परमेश्वर ने जब अब्राम को अपने घर को छोड़ कर वादे के देश में जाने को कहा, उसने उसके साथ कुछ शर्तें भी दीं। यदि अब्राम आज्ञा मानता है, तो परमेश्वर उसे अशिक्षित करेंगे। अब्राम ने आज्ञा का पालन किया। वह अपनी बाँझ पति को लेकर एक अज्ञात जगह को निकल पड़ा।
Read Moreअब्राम के दिनों में, वाचाएं मानव समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे। वे संधियों या दो समूहों के बीच शांति रखने का समझौता थे। एक और परिवार, कबीले, या राष्ट्र के खिलाफ एक संघर्ष रक्तपात और युद्ध को ला सकता था, उस समय ये वाचाएं उच्च और महत्वपूर्ण थे।
Read Moreअब्राम और सारा के दस साल अपने देश में रहने के बाद, उनके अभी भी कोई संतान नहीं थी। सबकी आँखों में सरै की दरिद्रता एक महान कमज़ोरी और असफलता के रूप में देखा जाता था। उसने अब्राम को एक परिवार मिलने से वंचित कर रखा था।
Read Moreयाकूब और उसका घराना जब मिस्र की ओर यात्रा को निकले, उसने यहूदा को यूसुफ़ के पास पहले भेजा। परिवार की आवश्यकता थी कि कोई उन्हें गोशेन जाने के लिए दिशा-निर्देश करे और भव्य पुनर्मिलन के लिए तैयार करे।
Read Moreसीनै पर्वत पर काले बादलों और जलती हुई आग के भीतर से परमेश्वर किआवाज़ ने दस आज्ञाओं कि घोषणा की। इस्राएलियों ने उसे उसकी महिमा और पवित्रता के बीच सुना। वे बहुत भयभीत हुए। वे बहुत व्याकुल हुए, और वे दबाव में आकर झुक गए।
Read Moreवाचा किपुस्तक में, परमेश्वर इस्त्राएलियों को हर एक बुरी बात के लिए जो लोगों के बीच होती थी, यह नहीं बताता था किउन्हें क्या करना चाहिए।
Read Moreवाचा किपुस्तक में, परमेश्वर ने इस्राएल के न्यायाधीशों के लिए ऐसे नियम दिए जो उन्हें लोगों की समस्याओं के लिए निर्णय लेने में मदद करेंगे। किताब इस्त्राएलियों को उन बातों को भी सिखाती है जो उन्हें परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए अच्छे शालीन व्यवहार करने में मदद करेगी।
Read Moreअगली सुबह, यहोवा से वाचा किपुस्तक प्राप्त करने के बाद, मूसा जल्दी से उठकर पर्वत के पास गया। उसने एक वेदी बनाई और इसके चारों ओर पत्थर के बारह खंभे बनाये। प्रत्येक स्तंभ इस्राएल के बारह जनजातियों का प्रतीक था। वेदी परमेश्वर की उपस्थिति का संकेत था।
Read Moreपरमेश्वर के लोग जिस समय सीनै पर्वत से जाने की तैयारी में थे, मूसा ने उन्हें परमेश्वर के प्रति विशेष भक्ति को दिखने का रास्ता दिखाया। परमेश्वर ने इस्राएलियों को विशेष समय की विशेष अवधि के लिए अलग निर्देश दिये। इस्राएल में एक पुरुष और स्त्री नाज़ीर के नाम से शपथ ले सकते थे।
Read Moreवाह, इस्राएल के राष्ट्र ने फिर से विद्रोह कर दिया था! उन्होंने परमेश्वर के द्वारा दिए अगुवे मूसा के विरुद्ध में लड़ाई की थी, और उन्होंने उसके द्वारा दिए अद्भुत उपहार, मन्ना का विद्रोह किया था। परन्तु परमेश्वर अच्छाई को इनके द्वारा ले कर आया था।
Read Moreअचानक, जब मूसा ने यह बताना समाप्त किया कि पृथ्वी कोरह और उसके दुष्ट भागीदारों को निगल जाएगी, पृथ्वी गड़गड़ाने और हिलने लगी। पृथ्वी में दरार पड़ने लगी और वह विभाजित होने लगी। वह एक महान मुंह की तरह खुली और कोरह और दातान और अबीराम को निगल लिया।
Read Moreयहोवा जो इस्राएल का महान राजा है, अपने लोगों का उसने मोआब के मैदानों के लिए नेतृत्व किया। वे वादे के देश की सीमा पर पहुंच गए थे। वे अपनी आँखों से देख सकते थे। यरदन नदी के सामने इस्राएल का डेरा था। नदी के उस पार पहाड़ियों के साथ खुली, सूखी ज़मीन थी।
Read Moreसीनै पर्वत पर परमेश्वर किआवाज़ को सुनना इस्राएल के लोगों के लिए एक महान पल था। इतिहास में किसी भी देश ने कभी भी परमेश्वर के साथ इस तरह से सामना नहीं किया होगा।यह इसीलिए था क्यूंकि इस्राएल को इतिहास में एक बहुत ही खास भूमिका के लिए चुना गया था।
Read Moreपहला नियम जो यहोवा ने अपने लोगों को दिया वह था की, "तुम्हे मेरे अतिरिक्त किसी अन्य देवता को, नहीं मानना चाहिए।" इसका मतलब था की इस्राएली किसी और झूठे देवता किमूर्तियों की पूजा नहीं कर सकते थे। इसका मतलब यह भी था की उन्हें उस भूमि को उन मूर्तिपूजक राष्ट्रों से साफ़ करना था जो सैकड़ों वर्षों से वहां रह रहे थे।
Read Moreपहली दो आज्ञाओं ने सिखाया की किस प्रकार उन्हें अपने धर्म और विश्वास के बारे में सोचना है। वे यहोवा के आगे और किसी अन्य देवता किपूजा नहीं कर सकते थे। वे किसी भी मूर्ती किपूजा नहीं कर सकते थे।
Read Moreयहोवा ने मूसा से कहा,“'अब तुम्हारे मरने का समय निकट है। यहोशू को लो और मिलापवाले तम्बू में जाओ। मैं यहोशू को बताऊँगा कि वह क्या करे।'”
Read Moreमूसा ने इस्राएल के बारह जनजातियों को अपना अंतिम आशीर्वाद दिया। जल्द ही, वे वादे के देश में जाएंगे जहां यहोशू कनानी के विरुद्ध युद्ध करने के लिए उनका नेतृत्व करेगा। लेकिन मूसा उनके साथ नहीं होगा। अपने परमेश्वर के प्रति उसकी आज्ञाकारिता में, वह नबो पर्वत की ओर मुड़ा, वो स्थान जो यहोवा इस्राएल के देश को देने जा रहा था।
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