पाठ 200: मूसा देश में प्रवेश नहीं करेगा

जिस दिन परमेश्वर ने मूसा को भविष्य के बारे में इस्राएल के लोगों के लिए गीत को दिया, उसने भविष्य के बारे में मूसा को निर्देश दिए। मूसा अबारीम पर्वत से नबो पर्वत पर गया। वहाँ से, वह कनान देश को और उसकी महिमा को देख पाएगा। मोआब में उस पर्वत से, मूसा पश्चिम की ओर यरदन घाटी में देख पाएगा। यरीहो की ऊंची दीवारें दूर खड़ी दिख पड़ती हैं। इस्राएलियों को उस शहर को जीतना होगा, लेकिन मूसा उस दिन को नहीं देख पाएगा। उसे पहाड़ पर ही रहना था। वह नबो पर्वत पर ही मर जाएगा। उसका भाई हारून की भी उसी पहाड़ पर मृत्यु हुई थी। परमेश्वर ने इन दोनों महान अगुवों को भूमि में प्रवेश करने से पहले ही उठा लिया था। दोनों ने परमेश्वर को अप्रसन्न किया था। क्या आपको कहानी याद है?

इस्राएली सीन के मरुभूमि से होते हुए यात्रा कर रहे थे। वे कादेश नामक जगह पर रुके, और किसी को भी पीने के लिए पानी नहीं था। यह खतरनाक है! मनुष्य पानी के बिना नहीं रह सकता है! ना ही उनके पालतू जानवर। इस्राएलियों के पास एक और मौका था की वे अपने परमेश्वर को अपना प्रेम दिखा सकें। वे इस कठिनाई को देख कर परेशान हो सकते थे, या वे परमेश्वर पर विश्वास करके उससे प्रार्थना कर सकते थे। क्या आपको याद है की उन्होंने क्या किया था? 

इस्राएली हारून और मूसा के विरुद्ध शिकायत और झगड़ा करने लगे। उन्होंने कहा की मूसा को उन्हें मिस्र में ही रहने देना चाहिए था। वे उन पर उनके पशुओं को मारने का आरोप लगा रहे थे। इतने सैकड़ों आक्रोश पुरुषों की दहशत और क्रोध कि कल्पना कीजिये। वे डर रहे थे क्यूंकि उनका विश्वास पानी और भूमि और जीवन के सुखों में था। परमेश्वर ने उनके दिल का परीक्षण करने के लिए उन चीजों को उनसे दूर किया। एक बार फिर वे परीक्षण में विफल रहे। 

मूसा और हारून ने पलट कर लोगों से लड़ाई नहीं की। वे परमेश्वर के पास गए। वे मिलापवाले तम्बू के पास गए और प्रवेश द्वार पर मुँह के बल गिर गए। वे परमेश्वर के सामने पूर्ण रूप से गए और उसे पुकारा। उन्होंने अपना विश्वास उस पर डाला, और वही है जो प्रदान करेगा। परमेश्वर कि उपस्थिति उनके सामने अपनी महिमा में उतरी। वाह...उसकी कल्पना करने की कोशिश कीजिये। यह एक उच्च और पवित्र क्षण था! परमेश्वर के प्रति मूसा और हारून की वफ़ादारी और परमेश्वर की वफ़ादारी एक गवाही के रूप में पूरे इस्राएल देश के समक्ष चमक रही थी। यहोवा प्रत्येक के साथ ऐसा ही रिश्ता चाहता था! यह उसकी पवित्र उपस्थिति का महान उपहार था! उसके चुने हुए लोग होने की यह महान अच्छाई थी!

यहोवा ने अपने दास मूसा से कहा:

"'अपने भाई हारून और लोगों की भीड़ को साथ लो और उस चट्टान तक जाओ। अपनी छड़ी को भी लो। लोगो के सामने चट्टान से बातें करो। तब चट्टान से पानी बहेगा और तुम वह पानी अपने लोगों और जानवरों को दे सकते हो।”'

उस भीड़ की कल्पना कीजिये जो वहां जमा हो गयी थी। लोग मूसा और हारून के सामने उस चट्टान के पास खड़े हुए। 

मूसा ने कहा:

“तुम लोग सदा शिकायत करते हो। अब मेरी बात सुनो। हम इस चट्टान से पानी बहायेंगे।” तब मूसा ने छड़ी उठाई और चट्टान पर दो बार मारा। ओह। क्या परमेश्वर ने उसे ऐसा करने के लिए कहा था? क्या छड़ी के मारने से चट्टान से पानी निकल आएगा? नहीं। परमेश्वर ने मूसा से चट्टान से बात करने के लिए कहा था। उसने मूसा से कहा था कि उसकी छड़ी के द्वारा नहीं बल्कि केवल उसके बोलने से ही पानी निकल आएगा। परमेश्वर सब कुछ सोच समझ कर ही करने को कहता है। मूसा ने परमेश्वर के निर्देशों का पालन नहीं किया था। लेकिन परमेश्वर फिर भी वफ़ादार था। पानी चट्टान से निकला, जिससे इस्राएल की बारह जनजातियों और सभी उनके झुंड और जानवरों कि प्यास बुझ सकी। उस सूखी मरुभूमि के बीच यह पानी कितना साफ़ और अद्भुत लगा होगा!

मूसा के उसके निर्देश कि अवहेलना करने के बावजूद, परमेश्वर अपने विद्रोही लोगों के लिए एक बार फिर से पूरी तरह से वफ़ादार था। लेकिन उसके परिणाम हो सकते थे। यहोवा ने मूसा और हारून से कहा की क्यूंकि मूसा ने अपनी छड़ी से चट्टान पर मारा था, इसीलिए वे वादे के देश में प्रवेश नहीं कर पाएंगे। 

उसने कहा:

'''इस्राएल के सभी लोग चारों ओर इकट्ठे थे। किन्तु तुमने मुझको सम्मान नहीं दिया। लेकिन तुम उस देश में उनको पहुँचाने वाले नहीं रहोगे।'''

यह कितनी एक अद्भुत लेकिन दुखद कहानी है। मूसा के उस भूमि में प्रवेश ना करने का यही कारण था। और इसीलिए वह दूर से वादे के देश को नबो पर्वत से देखेगा।