पाठ 167 : आक्रमण की तैयारी और मिद्यानियों पर कब्ज़ा
गिनती किकिताब के शुरुआत में, परमेश्वर ने बीस साल के ऊपर के पुरुषों की गिनती लेने के लिए मूसा और हारून से कहा। प्रत्येक जनजाति को उनके नाम और उम्र का पता मूसा को देना था, जो युद्ध में लड़ने में सक्षम होंगे। 603,550 वे पुरुष थे जो लड़ सकते थे। इन लोगों को परमेश्वर की सेना होना था जो, कनान पर हमला कर सकते थे।
जब इस्राएल उनकी भूमि में आया, वे लोग भयभीत हो गए। उन्होंने कालेब और यहोशू की रिपोर्ट में विश्वास नहीं किया। उन्होंने परमेश्वर की शक्ति में विश्वास नहीं किया। परमेश्वर ने उनकी पीढ़ी होने के उस विशेषाधिकार और आशीर्वाद को उनसे छीन लिया जिसके द्वारा वे अपनी भूमि में अपने बच्चों को ला सकते थे। वे अड़तीस साल तक फिरते रहे।
वो महान, यात्रा करने वाला राष्ट्र अंत में वादे के देश में लौट आया था। वे यरदन नदी किनारे बैठ कर उस देश की ओर देख रहे थे जो जल्द उनका हो जाएगा। एक बार फिर, परमेश्वर ने इस्राएल के सभी पुरुषों की जनगणना लेने के लिए मूसा से कहा। यह बीस साल से ऊपर के पुरुषों कि दूसरी पीढ़ी की जनगणना थी। क्या राष्ट्र बढ़ गया था? क्या पहले से अधिक पुरुष हो गए थे? क्या परमेश्वर ने आकाश के तारों की तुलना में इब्राहीम के वंशज को बढ़ाने का वादा अब भी जारी रखा था? जब दूसरी जनगणना हुई, तब इस्राएल पुरुषों की संख्या जो बीस वर्ष के ऊपर के थे, 601, 730 थी। वे पहले किपीढ़ी से कम थे।
परन्तु परमेश्वर दयालु और अनुग्रहकारी है। वह विलंभ से क्रोध करता है और भरपूर प्रेम करता है। इस्राएलियों ने बहुत पाप किया था, और उनके पाप ने परमेश्वर के आशीर्वाद को सीमित कर दिया था। परमेश्वर न्यायी है, लेकिन उसने अभी समाप्त नहीं किया था। वह अपने लोगों को आशीर्वाद देता रहेगा। जनगणना के अनुसार मूसा यह तय कर पाएगा किजब वे कनान पर आक्रमण करेंगे, तब प्रत्येक जनजाति को कितनी ज़मीन देनी है। प्रत्येक जनजाति ज़मीन को छोटे भागों में अनुभाग करेगा। ये छोटे भाग उनके प्रत्येक परिवार को दिया जाएगा। इस्राएल के देश में हर परिवार अपने स्वयं के खेत से अपने जीवन की शुरुआत कर पाएगा। हर एक परिवार आशीर्वाद के साथ शुरू करेगा। जनगणना करने से मूसा को मालूम हो गया किप्रत्येक जनजाति में कितने पुरुष और परिवार हैं। जिस जनजाति में अधिक लोग हैं उन्हें अधिक भूमि दी जाएगी। जिस जनजाति में कम लोग होंगे उन्हें कम भूमि प्राप्त होगी।
यह कितना दिलचस्प है किजितने वर्ष वे मरुभूमि में भटके, अड़तीस हज़ार लोग दुष्टता के कारण मर चुके थे। यह एक जनजाति के लिए बहुत बड़ा नुकसान है किउनके इतने लोग मर गए। जिस जनजाति के सबसे अधिक दुष्ट लोग और सबसे ज़्यादा विद्रोह करने वाले लोग थे, उन्हें कम भूमि प्राप्त होगी। जो जनजाति परमेश्वर का सम्मान करती है, उसके पास अधिक पुरुष और परिवार होंगे। उन्हें और अधिक भूमि प्राप्त होगी। परमेश्वर को ठेठों में नहीं उड़ाया जा सकता और न ही उसे बेवकूफ़ बनाया जा सकता है। वह सिद्ध न्याय करने वाला परमेश्वर है। उसकी सेवा धार्मिकता के साथ किजानी चाहिए। जितने पुरुष दूसरी जनगणना में गिने गए थे, वे पहली पीढ़ी से नहीं थे। वे सब के सब मरुभूमि में मर चुके थे। केवल मूसा, कालेब, और यहोशू ही रह गए थे।
कुछ स्त्रियां मनश्शे किगोत्रा में से मूसा के पास एक समस्या को लेकर आयीं। उनके पिता, जो एक धर्मी व्यक्ति थे, बाकि पीढ़ी के लोगों की तरह मरुभूमि में मर गए थे। वे मूसा और हारून के खिलाफ़ कोरह के विद्रोह में शामिल नहीं हुए थे। लेकिन उनके कोई पुत्र नहीं था। उन्होंने पीछे बेटियां छोड़ दीं थीं। वे मदद के लिए, मिलापवाले तम्बू के द्वार पर मूसा से मिलने आयीं। वे अपनी बिन्तियों को एलीआजर और राष्ट्र के अगुवों के सामने लेकर आयीं। आम तौर पर इस्राएल में, एक आदमी किविरासत उसके बेटों को मिलती थी। पहलौठे पुत्र को छोड़ प्रत्येक बेटे को एक समान मिलता था। उसे दुगना मिलता था। उसे दुगना काम भी करना पड़ता था। पिता किमौत के बाद उसे पूरे परिवार की देखभाल करनी पड़ती थी। इस आदमी के कोई पुत्र नहीं था। क्या उसे कोई भूमि नहीं मिलेगी? क्या उसका नाम इस्राएल से मिट जाएगा क्यूंकि उसके कोई पुत्र नहीं था जो उसकी विरासत को अपना सके?
मूसा महिलाओं की चिंता के साथ परमेश्वर के सामने गया। परमेश्वर ने कहा;
"'पुत्रियाँ ठीक कहती हैं। तुम्हें उनके चाचाओं के साथ—साथ उन्हें भी भूमि का भाग अवश्य देना चाहिए जो तुम उनके पिता को देते।'" (गिनती 27: 7)।
वाह। यह कितना असामान्य है। अधिकांश राष्ट्र महिलाओं को इस तरह से रक्षा या उनको अधिकार प्रदान नहीं करते थे। लेकिन यह आदेश केवल इस कहानी किमहिलाओं के लिए ही नहीं था। यह पूरे देश के लिए एक फरमान बन गया था! परमेश्वर ने कहा;
"'इसलिए इस्राएल के लोगों के लिए इसे नियम बना दो। यदि किसी व्यक्ति के पुत्र न हों और वह मर जाए तो हर एक चीज़ जो उसकी है, उसकी पुत्री की होगी। यदि उसे कोई पुत्री न हो तो, जो कुछ भी उसका है उसके भाईयों को दिया जाएगा। इस्राएल के लोगों में यह नियम होना चाहिए। यहोवा मूसा को यह आदेश देता है।'”(गिनती 27: 8-9; 11b)