाया गया था, तो क्या उसे इस्राएल में रखना चोरी है? परमेश्वर ने ऐसा कहा;
"यदि कोई दास अपने मालिक के यहाँ से भागकर तुम्हारे पास आता है तो तुम्हें उस दास को उसके मालिक को नहीं लौटाना चाहिए। यह दास तुम्हारे साथ जहाँ चाहे वहाँ रह सकता है। वह जिस भी नगर को चुने उसमें रह सकता है। तुम्हें उसे परेशान नहीं करना चाहिए।"
कभी-कभी लोग एक दूसरे कि मदद करने के लिए उन्हें उधार देते हैं। यह पैसे या भोजन या कपड़े हो सकते हैं। इस्राएल में जानवर दिए जाते थे। उधार का मतलब था कि एक व्यक्ति दूसरे को यह केवल थोड़ी देर के लिए दे रहा था, और उसके बाद उस व्यक्ति को उसी मूल्य में वापस देना होगा। यदि एक इस्राएली अपने पड़ोसी को दस शेकेल उधार देता है, तो वे तय करते हैं की पड़ोसी दस शेकेल उन्हें वापस कब देगा। यह एक दूसरे कि मदद करने का एक बहुत अच्छा तरीका था। लेकिन कभी कभी जब लोग उधार देते हैं, तो वे उस सौदे में ब्याज जोड़ देते हैं। जो व्यक्ति उधार देता है वह अपने पड़ोसी से कहता है कि जब वह उसे उधार देगा, तो उसे अधिक पैसे से उसका भुगतान करना होगा। सो यदि किसी ने अपने पड़ोसी को दस शेकेल उधार दिया है, तो वे दस प्रतिशत ब्याज लगाएंगे। जब वह पड़ोसी पैसे वापस करता है, तो उसे ग्यारह शेकेल भुगतान करना होगा। एक शेकेल पर ब्याज लगता था। परमेश्वर को यह पसंद नहीं था। वह नहीं चाहता था कि एक इस्राएली भाई परमेश्वर के किसी भी सदस्य से ब्याज मांगे। उन्हें अनुमति नहीं थी। उसने उनसे कहा कि वे एक विदेशी से ब्याज ले सकते थे, लेकिन एक दूसरे से नहीं।
परमेश्वर ने इस्राएलियों के लिए प्रतिज्ञाओं के नियम दिए जो इस्राएलियों ने उसके प्रति बनाये थे। यदि एक इस्राएली यहोवा के लिए पैसे देने का वादा करता है, तो यहोवा के आदेश के अनुसार उसे तुरंत भुगतान करना होगा। एक वादे को पूरा ना करना पाप था। "जो कुछ तुम बोलते हो उसे सुनिश्चित रूप से करना चाहिए, क्यूंकि तुमने खुद के मुंह से परमेश्वर से वादा किया था।" यदि इस्राएली ने कोई वादा नहीं किया, तो कोई पाप नहीं था। परमेश्वर चाहता था की उसके लोग पवित्र रहें। वह चाहता था कि वे वही करें जो वे कहते थे। वह चाहता था कि वे अपने वादों में सच्चे रहे जिस प्रकार वह रहता है। वह चाहता था की इससे बेहतर हो की वे कोई प्रतिज्ञा ना करें बजाय इसके कि वे वादा करें और उसे तोड़ दें। जो चीज़ उन्होंने ने कभी दी ही नहीं और उसकी चोरी करना चोरी के समान था।
परमेश्वर जानता था कि जब उसके लोग उस देश में प्रवेश करेंगे, तो कुछ परिवार दूसरों से अधिक धनी हो जाएंगे। वे अपने अतिरिक्त पैसे से अपने गरीब भाइयों और बहनों कि मदद कर सकते थे। वे अपने भाइयों को कम गरिमा और सम्मान दिखा सकते थे। यहोवा इस पाप से हर किसी को दूर रखना चाहता था। एक दूसरे को उधार देने के विशेष निर्देश इस्राइलियों को दिए गए। उधार देना एक जोखिम भरा काम था। क्या यदि वे आपको कभी लौटाए नहीं? अक्सर, जो उधार देता था वह बदले में कोई ऐसी चीज़ को अपने कब्ज़े में रखने के लिए मांगता था कहीं ऐसा ना हो की उसका पैसा वापस ना मिले। इस्राएल में, हर परिवार के पास एक महत्वपूर्ण चीज़ होती थी और वह था उनकी चक्की। बहुत ही गरीब परिवारों के लिए, यह उनकी कुछ ही संपत्ति में से केवल एक भाग ही हो सकता है। यह एक पत्थर होता था जिससे की स्त्रियां अनाज पीस कर रोटी बनाती थीं। एक परिवार के खाने के लिए यह ज़रूरी था! यहोवा ने इस्राएल को एक चेतावनी दी कि उधार देते समय, एक सुरक्षा के रूप में किसी परिवार से उनकी चक्की ले लेना गलत था।
जब किसी ज़रूरतमंद को उधार दिया जाता है, तो उन्हें दीन और अपमानित महसूस कराना बहुत आसान हो सकता है। उनके प्रति अभिमानी होना बहुत आसान हो सकता है। लेकिन इस्राएल के सभी लोग परमेश्वर के बच्चे थे, और वह गरीब और कमज़ोर की रक्षा करता है। इसलिए उसने लोगों को चेतावनी दी। यदि कोई उधार दे रहा है और उस परिवार की कोई चीज़ सुरक्षा के रूप में उनके पास है, तो वह व्यक्ति जो उधार दे रहा है स्वयं उसके घर जाकर उसे खुद से प्राप्त नहीं कर सकता था। उसे उन्हें सम्मान दिखाना होगा। चाहे उस परिवार का उसका पैसा बकाया है, उनका घर उनके लिए एक संरक्षित जगह थी। परमेश्वर ने आज्ञा दी की उसे घर के बाहर इंतज़ार करना होगा जब तक कि उस घर का व्यक्ति अंदर जाकर उसे सुरक्षा प्रतिज्ञा नहीं दे देता। परमेश्वर उस गरीब कि गरिमा कि रक्षा कर रहा था। उसने आगे कहा। यदि परिवार इतना गरीब था कि उसे प्रतिज्ञा में उस व्यक्ति का लबादा देना पड़े, तो उधार देने वाला व्यक्ति उसे रात भर के लिए उसे अपने पास नहीं रख सकता था। उसे सूर्यास्त से पहले उसे वापस करना होगा ताकि जब वह सोये वह अपने आप को उसमें गरम रख सके। परमेश्वर को यह बहुत भाता था। उसने कहा:
"वह तुम्हारा आभारी होगा और यहोवा तुम्हारा परमेश्वर यह देखेगा कि तुमने यह अच्छा काम किया।"
एक दूसरे के प्रति उदारता और सम्मान दिखाना चोरी नहीं थी। इससे इस्राएल के लोगों के बीच सम्बन्ध मज़बूत होते थे, और परमेश्वर के साथ एक मज़बूत, मनभावन रिश्ता बनता था!
अच्छी सहानुभूति के विषय में व्यवस्था 24: 4-22 में दिया है।