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पाठ 29 : पूर्व समय से अजीब रहस्य: वाचा की मुहरबन्दी

परमेश्वर ने जब अब्राम को अपने घर को छोड़ कर वादे के देश में जाने को कहा, उसने उसके साथ कुछ शर्तें भी दीं। यदि अब्राम आज्ञा मानता है, तो परमेश्वर उसे अशिक्षित करेंगे। अब्राम ने आज्ञा का पालन किया। वह अपनी बाँझ पति को लेकर एक अज्ञात जगह को निकल पड़ा।

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पाठ 30 : वाचा

अब्राम के दिनों में, वाचाएं मानव समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे। वे संधियों या दो समूहों के बीच शांति रखने का समझौता थे। एक और परिवार, कबीले, या राष्ट्र के खिलाफ एक संघर्ष रक्तपात और युद्ध को ला सकता था, उस समय ये वाचाएं उच्च और महत्वपूर्ण थे।

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पाठ 31 : बेवफ़ाई का दुःख

अब्राम और सारा के दस साल अपने देश में रहने के बाद, उनके अभी भी कोई संतान नहीं थी। सबकी आँखों में सरै की दरिद्रता एक महान कमज़ोरी और असफलता के रूप में देखा जाता था। उसने अब्राम को एक परिवार मिलने से वंचित कर रखा था।

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पाठ 70 : मिस्र में वाचा के परिवार का प्रवेश

याकूब और उसका घराना जब मिस्र की ओर यात्रा को निकले, उसने यहूदा को यूसुफ़ के पास पहले भेजा। परिवार की आवश्यकता थी कि कोई उन्हें गोशेन जाने के लिए दिशा-निर्देश करे और भव्य पुनर्मिलन के लिए तैयार करे।

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पाठ 107 : वाचा की पुस्तक पाठ 1: गुलाम और महिलाओं के नियम

सीनै पर्वत पर काले बादलों और जलती हुई आग के भीतर से परमेश्वर किआवाज़ ने दस आज्ञाओं कि घोषणा की। इस्राएलियों ने उसे उसकी महिमा और पवित्रता के बीच सुना। वे बहुत भयभीत हुए। वे बहुत व्याकुल हुए, और वे दबाव में आकर झुक गए।

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पाठ 108 : वाचा की पुस्तक पाठ 2: परमेश्वर के मानव जीवन के नुकसान के बारे में "यदि"

वाचा किपुस्तक में, परमेश्वर इस्त्राएलियों को हर एक बुरी बात के लिए जो लोगों के बीच होती थी, यह नहीं बताता था किउन्हें क्या करना चाहिए।

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पाठ 109 : वाचा की पुस्तक: पर्व

वाचा किपुस्तक में, परमेश्वर ने इस्राएल के न्यायाधीशों के लिए ऐसे नियम दिए जो उन्हें लोगों की समस्याओं के लिए निर्णय लेने में मदद करेंगे। किताब इस्त्राएलियों को उन बातों को भी सिखाती है जो उन्हें परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए अच्छे शालीन व्यवहार करने में मदद करेगी।

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पाठ 111 : वाचा की पुष्टि

अगली सुबह, यहोवा से वाचा किपुस्तक प्राप्त करने के बाद, मूसा जल्दी से उठकर पर्वत के पास गया। उसने एक वेदी बनाई और इसके चारों ओर पत्थर के बारह खंभे बनाये। प्रत्येक स्तंभ इस्राएल के बारह जनजातियों का प्रतीक था। वेदी परमेश्वर की उपस्थिति का संकेत था।

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पाठ 148 : नज़रानी शपथ

परमेश्वर के लोग जिस समय सीनै पर्वत से जाने की तैयारी में थे, मूसा ने उन्हें परमेश्वर के प्रति विशेष भक्ति को दिखने का रास्ता दिखाया। परमेश्वर ने इस्राएलियों को विशेष समय की विशेष अवधि के लिए अलग निर्देश दिये। इस्राएल में एक पुरुष और स्त्री नाज़ीर के नाम से शपथ ले सकते थे।

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पाठ 152

वाह, इस्राएल के राष्ट्र ने फिर से विद्रोह कर दिया था! उन्होंने परमेश्वर के द्वारा दिए अगुवे मूसा के विरुद्ध में लड़ाई की थी, और उन्होंने उसके द्वारा दिए अद्भुत उपहार, मन्ना का विद्रोह किया था। परन्तु परमेश्वर अच्छाई को इनके द्वारा ले कर आया था।

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पाठ 158 : कोरह के विद्रोह भाग 3

अचानक, जब मूसा ने यह बताना समाप्त किया कि पृथ्वी कोरह और उसके दुष्ट भागीदारों को निगल जाएगी, पृथ्वी गड़गड़ाने और हिलने लगी। पृथ्वी में दरार पड़ने लगी और वह विभाजित होने लगी। वह एक महान मुंह की तरह खुली और कोरह और दातान और अबीराम को निगल लिया।

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व्यवस्थाविवरण: वाचा नवीकरण की पुस्तक - मोआब के मैदानों में मूसा और उसके लोग

यहोवा जो इस्राएल का महान राजा है, अपने लोगों का उसने मोआब के मैदानों के लिए नेतृत्व किया। वे वादे के देश की सीमा पर पहुंच गए थे। वे अपनी आँखों से देख सकते थे। यरदन नदी के सामने इस्राएल का डेरा था। नदी के उस पार पहाड़ियों के साथ खुली, सूखी ज़मीन थी।

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पाठ 175 : # 4 दस आज्ञाएं

सीनै पर्वत पर परमेश्वर किआवाज़ को सुनना इस्राएल के लोगों के लिए एक महान पल था। इतिहास में किसी भी देश ने कभी भी परमेश्वर के साथ इस तरह से सामना नहीं किया होगा।यह इसीलिए था क्यूंकि इस्राएल को इतिहास में एक बहुत ही खास भूमिका के लिए चुना गया था।

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पाठ 177 : # 6 पहली आज्ञा के निहितार्थ

पहला नियम जो यहोवा ने अपने लोगों को दिया वह था की, "तुम्हे मेरे अतिरिक्त किसी अन्य देवता को, नहीं मानना चाहिए।" इसका मतलब था की इस्राएली किसी और झूठे देवता किमूर्तियों की पूजा नहीं कर सकते थे। इसका मतलब यह भी था की उन्हें उस भूमि को उन मूर्तिपूजक राष्ट्रों से साफ़ करना था जो सैकड़ों वर्षों से वहां रह रहे थे।

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पाठ 179 : # 8 आज्ञा 3

पहली दो आज्ञाओं ने सिखाया की किस प्रकार उन्हें अपने धर्म और विश्वास के बारे में सोचना है। वे यहोवा के आगे और किसी अन्य देवता किपूजा नहीं कर सकते थे। वे किसी भी मूर्ती किपूजा नहीं कर सकते थे।

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पाठ 199: पवित्र स्मरण का एक गीत

यहोवा ने मूसा से कहा,“'अब तुम्हारे मरने का समय निकट है। यहोशू को लो और मिलापवाले तम्बू में जाओ। मैं यहोशू को बताऊँगा कि वह क्या करे।'”

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पाठ 202: मूसा का अपने प्रभु के पास जाना

मूसा ने इस्राएल के बारह जनजातियों को अपना अंतिम आशीर्वाद दिया। जल्द ही, वे वादे के देश में जाएंगे जहां यहोशू कनानी के विरुद्ध युद्ध करने के लिए उनका नेतृत्व करेगा। लेकिन मूसा उनके साथ नहीं होगा। अपने परमेश्वर के प्रति उसकी आज्ञाकारिता में, वह नबो पर्वत की ओर मुड़ा, वो स्थान जो यहोवा इस्राएल के देश को देने जा रहा था।

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