पाठ 169 : एक स्त्री का महत्व

गिनती 30

जिस समय इस्राएली एक समुदाय के रूप में एक साथ रह रहे थे, उनके पास उलझन में डालने वाले नए मामले अदालत में आ रहे थे। न्यायाधीश के लिए सही बात करना कठिन होगा क्यूंकि कानून सही उत्तर नहीं दे पाएगा। मूसा और न्यायाधीशों को परमेश्वर के शब्दों को देखना होगा और उसकी इच्छा को जानना होगा। परमेश्वर की नई दिशाओं से, वे नए और विस्तृत कानूनों को बनाएँगे, जिनसे इस्राएली परमेश्वर को प्रसन्न करने वाली बातों को सही तरीके से समझ सकेंगे। 

 

इस का एक उदाहरण परमेश्वर के सामने प्रतिज्ञा लेने में किया गया था। यह एक बहुत ही गंभीर बात थी। यह पवित्र परमेश्वर के लिए एक वादा बनाने की तरह था। परमेश्वर अपने वादे को कभी नहीं तोड़ता है। यह बहुत महत्वपूर्ण था की इस्राएल के लोग वायदों को सही मायने में लें और उन्हें सावधानी से पूरा करें। 

 

इस्राएल में जब एक व्यक्ति परमेश्वर के लिए एक प्रतिज्ञा लेता है, परमेश्वर उसे पूरा करने का वायदा करता है। यह एक दायित्व था, और वह उसे नहीं तोड़ सकता था। परमेश्वर का वचन कीमती और मूल्यवान है। वह चाहता है की उसके लोग उसकी तरह पवित्र और शुद्ध हों। वह चाहता था कि वे अपने शब्दों का मूल्य जानें और उसे ना तोड़ें। 

 

इस्राएल में, महिलाओं को पुरुषों से विशेष संरक्षण दिया जाता था। उनके पिता उनकी देखभाल करते थे और उनकी रक्षा करते थे। वे परिवार के कीमती जवाहरात थे, जिन्हें विवाह में एक दिन दे दिया जाएगा। पिता और बेटे और माताएं उसके विवाह के लिए एक अच्छा जवान व्यक्ति चुनेंगे। जब वे शादी कर लेते हैं, तब पति उसका रक्षक और गाइड बन जाता है। इस्राएल की लड़कियों के लिए यह कितना अद्भुत है जब परमेश्वर कि सुंदर योजना धार्मिकता में बनाई गई थी। वे अपने पिता को सम्मान और प्रेम दिखाने में बड़ी हुईं थीं, और यह उनके पति के लिए स्थानांतरण होगा। पत्नियों और माताओं के रूप में उनकी भूमिका क़ीमती होगी। यह कम कभी नहीं हुआ था, और महिलाओं के दिल ख़ुशी से भर जाते थे जब उन्हें परमेश्वर की अद्भुत भूमिका निभाने के लिए स्वतंत्रता दी जाती थी। यह एक पति के लिए शर्म कि बात होती थी यदि उसकी पत्नी का अच्छी तरह से ख्याल नहीं रखा गया। जो इस्राएली परमेश्वर की धार्मिकता में चलते थे, वे अपनी पत्नियों और बच्चों को सबसे कीमती उपहार दिया करते थे। उन्हें सही नेतृत्व, समर्पित प्रेम, और सिद्ध धार्मिकता प्राप्त होती थी। 

 

इस्राएल में स्त्रियों को एक विशेष और सबसे महत्वपूर्ण भूमिका दी जाती थी। जिस प्रकार सारा और रिबका और राहेल और लिआ उनके समर्पित पति के साथ एक सम्मानित भूमिका निभाती थीं, उन्हें बेहद सम्मान मिलता था। उनके शब्द और इच्छाएं उनके पति के लिए महत्वपूर्ण थीं। और इतिहास में उनकी बुलाहट परमेश्वर के लिए महत्वपूर्ण थी। परमेश्वर ने मूसा से वादा किया था की वह उसके वंशज को आकाश के सितारों की तरह बनाएगा। और यह जितना उसके पति के लिए था उतना ही सारा के लिए भी यह वादा था। कोई दूसरी औरत परमेश्वर के पवित्र लोगों के राष्ट्र के निर्माण के लिए पुत्र नहीं जन सकती थी। इसहाक सारा का पुत्र था, और इब्राहिम और सारा के विवाह के पवित्र वाचा के माध्यम से परमेश्वर ने एक पवित्र राष्ट्र के निर्माण का वादा किया था। 

 

इस्राएल के पुरुषों को बहुत ज़िम्मेदारी दी जाती थी। रक्षा और मार्गदर्शन करना उनका काम था। उन्हें घर की देखरेख और सब कुछ प्रदान करना होता था। अक्सर वे अपने भाइयों और बहनों और बच्चों का बोझ भी अपने ऊपर उठाते थे। ऐसे निर्णयों को लेने के लिए पुरुषों को आदर और सम्मान देना बहुत महत्वपूर्ण था। परमेश्वर उन्हें बुद्धि और अंतर्दृष्टि के साथ आशीर्वाद देगा।

 

पर क्या यदि कोई पत्नी या बेटी परमेश्वर के साथ कोई वादा करती है जिसके बारे में उनके पति या पिता को नहीं मालूम? क्या यदि उसने ऐसी बातों में अपने आप को मजबूर कर लिया हो जिसे उसका परिवार समर्थन नहीं दे सकता? क्या अगर वह कोई ऐसा वादा जल्दबाज़ी में करती है और उसका पति उससे सहमत नहीं होता है? यदि एक लड़की या स्त्री ने पहले उसके विषय में अपने पिता या पति को नहीं बताया, तो क्या वे उसे वो काम करने देंगे क्यूंकि उसने परमेश्वर के साथ वादा कर लिया है? एक दूसरे के साथ इन वाचाओं के द्वारा हेरफेर करना कितना एक आसान तरीका लगता है। यह एक परिवार का जीवन बहुत ही दर्दनाक और जटिल बना सकता है।

 

परमेश्वर ने मूसा को नियम दिए थे जिनके द्वारा वह राष्ट्र किमदद कर सकता था ताकि वे जानें की उन्हें क्या करना है। उसने प्रत्येक जाती के प्रमुख को आदेश दिया की एक पुरुष वाचा को रखने के लिए बाध्य है। यदि एक लड़की जिसने अपने पिता के घर में एक वाचा बांधी है, और उसके पिता को उसके बारे में मालूम होता था, तो उसकी वाचा स्थिर रहेगी। जो कुछ उसने कहा है परमेश्वर उसका आदर करेगा और उसे पालन करने के लिए वह उसे सम्मान और आदर देगा। लेकिन यदि उसके पिता उसे उस वाचा को करने से रोकते हैं, तो परमेश्वर उसे उससे छुड़ाएगा। उसके पिता के मार्गदर्शन और संरक्षण के कारण, वह उसे पूरा करने से मुक्त होगी। 

 

यही एक पत्नी और उसके पति के लिए भी लागू होता था। एक पति या पिता अपनी स्त्रियों को मुक्त कर सकते थे, परन्तु इसे सुनने के बाद भी यदि वे नज़रअंदाज़ करते हैं, तो यह एक सहमति के ठप्पे कितरह होगा। 

 

महत्त्व देना... उनका मूल्य उनके निर्णय लेने में नहीं है, इस्राएल किमहिलाएं अपर्याप्त नहीं थीं-यह कोई मूल्य कि समस्या नहीं थी ... विभिन्न कार्य ... वह अभी भी निवेश कर सकती थी ...प्रत्येक भूमिका कि विशिष्टता पर ज़ोर देना और अधिक अधिकार और महिलाओं की सुरक्षा का प्रतिभार करना ... ... उनका सम्मान ... परमेश्वर का सही इरादा...