पाठ 199: पवित्र स्मरण का एक गीत
यहोवा ने मूसा से कहा,“'अब तुम्हारे मरने का समय निकट है। यहोशू को लो और मिलापवाले तम्बू में जाओ। मैं यहोशू को बताऊँगा कि वह क्या करे।'”
मूसा और यहोशू मिलापवाले तम्बू में गए जहां याजक यहोवा के लिए अड़तीस साल से विशेष बलि चढ़ा रहा था। एक बार फिर, यहोवा की उपस्थिति बादल के खम्भे में आई। उसने मूसा को बताया की अब उसके जाने का समय आ गया था और उसे उठा लिया जाएगा। फिर उसने और गंभीर बातों के विषय में बातें कीं। परमेश्वर भविषय को जानता है। वह सब कुछ जानता है। वह हर एक के हृदय कि सब बातों को भी जानता है। परमेश्वर जानता था की जिस प्रकार उसके लोग मोआब के मैदानों पर वाचा को वफ़ादारी से मान रहे थे, वे बहुत लंबे समय के लिए उस तरह वफ़ादार नहीं रह पाएंगे। वे अपने प्रिय परमेश्वर से दूर हो जाएंगे और उसे धोखा देंगे।
परमेश्वर ने मूसा को एक हथियार दिया जिससे की उसके लोग उसकी वाचा को याद रखेंगे। वह एक गाना था। उस गीत के शब्द उनके दिमाग में यहोवा के महान वादे को ताज़ा रखेंगे। इससे वे परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करने के लिए अपने वादे को याद रखेंगे। यदि इस्राएली इस गीत को सीख लेंगे और एक दूसरे के लिए इसे गाएंगे, तो इससे उन्हें आज्ञा का पालन करने में मदद मिलेगी। यदि वे तब भी विद्रोह करते हैं, तो यह गीत उनके खिलाफ एक गवाही होगी। यह साबित करेगा की वे सही मायने में परमेश्वर के वचनों को जानते थे और तब भी अपनी आज्ञाकारिता के साथ उससे प्रेम करने से इंकार किया। यह इस्राएल के उद्धारक के अपने लोगों के लिए लिखा हुआ प्रेम गीत का एक हिस्सा है:
"'हे गगन, सुन मैं बोलूँगा, पृथ्वी मेरे मुख से सुन बात।
बरहसेंगे वर्षा सम मेरे उपदेश,
हिम—बिन्दु सम बहेगी पृथ्वी पर वाणी मेरी,
कोमल घासों पर वर्षा की मन्द झड़ी सी,
हरे पौधों पर वर्षा सी।
परमेश्वर का नाम सुनाएगी मैं कहूँगा,
कहो यहोवा महान है।
वह हमारी चट्टान है, उसके सभी कार्य पूर्ण हैं! क्यों?
क्योंकि उसके सभी मार्ग सत्य हैं!
वह विश्वसनीय निष्पाप परमेश्वर,
करता जो उचित और न्याय है।
तुम लोगों ने दुर्व्यवहार किया उससे अतः नहीं उसके जन तुम सच्चे।
आज्ञा भंजक बच्चों से तुम हो,
तुम एक दुष्ट और भ्रष्ट पीढ़ी हो।
चाहिए न वह व्यवहार तुम्हारा यहोवा को,
तुम मूर्ख और बुद्धिहीन जन हो।
योहवा परम पिता तुम्हारा है,
उसने तुमको बनाया, उसने निज जन के दृढ़ बनाया तुमको।
“याद करो बीते हुए दिनों को
सोचो बीती पीढ़ीयों के वर्षों को,
पूछो वृद्ध पिता से, वही कहेंगे पूछो अपने प्रमुखों से; वही कहेंगे।
सर्वोच्च परमेश्वर ने राष्ट्रों को
अपने देश दिए,
निश्चित यह किया कहाँ ये लोग रहेंगे,
तब अन्यों का देश दिया इस्राएल—जन को।
योहवा की विरासत है उसके लोग;
याकूब यहोवा का अपना है
यहोवा ने याकूब को पाया मरू में,
सप्त, झंझा—स्वरित उजड़ मरुभूमि में
योहवा ने याकूब को लिया अंक में, रक्षा की उसकी,
यहोवा ने रक्षा की, मानों वह आँखों की पुतली हो।
यहोवा ने फैलाए पर, उठा लिया इस्राएलियों को,
उस उकाब—सा जो जागा हो अपनी नीड़ में,
और उड़ता हो अपने बच्चे के ऊपर,
उनको लाया यहोवा अपने पंखों पर।
अकेले यहोवा ले आया याकूब को,
कोई देवता विदेशी उसके पास न थे।
अभिजात, सुपोषित छोड़ा उसने अपने कर्ता यहोवा को
अस्वीकार किया अपने रक्षक शिला परमेश्वर को,
ईर्ष्यालु बनाया यहोवा को, अन्य देव पूजा कर! उसके जन ने;
क्रुद्ध किया परमेश्वर को निज मूर्तियों से जो घृणित थीं परमेश्वर को,
बलि दी दानवों को जो सच्चे देव नही उन देवों को
बलि दी उसने जिसका उनको ज्ञान नहीं।
नये—नये थे देवता वे जिन्हें न पूजा
कभी तुम्हारे पूर्वजों ने,
तुमने छोड़ा अपने शैल यहोवा को भुलाया
तुमने अपने परमेश्वर को, दी जिसने जिन्दगी।
“यहोवा ने देखा यह, इन्कार किया जन को अपना कहने से,
क्रोधित किया उसे उसके पुत्रों और पुत्रियों ने!
तब यहोवा ने कहा,
‘मैं इनसे मुँह मोडूँगा!
मैं देख सकूँगा—अन्त होगा क्या उनका।
क्यों? क्योंकि भ्रष्ट सभी उनकी पीढ़ियाँ हैं।
वे हैं ऐसी सन्तान जिन्हें विश्वास नहीं है!
मैं उस दण्ड से रक्षा करता हूँ।
मैं अपने वस्तु भण्डार में बन्द किया!’
केवल मैं हूँ देने वाला दण्ड मैं ही देता लोगों को अपराधों का बदला,
जब उनका पग फिसल पड़ेगा अपराधों में,
क्यों? क्योंकि विपत्ति समय उनका समीप है
और दण्ड समय उनका दौड़ा आएगा।’
“यहोवा न्याय करेगा अपने जन का।
वे उसके सेवक हैं, वह दयालु होगा।
वह उसके बल को मिटा देगा
वह उन सभी स्वतन्त्र
और दासों को होता देखेगा असहाय।
देखो, अब केवल मैं ही परमेश्वर हूँ।
नहीं अन्य कोई भी परमेश्वर
मैं ही निश्चय करता लोगों को
जीवित रखूँ या मारूँ।
मैं लोगों को दे सकता हूँ चोट
और ठीक भी रख सकत हूँ।
और न बचा सकता कोई किसी को मेरी शक्ति के बाहर।
व्यवस्था 32:1-12; 15b-20; 23, 34-36; 39
मूसा ने मिलापवाले तम्बू में यहोवा के इस गीत को सीखा। फिर उसने और यहोशू ने इसे इस्राएलियों को सिखाया।
"तब उसने उनसे कहा, “तुम्हें निश्चय करना चाहिए कि तुम उन सभी आदेशों को याद रखोगे जिसे मैं आज तुम्हें बता रहा हूँ और तुम्हें अपने बच्चों को यह बताना चाहिए कि इन व्यवस्था के आदेशों का वे पूरी तरह पालन करें। यह मत समझो कि ये उपदेश महत्वपूर्ण नहीं हैं! ये तुम्हारा जीवन है! इन उपदेशों से तुम उस यरदन नदी के पार के देश में लम्बे समय तक रहोगे जिसे लेने के लिये तुम तैयार हो।'”
व्यवस्था 31: 46-47