पाठ 164 : बिलाम और उसका बोलने वाला गधा
बिलाम के गधे ने यह साबित कर दिया की उसकी आँखें आध्यात्मिक बातों कि ओर उसके अपने मालिक से बेहतर थीं। परमेश्वर का पराक्रमी स्वर्गदूत अपनी तलवार लिए उनके सामने खड़ा हुआ था। गधे ने जाने से इनकार कर दिया था, और बिलाम अपने अंधेपन में अपने ही जानवर को मार रहा था क्यूंकि वह नहीं देख पा रहा था कि सामने क्या है। जब परमेश्वर ने अंत में उसकी आँखें खोली, उसने उस शानदार दूत को देखा और मुँह के बल गिर गया।
'''तुमने अपने गधे को तीन बार क्यों मारा? तुम्हें मुझ पर क्रोध से पागल होना चाहिए। मैं तुमको रोकने के लिए यहाँ आया हूँ। तुम्हें कुछ अधिक सावधान रहना चाहिए। गधे ने मुझे देखा और वह तीन बार मुझसे मुड़ा। यदि गधा मुड़ा न होता तो मैंने तुमको मार डाला होता। किन्तु मुझे तुम्हारे गधे को नहीं मारना था।'”
बिलाम को अपनी मूर्खता पर पछतावा हुआ, और कहा कि यदि यह दूत की इच्छा है तो वह घर लौट जाएगा।
परमेश्वर के दूत ने बालाम को मोआबिन के लोगों के साथ जाने को कहा। लेकिन उसे लापरवाही और बेतहाशा तरीके से पेश नहीं आना है। दूत का दिखना बिलाम के दिल में भय और घबराहट को लाना था। यह एक साधारण काम नहीं था। यह एक गंभीर बात थी। मोआबिन का राजा परमेश्वर के लोगों को नष्ट करने की कोशिश कर रहा था! दूत ने बिलाम को आदेश दिया किवह वैसा ही करे जैसा उसे आज्ञा दी गयी है। न कम न ज़्यादा। वह मोआब के मानव राजा के चाहने के अनुसार नहीं कर सकता था। वह केवल इस्राएल के दिव्य राजा के आदेश का पालन कर सकता था।
जब वह लोग मोआब में पहुंचे, राजा बालाक उन्हें मिलने बाहर आया। उसने बिलाम को तुरंत नहीं लौटने के लिए डांटा। बिलाम ने कहा कि वह केवल परमेश्वर के कहने के अनुसार ही कर सकता था।
बिलाम ने राजा को सात वेदियां बनाने के लिए कहा। उन्हें सात बैल और सात मेढ़े बलिदान चढ़ाने के लिए लाने थे। बुतपरस्ती में, परमेश्वर की इच्छा जानने के लिए वे इन जानवरों के कलेजो को निकालते थे। लेकिन इस बार यह ऐसा नहीं होने वाला था। इस बार, परमेश्वर बिलाम से सीधे बात करने जा रहा था।
बलिदान शुरू होने से पहले, बिलाम एक बंजर जगह पर गया। परमेश्वर ने उसके साथ वहाँ भेंट की और बालाक के लिए उसे एक संदेश दिया। उसने उससे एक कविता के रूप में बात की, जो नबी परमेश्वर से मिले सन्देश को इस रीती से देते हैं। बाइबिल कहती है;
"'मोआब के राजा बालाक ने
मुझे आराम से बुलाया पूर्व के पहाड़ों से।
बालाक ने मुझसे कहा
‘आओ और मेरे लिए याकूब के विरुद्ध कहो, आओ
और इस्राएल के लोगों के विरुद्ध कहो।’
परमेश्वर उन लोगों के विरुद्ध नहीं है,
अतः मैं भी उनके विरुद्ध नहीं कह सकता।
यहोवा ने उनका बुरा होने के लिए नहीं कहा है।
अतः मैं भी वैसा नहीं कर सकता।
मैं उन लोगों को पर्वत से देखता हूँ।
मैं ऐसे लोगों को देखता हूँ
जो अकेले रहते हैं।
वो लोग किसी अन्य राष्ट्र के अंग नहीं हैं।
याकूब के लोग बालू के कण से भी अधिक हैं।
इस्राएल के लोगों की चौथाई को भी
कोई गिन नहीं सकता।
मुझे एक अच्छे मनुष्य की तरह मरने दो,
मुझे उन लोगों की तरह ही मरने दो।'”
गिनती 23: 7 बी-10
बालाक को विश्वास नहीं हुआ। वह बिलाम को यहां तक लाया था, और अब वह अपने दुश्मन को शाप देने से इनकार कर रहा था! "'तुमने हमारे लिए क्या किया है मैंने तुमको अपने शत्रुओं के विरुद्ध कुछ कहने को बुलाया था। किन्तु तुमने उन्हीं को आशीर्वाद दिया है।'”
लेकिन बिलाम ने कहा किवह केवल वही बोल सकता था जो परमेश्वर ने उससे कहा था! कितना अद्भुत है! जिस समय इस्राएल यरदन नदी के किनारे पर डेरे डाले हुए था, यहोवा उनके शत्रुओं के दिल में काम कर रहा था! वह अपने नबी के द्वारा उस प्रसिद्ध नबी को दिखा रहा था, जो अपने लोगों के प्रति रक्षात्मक और वफ़ादार था, और वह उन्हें आशीर्वाद देना चाहता था। मोआब का राजा जान गया था किअब वह मुसीबत में था। वह अपने स्वयं के नबी से भी शाप नहीं करवा सकता था!
बालाक संघर्ष कर रहा था। इस्राएलियों के ऊपर अभिशाप लाने के लिए वह कुछ भी करेगा! उसने बालाक को दूसरे स्थान पर चलने को कहा जहां वह फिर से कोशिश करेगा। उसने सोचा की यदि वे ऐसी जगह जाते हैं जहां से बिलाम पूरे इस्राएल के डेरे को नहीं देख सकेगा, तो वह उन्हें शाप दे पाएगा। मोआब के झूठे देवताओं के लिए बैल के बलिदान के लिए सात वेदियों को तैयार किया गया, लेकिन बिलाम परमेश्वर से सुनने के लिए एक तरफ़ चला गया। एक बार फिर, वह ऐसी कविता लेकर आया जिसे बालाक ने पसंद नहीं किया:
"'बालाक! खड़े हो और मेरी बात सुनो।
सिप्पोर के पुत्र बालाक! मेरी बात सुनो।
परमेश्वर मनुष्य नहीं है,
वह झूठ नहीं बोलेगा;
परमेश्वर मनुष्य पुत्र नहीं,
उसके निर्णय बदलेंगे नहीं।
यदि यहोवा कहता है कि वह कुछ करेगा
तो वह अवश्य उसे करेगा।
यदि यहोवा वचन देता है
तो अपने वचन को अवश्य पूरा करेगा।
यहोवा ने मुझे उन्हें आशीर्वाद देने का आदेश दिया।
यहोवा ने उन्हें आशीर्वा दिया है, इसलिए मैं उसे बदल नहीं सकता।
याकूब के लोगों में कोई दोष नहीं था।
इस्राएल के लोगों में कोई पाप नहीं था।
यहोवा उनका परमेश्वर है और वह उनके साथ है।
महाराजा की वाणी उनके साथ है!
परमेश्वर उन्हें मिस्र से बाहर लाया।
इस्राएल के वे लोग जंगली साँड की तरह शक्तिशाली हैं।
कोई जादुई शक्ति नहीं जो याकूब के लोगों को हरा सके।
याकूब के बारे में और इस्राएल के लोगों के विषय में भी
लोग यह कहेंगे:
‘परमेश्वर ने जो महान कार्य किये हैं उन पर ध्यान दो!’
वे लोग सिंह की तरह शक्तिशाली होंगे।
वे सिंह जैसे लड़ेंगे और यह सिंह कभी विश्राम नहीं करेगा,
जब तक वह शत्रु को खा नहीं डालता, और वह सिंह कभी विश्राम नहीं करेगा
जब तक वह उनका रक्त नहीं पीता जो उसके विरुद्ध हैं।”
गिनती 23: 19-24a
वाह। जितनी बार बिलाम कविता को देता था, इस्राएल पर उतना अधिक आशीर्वाद आता था। यहोवा बालाक को उसके चरित्र के बारे में सभी प्रकार किबातों को सिखाने के लिए इस्राएल के प्रति अपने प्रेम का इस्तेमाल कर रहा था। इस्राएल का परमेश्वर जिसने दुनिया बनाई, नबी बिलाम या राजा बालाक के समान नहीं था। वे भयभीत मनुष्य थे जिनका मन बदलता था और अंधकार में चलते थे। परमेश्वर का चरित्र सिद्ध और पूर्ण था, और वह अपने कहने के अनुसार ही करता था, और अपने विचारों को नहीं बदलता था। उसने इब्राहीम, इसहाक, और याकूब को उनके वंश को आशीर्वाद देने का वादा किया था, और वह वास्तव में ऐसा ही करने जा रहा था। वह इस्राएल को मज़बूत और शक्तिशाली बनाने जा रहा था! वे एक महान शेरनी कितरह अपने दुश्मनों को भस्म करने जा रहे थे! यहां तक कि सबसे बड़ा नबी भी उन्हें शाप देने के लिए अपना मुंह नहीं खोल पाएगा। और वह उनका विजयी राजा होगा।