पाठ 180 : # 9 चौथी आज्ञा
"‘सब्त के दिन को विशेष महत्व देना याद रखो। यहोवा, तुम्हारे परमेश्वर ने आदेश दिया है कि तुम सब्त के दिन को सप्ताह के अन्य दिनों से भिन्न करो। पहले छ: दिन तुम्हारे काम करने के लिए हैं। किन्तु सातवाँ दिन यहोवा तुम्हारे परमेश्वर के सम्मान में आराम का दिन है। इसलिए सब्त के दिन कोई व्यक्ति काम न करे, अर्थात् तुम, तुम्हारे पुत्र, तुम्हारी पुत्रियाँ, तुम्हारे सेवक, दास स्त्रियाँ, तुम्हारी गायें, तुम्हारे गधे, अन्य जानवर, और तुम्हारे ही नगरों में रहने वाले विदेशी, कोई भी नहीं! तुम्हारे दास तुम्हारी ही तरह आराम करने की स्थिति में होने चाहिए। यह मत भूलो कि तुम मिस्र में दास थे। यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर महान शक्ति से तुम्हें मिस्र से बाहर लाया। उसने तुम्हें स्वतन्त्र किया। यही कारण है कि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर आदेश देता है कि तुम सब्त के दिन को हमेशा विशेष दिन मानो।
(व्यवस्था 5:12-15)
इस्राएली हिब्रू की भाषा बोलते थे। हिब्रू में, "सब्त" "आराम करना" या "रोकना" होता है। इसे "जश्न मनाना" भी कहते हैं। (टी डेसमंड सिकंदर, पुराना नियम का शब्दकोष, Pentateuch, पृष्ठ 695)। यहोवा ने अपने लोगों को हर सातवें दिन आराम करने की आज्ञा दी। यह विश्राम परमेश्वर के लिए इतना महत्वपूर्ण था किजब वे मरुभूमि में थे, सब्त से पहले परमेश्वर उनके लिए मन्ना दुगना कर के उन्हें प्रदान करता था। इस तरह, लोग पहले से मन्ना इकट्ठा कर सकते थे। हर सप्ताह, वर्षों तक, सब्त से पहले, अतिरिक्त मन्ना उपलब्ध होता था। सब्त के दिन पर, कोई मन्ना नहीं आता था। यहोवा हर हफ्ते के हर एक दिन, अपने लोगों की आवश्यकताओं का पूरा ध्यान रखता था।
कितना दयालु और अनुग्रहकारी परमेश्वर था! उसकी चौथी आज्ञा के अनुसार, उन्हें विश्राम करना था। उसने सब्त के दिन को उसकी वाचा के लिए एक प्रतीक के रूप में बनाया था। उसने उन्हें उसके लिए प्यार या संरक्षण कमाने के लिए यह दिन नहीं दिया था। उसने उन्हें आराम दिया!
यहोवा ने यह उपहार इस्राएल के शक्तिशाली लोगों को केवल एक आदेश के रूप में नहीं दिया था। वह इस कमज़ोर और गरीब को देना चाहता था। यहां तक कि सेवकों को भी आराम दिया जाता था। वे परमेश्वर की नज़र में बहुमूल्य थे। वह चाहता था किवे उसके साथ समय बिताएं। किसी भी महान राष्ट्र में, शक्तिशाली लोग होते हैं जिनके पास शक्ति है। ऐसे अध्यापक होंगे जिनके पास महान ज्ञान होगा और व्यापार करने वाले जिनके पास धन होगा। मज़दूर, गरीब, और सेवक भी शामिल हैं। यहोवा ने उन्हें याद दिलाया की, चाहे उनका कोई भी काम क्यूँ ना हो, उन्हें एक दास के रूप में शुरू करना होता है। परमेश्वर के सामने, वे सब एक समान थे। कोई कितना भी महान क्यूँ ना बन जाये, उसे कमज़ोर और दीन लोगों की मदद करनी होगी। यहोवा सबकी रक्षा करता था, यहां तक की एक विदेशी की भी। परमेश्वर ने उन्हें ग़ुलामी से बचाया था। हर हफ्ते उसके प्रति आज्ञाकारी रहना और उसमें विश्राम करना कितना एक बड़ा कारण था। जानवरों को भी विश्राम दिया जाता था। परमेश्वर के इस याजकों के राज्य में, प्रत्येक प्राणी पर ध्यान रखा जाता था।
सोचिये कि हर हफ्ते का यह दिन एक राष्ट्र के लिए कितना महत्वपूर्ण होगा। यदि हर हफ्ते प्रत्येक व्यक्ति परमेश्वर पर विशेष ध्यान देता है, तो वे रोज़मर्रा के जीवन के विषय में सोच पाएंगे की किस प्रकार का जीवन उन्हें जीना है। वे प्रार्थना में समय व्यतीत कर सकते थे। वे एक साथ एक परिवार के रूप में परमेश्वर के साथ समय बिता सकते थे। और परमेश्वर ने विशेष रूप से उस दिन को आशीर्वाद दिया था। यह ऐसा समय था जब वे पवित्रता में परमेश्वर किउपस्थिति में रह सकते थे। यह वो समय होता है जब परमेश्वर उन्हें मार्गदर्शन देता है। जब वे पाप करते थे तो परमेश्वर उन्हें उनके पाप को दिखाता था। उनके पास पश्चाताप और माफ़ी के लिए समय होगा। यहोवा उनके दिलों को हर हफ़्ते साफ़ करेगा। वे अगले सप्ताह बेहतर निर्णय लेने में सक्षम होंगे। वे नियमों का बेहतर तरीके से पालन करेंगे और एक दूसरे को अधिक प्रेम करेंगे। वे पूरे सप्ताह परमेश्वर को बेहतर तरीके से सुनेंगे। एक दूसरे को प्यार करने के लिए उन के पास परमेश्वर कि शक्ति होगी। कल्पना कीजिये की कैसा होगा जब हर हफ्ते परिवार में प्रत्येक व्यक्ति परमेश्वर के प्रेम के द्वारा नरम हो जाता है। कल्पना कीजिये की कैसे एक शहर में लोग परमेश्वर किबुद्धि और प्रेम में हर सप्ताह के एक दिन में ऐसे रहते हैं। सोचिये की वे पूरे राष्ट्र के लिए क्या कर सकते थे। परमेश्वर कियोजना अपने पवित्र देश के लिए बहुत बड़ी थी। क्या आप देख सकते हैं किसब्त इसका कितना एक महत्वपूर्ण हिस्सा था?