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पाठ 155 : नीले गुच्छे

इस्राएल के देश के भयानक और हतोत्साहित घटनाओं के बीच में, परमेश्वर वादा करने कि आशा देता रहा। उसने उनके साथ उस दिन के बारे में बात की जब वे उस देश में प्रवेश करेंगे। उसने अगली पीढ़ी के बच्चों से जीवन के विषय में बातें कीं, की किस प्रकार उन्हें अपने जीवन को जीना है।

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पाठ 156 : कोरह का विद्रोह भाग 1

मानव जाति बहुत पापी है। एक उच्च और पवित्र परमेश्वर है जो आशीर्वाद देना चाहता है, और फिर भी जिस मनुष्य को उसने बनाया वह अपने ऊपर शाप लाता रहा। यहां तक की जिस राष्ट्र पर परमेश्वर ने अपने कीमती वादे बाध्य किये थे, वे भी पाप और विद्रोहकिही समस्या में पड़े हुए थे।

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पाठ 157 : कोरह का विद्रोह भाग 2

मूसा ने कोरह और उसके साथ के लोगों को उनकी धूपदानी को लेकर मंदिर में आने को कहा। वे स्वयं परमेश्वर से जान जाएंगे किकौन इस्राएल का महायाजक होने के लिए बुलाया गया था।

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पाठ 158 : कोरह के विद्रोह भाग 3

अचानक, जब मूसा ने यह बताना समाप्त किया कि पृथ्वी कोरह और उसके दुष्ट भागीदारों को निगल जाएगी, पृथ्वी गड़गड़ाने और हिलने लगी। पृथ्वी में दरार पड़ने लगी और वह विभाजित होने लगी। वह एक महान मुंह की तरह खुली और कोरह और दातान और अबीराम को निगल लिया।

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पाठ 159 : पत्थर से पानी निकलना-मूसा का बड़ा नुकसान

इस्राएल का राष्ट्र उनके घातक विद्रोह के बाद अड़तीस साल तक मरुभूमि में फिरता रहा। जब परमेश्वर ने उन्हें लाल सागर के पानी के माध्यम से निकाला था, तो जो प्रौढ़ पीढ़ी थी वह मर रही थी। उन्हें बंजर भूमि में गाड़ दिया गया, जब राष्ट्र यहोवा के निर्देशन के अनुसार जगह जगह भटक रहा था।

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पाठ 160 : एदोम की अस्वीकृति और हारून की मौत

अब समय आ गया था किइस्राएल का राष्ट्र यात्रा पर निकले, लेकिन उनका रास्ता उन्हें दूसरे देश में ले गया। यह एदोम देश था, और ये वे लोग नहीं थे जिन्हें परमेश्वर ने जीत के लिए इस्राएल को बुलाया था। परमेश्वर ने उन लोगों के साथ शांति बनाए रखने के लिए मूसा से कहा था।

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पाठ 161 : अमोरियों को बाहर निकालनाभाग 1: राजा सीहोन

वादे के देश तक पहुँचने के लिए इस्राएली अपनी खोज में कूच करते रहे। मरुभूमि में कई साल भटकने के बाद, वे ऐसे क्षेत्रों में जा रहे थे जहां और अधिक शहर और कसबे, और लोग थे। वे ऐसे देशों में पहुंचे जहां सैकड़ों वर्षों से लोग बेस हुए थे।

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पाठ 162 : एमोरी के लोगों को बाहर निकालना भाग II: राजा ओग

इस्राएलियों ने एमोरी लोगों के साथ अपनी लड़ाई समाप्त नहीं की थी। वे बहुत अधिक थी! मूसा ने गुप्तचरों को याजेर नगर पर निगरानी के लिए भेजा। इस्राएल सेना जल्दी से लड़ाई करने के लिए गई और उन्हें विजय प्राप्त हुई। तब वे उत्तर पूर्व गलील के सागर के क्षेत्र की ओर निकल पड़े।

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पाठ 163 : बलाक राजा का नबी बिलाम के पास जाना

वाह। जिस परमेश्वर ने इस्राएल को मिस्र पर विजय दिलाई, वही परमेश्वर इस्राएल के आगे आगे चल रहा था और उन्हें कनान देश पर विजय दिला रहा था। उन्होंने कितना जश्न मनाया होगा!एमोरी एक शक्तिशाली प्रजा थी।

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पाठ 164 : बिलाम और उसका बोलने वाला गधा

बिलाम के गधे ने यह साबित कर दिया की उसकी आँखें आध्यात्मिक बातों कि ओर उसके अपने मालिक से बेहतर थीं। परमेश्वर का पराक्रमी स्वर्गदूत अपनी तलवार लिए उनके सामने खड़ा हुआ था।

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पाठ 165 : बिलाम की अंतिम भविष्यवाणी और महान, श्रेष्ठ वादा

बालाक इन सब से थक चुका था। जितनी बार वह बिलाम को इस्राएल को अभिशाप देने को कहता था, एक बहुत बड़ा आशीर्वाद आता था! उसने बालाम को पर्वत पर उसके साथ आने के लिए बिनती की। जब वे वहां पहुंचे, उन्होंने मोआब के मैदानों पर नीचे इस्राएलियों के डेरे को देखा।

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पाठ 166 : इस्राएली पुरुषों का मिद्यानी स्त्रियों के साथ पाप में गिरना

यहोवा के इस्राएलियों के प्रति उसकी वफ़ादारी के विषय में पढ़ना कितना आश्चर्यजनक है। उसने उन्हें एमोरी के लोगों पर विजय दिलाई थी।फिर उसने सबसे बड़े बुतपरस्त नबी को मोआबी को इस्राएल के प्रति अपने प्रेम को दिखाने के लिए उसे इस्तेमाल किया।

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पाठ 167 : आक्रमण की तैयारी और मिद्यानियों पर कब्ज़ा

गिनती किकिताब के शुरुआत में, परमेश्वर ने बीस साल के ऊपर के पुरुषों की गिनती लेने के लिए मूसा और हारून से कहा। प्रत्येक जनजाति को उनके नाम और उम्र का पता मूसा को देना था, जो युद्ध में लड़ने में सक्षम होंगे। 603,550 वे पुरुष थे जो लड़ सकते थे। इन लोगों को परमेश्वर की सेना होना था जो, कनान पर हमला कर सकते थे।

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पाठ 168

जब परमेश्वर इस्राएल के राष्ट्र को अपनी भूमि को प्राप्त करने में मदद कर रहा था, वह उन्हें एक जबरदस्त बदलाव के लिए भी तैयार कर रहा था। मूसा जो उसका प्रिय सेवक था, अपने लोगों के साथ वादे के देश में नहीं जाने वाला था।

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पाठ 169 : एक स्त्री का महत्व

जिस समय इस्राएली एक समुदाय के रूप में एक साथ रह रहे थे, उनके पास उलझन में डालने वाले नए मामले अदालत में आ रहे थे। न्यायाधीश के लिए सही बात करना कठिन होगा क्यूंकि कानून सही उत्तर नहीं दे पाएगा।

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पाठ 170 : मिद्यानियों का कठिन तरीकों से सीखना

इस्राएलियों के कनान देश में स्थानांतरित करने का समय नज़दीक आ गया था। अभी भी उन्हें कुछ अधूरे काम करने बाकि थे जिस समय वे मोआब के मैदानों पर डेरा लगाये हुए थे। बिलाम जो एक नबी था, उसने इस्राएल के पुरुषों को विचलित करने के लिए मिद्यानी महिलाओं को आश्वस्त किया था।

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पाठ 196: हृदय की सुन्नत के माध्यम से वाचा का नवीकरण

मूसा यरदन के पूर्व, मोआब में इस्राएल के राष्ट्र के सामने खड़ा था। लोगों के लिए अपने अंतिम सन्देश में, उसने देखा की वह राष्ट्र यहोवा की महान सच्चाई और महान विफलता, दोनों से गुज़रेगा।

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पाठ 197: यहोवा की यथार्थवादी आवश्यकताएं - सृष्टि द्वारा गवाही देना

परमेश्वर वास्तव में अपने लोगों के पूरे दिल और जान को चाहता था। वह उनकी पूरी भक्ति को चाहता था, और वह उनकी इच्छाओं और आशाओं को पूरी तरह से अपने ऊपर लेना चाहता था। और कमाल की बात यह है कि यह संभव हो सकता था। उनका अच्छा और पवित्र परमेश्वर उनसे कोई असंभव चीज़ की मांग नहीं करेगा।

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पाठ 198: मशाल को पार करना - मूसा से यहोशू को

यहोवा ने, जो इस्राएल का परमेश्वर है, मिस्र से उन सब लोगों को ग़ुलामी से बचाया जिनके साथ उसने सबसे पहले अपनी वाचा को बनाया था। अड़तीस साल बाद, मूसा ने मोआब के मैदानों पर इस्त्राएलियों की अगली पीढ़ी के साथ बात की। पूरा देश यरदन नदी के पास डेरा लगाया हुआ था। दूसरी तरफ वो देश था

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पाठ 199: पवित्र स्मरण का एक गीत

यहोवा ने मूसा से कहा,“'अब तुम्हारे मरने का समय निकट है। यहोशू को लो और मिलापवाले तम्बू में जाओ। मैं यहोशू को बताऊँगा कि वह क्या करे।'”

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