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पाठ 65 : युसूफ का चतुर प्रेम

यूसुफ जब पहले अपने भाइयों से मिला था वे गुस्से में थे और क्रूर थे। जबकि उसने अपने जीवन के लिए उनसे भीख मांगी थी, फिर भी उन्होंने दूषित व्यापारियों के हाथ उसे बेच दिया था। अब जब वे मिस्र में उसके सामने खड़े थे, वे कनान की लंबी यात्रा के कारण गंदे और थक चुके थे। उसके खानाबदोश भाई उससे कितने भिन्न लग रहे थे। उसे क्या करना चाहिए?

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पाठ 103 : अपने परमेश्वर से प्रेम करना

दस आज्ञाएं एक नियमों कि सूची से बढ़कर थे। वे यहोवा और उसके लोगों के बीच के वाचा का एक हिस्सा थे। यदि वे उनका आज्ञा पालन करते हैं, तो वे उसके कीमती संतान होंगे, और वह उन्हें दुनिया के लिए राज्य के याजक बना देगा।

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पाठ 105 : अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करना

यदि इस्राएल के लोग परमेश्वर के चरित्र को सही मायने में दुनिया को दिखाना चाहते थे, उन्हें परमेश्वर किओर सही रीती से चलने का सही रास्ता दिखाना होगा। पहली चार आज्ञाएँ इसी पर आधारित हैं।

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पाठ 193: नौवीं आज्ञा-सच्चाई से यहोवा का सम्मान, दसवीं आज्ञा-यहोवा का सम्मान हृदय की पवित्रता के साथ करना

चोरी करने के विचार में जोड़ें- व्यवस्था 21-24 को संपत्ति के अधिकार को दिखाने के लिए मूसा के नियमों के लिए दिखाएँ और उन्हें लोगों के झूठ बोलने और न्यायधीश से धोखाधड़ी करने के लिए इस विवान को दिखाएँ।

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पाठ 198: मशाल को पार करना - मूसा से यहोशू को

यहोवा ने, जो इस्राएल का परमेश्वर है, मिस्र से उन सब लोगों को ग़ुलामी से बचाया जिनके साथ उसने सबसे पहले अपनी वाचा को बनाया था। अड़तीस साल बाद, मूसा ने मोआब के मैदानों पर इस्त्राएलियों की अगली पीढ़ी के साथ बात की। पूरा देश यरदन नदी के पास डेरा लगाया हुआ था। दूसरी तरफ वो देश था

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