पाठ 187: भविष्यवक्ताओं का सम्मान
परमेश्वर ने इस्राएल को चुने हुए अगुवे दिए थे। वे लेवी कहलाते थे। इस्राएल के बारह गोत्रा थे। इब्राहीम का पुत्र इसहाक, इसहाक का पुत्र याकूब था जिसके बारह बेटे थे। प्रत्येक पुत्र एक गोत्र का प्रमुख था। लेवी के गोत्रा को एक विशेष उद्देश्य के लिए अलग किया गया था। वे इस्राएल के याजक होने के लिए ठहराए गए थे। जब इस्राएलियों ने वादे के देश में प्रवेश किया, अन्य ग्यारह जनजातियों में से प्रत्येक को व्यवस्थित करने के लिए भूमि का एक बड़ा खंड दिया जाएगा। प्रत्येक परिवार को स्वयं के खेत दिए जाएंगे। वे घरों का निर्माण करके उनमें बस जाएंगे। उनकी भूमि सैकड़ों वर्ष के लिए उनके परिवार की रहेगी।
केवल लेवियों को कोई भी भूमि नहीं दी जाएगी। उन्हें परमेश्वर के काम के लिए अलग किया गया था। इसके बजाय की वे खेती बाड़ी करें, उन्हें केवल परमेश्वर कि सेवा करनी होगी। उनके लिए भोजन अन्य ग्यारह जनजातियों की उदारता से आएगा। दूसरे जनजाति जब अपने अपने बलिदान और भेंट यहोवा के सामने लाएंगे, तो लेवी उन्हें वेदी पर चढ़ाएंगे। पहली फसल लाकर याजक को देनी होती थी। उनके बैल का मांस, भेड़ों से ऊन, अंगूर से बनी मदिरा, यह सब लेवीय याजक और उनके परिवारों कि जरूरतों के लिए प्रदान किया जाएगा। परमेश्वर कि सेवा करने के लिए वे इन सब कामों से मुक्त रहते थे।
लेवियों को यहोवा कि उपासना करने के लिए इस्राएल के लोगों को बुलाना होता था। उन्हें झूठी मूर्तियों से कुछ लेना देना नहीं था। मूसा ने उन्हें याद दिलाया कि उन्हें मूर्ति पूजा से दूर रहना है। ना केवल ये देवता झूठे थे, परन्तु यह अपने सच्चे परमेश्वर से विश्वासघात भी था! यह इसीलिए भी गलत था क्यूंकि अन्य धर्म की उपासना गलत थी। उनमें से कुछ बच्चों की होमबलि मांगते थे। अन्य, टोना का प्रयोग करते थे, वे जादू मंत्र करके मरे हुओं कि आत्मा को बुलाते थे। ये सब बातें परमेश्वर के लिए भयावह थीं। वह नहीं चाहता था कि उसके लोग कुछ भी ऐसा करें। लेवी और उनके लोग उनके धर्म के तरीकों के अनुसार नहीं चल सकते थे।
इस्राएल के चारों ओर बुतपरस्त राष्ट्र बहुत सी ऐसी चीज़ें करते थे जो परमेश्वर के पवित्र लोगों को करने की अनुमति नहीं थी। वे टोना और जादू के माध्यम से भविष्य का पता लगाने कि कोशिश करते थे। यहोवा ने कहा कि उसके लोगों के लिए उसके पास एक बेहतर योजना थी। जब परमेश्वर सीनै पर्वत पर अपने लोगों को लाया, तो वे अपने पवित्र परमेश्वर की भयानक उपस्थिति में थे। पहाड़ आग से दमक गया और गहरे काले बादलों से घिर गया था। उन्होंने अपने परमेश्वर को उस बिजली और आग और गड़गड़ाहट में देखा था। लेकिन वह उस तूफान के पीछे छिपा हुआ था। यहोवा ने अपने लोगों को बहुत सी बातें प्रकट कीं। वह बादलों से बोला और उन्हें दस आज्ञाएं दीं। लेकिन बहुत सी बातें गुप्त थीं।
जब परमेश्वर इस्राएलियों से बातें कर रहा था, उनके ऊपर उसका भय समा गया। वे ऐसी शक्तिशाली और भयानक उपस्थिति के कारण भय से कांप रहे थे। वे उसकी उपस्थिति के होने से चिल्ला उठे। उन्होंने कहा, "'यदि हमने यहोवा अपने परमेश्वर को दुबारा बात करते सुना तो हम जरूर मर जाएंगे!'" हमारा परमेश्वर इतना अद्धुत है। और परमेश्वर ने अपने लोगों की सुनी।
सब लोगों से बात करने के बजाय, परमेश्वर ने पहाड़ के अंधेरे से मूसा से बातें कीं। परमेश्वर ने उसे बाकि आज्ञाएं भी दीं। मूसा परमेश्वर और इस्राएलियों के बीच मध्यस्थ के रूप में था। मूसा मोआब के मैदानों में अड़तीस सालों से प्रचार कर रहा था, और वह लोगों को परमेश्वर के नियमों को सिखाता रहा।अब उसका समय कम हो गया था। वह बहुत लंबे समय के लिए अपने लोगों के साथ नहीं होगा। जब मूसा चला जाएगा, तब परमेश्वर और उसके लोगों के बीच कौन मध्यस्थता करेगा? यहोवा ने कहा;
'''मैं तुम्हारी तरह का एक नबी उनके लिए भेज दूँगा। यह नबी उन्हीं लोगों में से कोई एक होगा। मैं उसे वह सब बताऊँगा जो उसे कहना होगा और वह लोगों से वही कहेगा जो मेरा आदेश होगा। यह नबी मेरे नाम पर बोलेगा और जब वह कुछ कहेगा तब यदि कोई व्यक्ति मेरे आदेशों को सुनने से इन्कार करेगा तो मैं उस व्यक्ति को दण्ड दूँगा।’"'"
परमेश्वर ने वादा किया कि उसके लोगों से बात करने के लिए वह नबियों को भेजेगा। उसने अपने आप को अपने चुने हुए लोगों को प्रकट करना समाप्त नहीं किया था। लेकिन वे कैसे जानेंगे की परमेश्वर के वचन को एक नबी सही मायने में बताएगा? यहोवा कहता है;
"यदि कोई नबी कहता है कि वह यहोवा की ओर से कुछ कह रहा है, किन्तु उसका कथन सत्य घटित नहीं होता, तो तुम्हें जान लेना चाहिए कि यहोवा ने वैसा नहीं कहा। तुम समझ जाओगे कि यह नबी अपने ही विचार प्रकट कर रहा था। तुम्हें उससे डरने की आवश्यकता नहीं।"
एक नबी इस आदर और सम्मान के योग्य तभी होता है जब वह सच्चा वचन देता है। एक झूठे नबी से डरने की कोई बात नहीं थी, क्यूंकि उसके पास परमेश्वर की शक्ति नहीं होती है!