पाठ 170 : मिद्यानियों का कठिन तरीकों से सीखना
इस्राएलियों के कनान देश में स्थानांतरित करने का समय नज़दीक आ गया था। अभी भी उन्हें कुछ अधूरे काम करने बाकि थे जिस समय वे मोआब के मैदानों पर डेरा लगाये हुए थे। बिलाम जो एक नबी था, उसने इस्राएल के पुरुषों को विचलित करने के लिए मिद्यानी महिलाओं को आश्वस्त किया था। उन्होंने उन्हें बाल और झूठी मूर्ति के दुष्ट रस्मों और अनैतिकता की चीज़ें करने को उन्हें अपनी ओर खींचा। यह यहोवा की पवित्र उपासना की तुलना में एक गन्दा और दुष्ट उपासना करने का तरीका था। परमेश्वर ने अपने लोगों को और अधिक पूर्ण और शुद्ध और मजबूत बनाने के लिए काम किया। बाल की पूजा ने लोगों को तोड़ दिया और उन्हें, उनके विवाह को नष्ट करने वाले और रोग फ़ैलाने वाले काम करवाये। बिलाम शाप के माध्यम से इस्राएल को नीचे नहीं गिरा सकता था। परमेश्वर उसे ऐसा नहीं करने देगा। लेकिन वह पाप में इस्राएल के पुरुषों को गिरा सकता है। और फिर देश स्वयं ही नष्ट हो जाएगा!
मिद्यानियों ने एक बहुत ही रचनात्मक तरीके से इस्राएल पर हमला किया था, लेकिन उन्होंने उनकी स्त्रियों को एक बहुत ही भयानक तरीकों से इस्तेमाल किया था। उन की रक्षा करने के बजाय, बिलाम जैसे पुरुषों ने स्त्रियों को भौतिक तरीकों से इस्राएल के पुरुषों को अपने आप को देने को कहा जो केवल उनके पतियों के लिए ही होना चाहिए था। दुर्भाग्य से, मिद्यान देश में यह कोई नई बात नहीं थी। महिलाओं की पवित्रता महत्वपूर्ण नहीं थी, उनकी खुद की मूर्तियां पाप की मांग करती थीं। उनकी पूरी संस्कृति ऐसी ही थी। पूरा देश अशुद्ध हो गया था!
परमेश्वर ने मूसा से कहा किइस्राएल की सेना को मिद्यानियों से बदला लेना होगा। इस्राएल के सैनिकों को परमेश्वर के लिए उसके न्याय के हाथ कितरह कार्य करना होगा। पूरी दुनिया देखेगी की किस प्रकार एक शुद्ध राष्ट्र बाल पूजा के नीच प्रथाओं के बारे में क्या सोचता है। मूसा को प्रत्येक जनजाति से एक हज़ार पुरुषों को लेना था। पीनहास उनके साथ जाएगा, जो यहोवा किउपस्थिति के एक प्रतीक के रूप में पवित्र स्थान से उसके साथ पवित्र चीज़ों को लाया था।
इस्राएल किसेना मिद्यान को गयी और उनकी भेंट सेना से हुई। उन्होंने परमेश्वर के दिए आदेश के अनुसार, युद्ध करके प्रत्येक मिद्यानी सैनिक को मार दिया। बिलाम और मिद्यान के पांच राजा उनके बाकि के पुरुषों के साथ मर गए। इस्राएल किसेना मिद्यान के कस्बों और गांवों में गए और सभी महिलाओं और बच्चों को घेर लिया। उन्होंने उनकी भेड़ और पशु के झुंड इकट्ठा कर लिया। उन्होंने उनके घरों और दुकानों से और उनके खेतों पर से सारी कीमती चीजों को बटोर लिया। उन्होंने परमेश्वर के लिए युद्ध जीत लिया था। अब परमेश्वर ने जितनी भी आशीषें मिद्यानियों को दीं थीं, वे सब उसने अपने सिद्ध लोगों को दे दिए थे। सेना इन सब चीज़ों को और महिलाओं और बच्चों को मूसा के पास मोआब में ले आये।
जब मूसा ने महिलाओं को देखा, तो उसे एहसास हुआ किसेना अपने साथ सब कुछ वापस ले आई है। वे उन स्त्रियों को भी ले आये जो पुरुषों से पाप कराना चाहती थीं। मूसा को गुस्सा आया। उन्होंने इस्राएल के डेरे में अंधेर और प्रलोभन लाने वाली इन स्त्रियों को लाने कि हिम्मत कैसे की! मूसा ने कहा किमिद्यान के सैनिकों की तरह ये स्त्रियां भी न्याय के तहत थीं। उन्होंने भी इस्राएल के विरुद्ध युद्ध करने की कोशिश की थी। जिन स्त्रियों ने अपने आप को पुरुषों को दे दिया था, उन्हें जीने का कोई हक़ नहीं था। केवल वही लड़कियां जिन्होंने बाल किपूजा के बुरे तरीकों को नहीं सीखा था, संरक्षित की गयीं थीं। उन्हें बचा कर उनका विवाह इस्राएल के पुरुषों के साथ किया जा सकता था। वे परमेश्वर के लोगों में शामिल हो सकती थीं।
यह चाहे परमेश्वर कि इच्छा में हो कि एक अन्य व्यक्ति की हत्या की जा सकती थी, यह जीवन को तोड़ देता है और मृत्यु लाता है। यह अशुद्धता लाता है, यह शुद्ध को अशुद्ध बनाता है। मौत आदम और हव्वा के पाप में गिरने के कारण मानवता पर एक दुष्ट अभिशाप का हिस्सा है। यहोवा ने मूसा से कहा कि कोई भी व्यक्ति जिसने युद्ध में किसी को मारा है या एक मृत को छुआ है, उसे डेरे के बाहर शुद्धिकरण के सात दिन तक रहना होगा।
जो लूट इस्राएलियों ने मिद्यानियों से लिया था, उन्हें भी शुद्ध किया जाना था। कोई भी सोना, चांदी, पीतल और सभी धातु जिन्हें वे रखना चाहेंगे, उन्हें पहले आग के माध्यम से पिघलाना होगा और शुद्ध करना होगा। जो कोई भी वास्तु जिसे आग में नष्ट किया जाना था, उसे पानी से धोकर साफ़ करना होगा।
उन सात दिनों कि कल्पना कीजिये किस प्रकार सभी सैनिक उन सब लूट को साफ़ करने और उनको विभाजित करने में जुटे होंगे। वे उन सब चीज़ों को नहीं रख सकते थे जो वे अपने साथ लाये थे। उन्होंने वह सब अपने लिए ही नहीं रखा था। उन्होंने पूरे देश के लिए एक जीत हासिल की थी। मिद्यान से जीतना भी खज़ाना और जानवर और लोग जिन्हें वे अपने साथ ले आये थे, उन्हें गिना जाना था। यह बहुत सारा काम था। जब उन्होंने काम पूरा किया, उन्होंने पाया किकी उनके पास 675.000 भेड़, 72,000 मवेशी, 61000 गदहे, और 32,000 कुंवारी लड़कियां थीं।
इन में से आधी चीज़ें उन सैनिकों को जाएंगी जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर लड़ाई लड़ी थी। उन दिनों में, सैनिकों का भुगतान लूट को उन्हें देकर किया जाता था। लूट का अन्य हिस्सा बाँट कर इस्राएल के लोगों को दिया जाता था। सैनिकों से, लूट का हर पांच सौ का एक भाग एलीआजर को दिया जाता था जो एक महायाजक था। चांदी या सोने, और हर पांच सौ में से भेड़, बकरी दी जाती थीं। जो याजक परमेश्वर कि सेवा के लिए अलग निर्धारित किये गए थे, इन कीमती चीज़ों को मंदिर के कार्य के लिए प्रयोग करते थे।
जो आधा हिस्सा लोगों को दिया जाता था, उसमें से हर पचासवीं चीज़ लेवियों को दी जानी थी। जितनी अतिरिक्त भेड़ और बकरियां और पशु, परमेश्वर की उपासना के लिए इस्तेमाल की जाती थी! जब बाल के मिद्यानी भक्त इस्राएल से युद्ध में हार गए, उन्होंने अनजाने में उच्च परमेश्वर के मंदिर के लिए बलिदान और भेंट का एक विशाल धन दान में दिया!
जब इस्राएल के सैनिकों को गिना गया, तब सेना के अधिकारियों को एकसास हुआ की एक भी इस्राएली लड़ाई में नहीं मारा गया। यह परमेश्वर का तेजस्वी और अद्भुत काम है! इस्राएल की सेना मूसा के पास उनके लोगों के संरक्षण के लिए सोने किभेटों को ले कर आये। उन्होंने उनके लिए प्रायश्चित करने के लिए कीमती सोने प्रस्तुत किये। वहां कंगन और झुमके और हार थे। जब इन्हें तौला गया, वे 16, 750 शेकेल, या छह सौ पाउंड के थे। यह कितना उनके दिव्य राजा के लिए एक शाही उपहार था!