पाठ 166 : इस्राएली पुरुषों का मिद्यानी स्त्रियों के साथ पाप में गिरना
यहोवा के इस्राएलियों के प्रति उसकी वफ़ादारी के विषय में पढ़ना कितना आश्चर्यजनक है। उसने उन्हें एमोरी के लोगों पर विजय दिलाई थी।फिर उसने सबसे बड़े बुतपरस्त नबी को मोआबी को इस्राएल के प्रति अपने प्रेम को दिखाने के लिए उसे इस्तेमाल किया। इससे ज़्यादा वह और क्या दिखा सकता था की वे जानें की वह उनकी उपासना और दिल से की गयी आज्ञाकारिता के योग्य था। परमेश्वर उन्हें अपना कह कर, उन्हें एक सर्वोच्च सम्मान दे रहा था। वे उस दिव्य राजा के लोग थे, जो पूरे ब्रह्मण के ऊपर विराजमान था। क्या इस्राएली भी अपने परमेश्वर के प्रति वही भक्ति दिखा सकेंगे? क्या वे उसे अपना प्यार दिखा कर उसे सम्मान देंगे?
मूसा और हारून ही अकेले नहीं थे जो यहोवा के प्रति वफ़ादार थे। बहुत से इस्राएली अपने परमेश्वर से प्रेम करते थे और उसके पीछे चलना चाहते थे। लेकिन वे एक पूर्ण प्रजा कहलाते थे। अब क्यूंकि वे और देशों के करीब डेरा डाले हुए थे, उनके सामने नईं परीक्षाएं थीं। मरुभूमि उनके लिए एक फिरने की जगह थी, लेकिन वह उनके लिए एक सुरक्षित जगह भी थी। वे उन लोगों से दूर थे जो झूठे देवताओं को पूजते थे और दुष्ट अनैतिकता में जी रहे थे। परमेश्वर ने अपने लोगों को अपने लिए चुन लिया था।
नए पड़ोसी नई परीक्षाएं ला रहे थे, और इस्राएल के कुछ पुरुष इन दुष्ट योजनाओं के जाल में गिर रहे थे। बिलाम जो एक नबी था, इस्राएल के राष्ट्र को गिराने में उसका हाथ था। यह शाप के द्वारा नहीं आएगा, यह इस्राएल के पाप करने और परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह करने के उनके निर्णय के माध्यम से आएगा। उनकी योजना उन्हें स्वयं को नष्ट करने के लिए थी।
बिलाम ने मिद्यानि स्त्रियों को सलाह दी की वे इस्राएल पुरुषों के साथ दोस्ती करें ताकि वे अपनी इस्राएली स्त्रियों से दूर हो जाएं। वे उन्हें बाल किवेदियों के पास लाये, जो कनानी देवता थे, और उन्हें उनकी उपासना करना सिखाया। फिर उन्होंने उन्हें बहका कर विवाह का और इस्राएल की पवित्रता का अपमान कराया। हज़ारों इस्राएली पुरुष छुप छुप कर ऐसे महान कपट के कामों को करने लगे। वे परमेश्वर और उनकी पत्नियों के साथ विश्वासघात कर रहे थे! यह एक प्रतिकारक व्यभिचार था, और यहोवा गुस्से से जल रहा था।
इस्राएल कि पूरी सभा मिलापवाले तम्बू के द्वार पर मिली और उनके आदमियों के भयानक पापों के लिए पश्चाताप और दु: ख मनाया। न्याय की विपत्ति इन राष्ट्रों पर गिर रहा था, जिससे सैकड़ों लोग मारे जा रहे थे। परमेश्वर ने मूसा से कहा की प्रत्येक जाती से एक अगुवे को चुना जाये जो ऐसे लोगों को मृत्यु दें जोन्होने पाप और विद्रोह किया था। उन्हें उनके मृत शरीर को लेकर दिन के उजाले में बाहर लाकर रखना होगा ताकि लोग उनके शर्मनाक कर्मों को देख सकें।
जब वफ़ादार इस्राएल प्रार्थना कर रहा था, एक इस्राएली व्यक्ति एक मिद्यानी स्त्री के साथ अपने पाप को दिखाते हुए उनके पास से गुज़रा। उसने अपने लोगों की ओर परमेश्वर की पवित्रता की परवाह नहीं की। वह उच्च परमेश्वर के मंदिर के सामने से अपने दुष्ट के रास्ते पर निकला। वह उस स्त्री के साथ पाप करने के लिए अपने ही तम्बू में चला गया।
हारून के मरने के बाद एलीआजर को महायाजक बनाया गया। वह अपने बेटे, पीनहास, मूसा, और परमेश्वर के वफ़ादार इस्राएलियों के साथ मिलापवाले तम्बू के द्वार पर खड़ा था। जब पीनहास ने देखा किवह व्यक्ति परमेश्वर की उपस्थिति के सामने इतनी मूर्खता के साथ विद्रोह कर रहा था, तो वह क्रोध से भर गया। उसने एक भाला उठाया और उस दुष्ट जोड़ी के तम्बू में चला गया। उसने इस्राएली पुरुष और मिद्यानी स्त्री को अपने भाले से मार डाला। उसने अपने भाले को दोनों के शरीरों के पार कर दिया। उन्हें डेरे में पाप के प्रदूषण को लाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
परमेश्वर पीनहास किवफ़ादारी से बहुत खुश था। उसने उस विपत्ति को डेरे में आने से रोक दिया। चौबीस हज़ार लोग पहले से ही मर चुके थे। यहोवा ने मूसा से कहा की यह पीनहास किपरमेश्वर के सम्मान के प्रति वफ़ादारी है जिसने डेरे को बचाया है। और परमेश्वर ने पीनहास और उसके सभी वंश के साथ शांति की एक विशेष वाचा बनाई। वे इस्राएल के स्थायी याजक होंगे, और वे परमेश्वर किविशेष, शक्तिशाली आशीष के साथ जाएंगे।
जिस व्यक्ति ने पूरे राष्ट्र के समक्ष पाप किया था वह शिमोन के पूरे कबीले का अगुवा था। उसका अनैतिकता में ऐसा काम करना, या उस स्त्री को लाकर एक अनैतिकता प्रतिबद्ध किया हो, ये एक अनुष्ठान के कार्य थे। बाल के धर्म में, उनके देवता को खुश करने के लिए एक शरीर को दूसरे को सौंपना होता है जिस प्रकार केवल एक पति पत्नी के बीच होता है। उन्होंने व्यभिचार को उपासना के रूप में इस्तेमाल किया और मूर्तियों के साथ हेर-फेर करना चाहा ताकि वे वो पा सकें जो उन्हें चाहिए होता है। यहोवा ने बाल से और किसी भी प्रकार के विद्रोही, अपमान अनुष्ठानों से दूर रहने के लिए उन्हें आज्ञा दी। शिमोन के कबीले के अगुवे सबसे संभव तरीकों से विद्रोह कर रहे थे। परमेश्वर ने मूसा से कहा की वह मिद्यानी लोगों को, उनके कामों के कारण, इस्राएल का दुश्मन समझे।