Posts in obedience
पाठ 14 : बाढ़

आदम और हव्वा के वंशज कुल विद्रोह में थे। वे उनके अद्भुत और पवित्र परमेश्वर की छवि को प्रतिबिंबित नहीं करते थे। इसके बजाय, वे दुष्टता में जीते थे और स्वयं को और अपने भीषण व्यवहार से अपने परिवारों को शर्मसार करते थे। परमेश्वर अवश्य उनका न्याय करेगा।

Read More
पाठ 186: राजाओं और उनके लोगों का सम्मान

न्यायाधीशों को उन्ही के क्षेत्रों के मामले के विषय में निर्णय लेने के लिए नियुक्त किया गया था। दूसरे महत्वपूर्ण समूह जो सही न्याय कर सकते थे वे स्वयं लोग ही थे। एक समूह के रूप में वे तय कर सकते थे यदि किसी ने परमेश्वर के पवित्र नियमों का उल्लंघन किया है।

Read More
पाठ 190: छठी आज्ञा-जीवन का सम्मान

एक इस्राएल के जीवन का सम्मान तब तक महत्वपूर्ण नहीं था जब तक वह जीवित रहता है। वह उनके मरने के बाद भी महत्वपूर्ण था! यदि एक व्यक्ति मृत पाया गया है, और यह स्पष्ट होता है की उसकी हत्या की गई है, तो यह एक भयानक बात थी। यदि इसका कोई न्याय नहीं किया जाता है तो यह उनके लिए अनादर की बात होती, लेकिन कभी कभी एक हत्या का समाधान करना असंभव होता है।

Read More
पाठ 192: आठवीं आज्ञा-संपत्ति का सम्मान

यहोवा ने अपने लोगों को एक-दूसरे के बीच नैतिक पवित्रता को सिखाने के लिए सांतवी आज्ञा दी। उन्हें अपने कौमार्य की रक्षा विवाह होने तक अपने दिल और दिमाग और शरीर को पवित्र और निर्मल रखना था। आठवीं आज्ञा में, परमेश्वर ने अपने लोगों को एक दूसरे के लिए एक सुरक्षा के रूप में एक मज़बूत, स्वस्थ सीमा दी। यह नियम इस्राएलियों को सिखा रहा था की उन्हें एक दूसरे कि संपत्ति के प्रति कैसा व्यव्हार करना है।

Read More
पाठ 193: नौवीं आज्ञा-सच्चाई से यहोवा का सम्मान, दसवीं आज्ञा-यहोवा का सम्मान हृदय की पवित्रता के साथ करना

चोरी करने के विचार में जोड़ें- व्यवस्था 21-24 को संपत्ति के अधिकार को दिखाने के लिए मूसा के नियमों के लिए दिखाएँ और उन्हें लोगों के झूठ बोलने और न्यायधीश से धोखाधड़ी करने के लिए इस विवान को दिखाएँ।

Read More