पाठ 197: यहोवा की यथार्थवादी आवश्यकताएं - सृष्टि द्वारा गवाही देना

परमेश्वर वास्तव में अपने लोगों के पूरे दिल और जान को चाहता था। वह उनकी पूरी भक्ति को चाहता था, और वह उनकी इच्छाओं और आशाओं को पूरी तरह से अपने ऊपर लेना चाहता था। और कमाल की बात यह है कि यह संभव हो सकता था। उनका अच्छा और पवित्र परमेश्वर उनसे कोई असंभव चीज़ की मांग नहीं करेगा। मूसा ने इसे इस प्रकार बताया:

'''आज जो आदेश मैं तुम्हें दे रहा हूँ, वह तुम्हारे लिये बहुत कठिन नहीं है। यह तुम्हारी पहुँच के बाहर नहीं है। यह आदेश स्वर्ग में नहीं है जिससे तुम्हें कहना पड़े, ‘हम लोगों के लिये स्वर्ग में कौन जाएगा और उसे हम लोगों के पास लाएगा जिससे हम उसे सुन सकें और उसका अनुसरण कर सकें?’ यह आदेश समुद्र के दूसरे पार नहीं है जिससे तुम यह कहो कि ‘हमारे लिये समुद्र कौन पार करेगा और इसे लाएगा जिससे हम इसे सुन सकें और कर सकें?’ नहीं, यहोवा का वचन तुम्हारे पास है। यह तुम्हारे मूँह और तुम्हारे हृदय में है जिससे तुम इसे कर सको। “मैंने आज तुम्हारे सम्मुख जीवन और मृत्यु, समृद्धि और विनाश रख दिया है। मैं आज तुम्हें आदेश देता हूँ कि यहोवा अपने परमेश्वर से प्रेम करो, उसके मार्ग पर चलो और उसके आदेशों, विधियों और नियमों का पालन करो। तब तुम जीवित रहोगे और तुम्हारा राष्ट्र अधिक बड़ा होगा। और यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें उस देश में आशीर्वाद देगा जिसे अपना बनाने के लिए तुम वहाँ जा रहे हो। किन्तु यदि तुम यहोवा से मुँह फेरते हो और उसकी अनसुनी करते हो तथा दूसरे देवताओं की सेवा और पूजा में बहकाये जाते हो तब तुम नष्ट कर दिये जाओगे। मैं चेतावनी दे रहा हूँ, तुम यरदन नदी के पार के उस देश में लम्बे समय तक नहीं रहोगे जिसमें जाने के लिये तुम तैयार हो और जिसे तुम अपना बनाओगे। “आज मैं तुम्हें दो मार्ग को चुनने की छूट दे रहा हूँ। मैं धरती—आकाश को तुम्हारे चुनाव का साक्षी बना रहा हूँ। तुम जीवन को चुन सकते हो, या तुम मृत्यु को चुन सकते हो। जीवन का चुनना वरदान लाएगा और मृत्यु को चुनना अभिशाप। इसलिए जीवन को चुनो। तब तुम और तुम्हारे बच्चे जीवित रहेंगे। तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर को प्रेम करना चाहिए और उसकी आज्ञा माननी चाहिए। उससे कभी विमुख न हो। क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा जीवन है, और यहोवा तुम्हें उस देश में लम्बा जीवन देगा जिसे उसने तुम्हारे पूर्वजों इब्राहीम, इसहाक और याकूब को देने का वचन दिया था।'”

व्यवस्था 30:9b-20

वाह! मूसा ने उन शब्दों में कुछ महत्वपूर्ण बातों कि घोषणा की। यह वाचा, परमेश्वर और मनुष्य के बीच इस संधि को चुनने के लिए जीवन या मौत, समृद्धि या विनाश कि बात थी। आम तौर पर, जब लोगों के बीच एक कानूनी समझौता किया जाता है, दूसरा व्यक्ति दोनों पक्षों के बीच हो रही संधि का एक हिस्सा होने के लिए गवाह बन जाता है। लेकिन इस बाध्यकारी वाचा के साथ, किसी भी मानव गवाह को निरीक्षण करने के लिए नहीं लाया जाता था। स्वर्ग और पृथ्वी कि सारी शानदार रचना यहोवा द्वारा आह्वान किये गए गवाह थे। यह वाचा एक जीवन भर के लिए नहीं थी, यह पूरे ब्रह्मांड के परमेश्वर के निर्माण से जुडी थी। इस्राएल के साथ परमेश्वर कि वाचा केवल लोगों के लिए महत्वपूर्ण नहीं थी जो तीन हज़ार पांच सौ साल पहले मोआब के मैदानों में खड़े हुए थे। सारी सृष्टि मानवता के पूरे इतिहास की गवाह थी जो उनके लिए महत्वपूर्ण था। इस्राएल पूरी दुनिया के लिए एक याजकों का राष्ट्र था। परमेश्वर इस्राएल के द्वारा पूरी मानवता और ब्रह्मांड के लिए अपने उद्धार और अपरम प्रेम को लाएगा। चाहे राष्ट्र विफल हो जाएं, यहोवा कभी नहीं विफल होता है, और पूरा ब्रह्मांड मूसा और उसका राष्ट्र जो उसके सुंदर, राजसी योजना का हिस्सा थे, उसको महिमा देंगे!