पाठ 155 : नीले गुच्छे

इस्राएल के देश के भयानक और हतोत्साहित घटनाओं के बीच में, परमेश्वर वादा करने कि आशा देता रहा। उसने उनके साथ उस दिन के बारे में बात की जब वे उस देश में प्रवेश करेंगे। उसने अगली पीढ़ी के बच्चों से जीवन के विषय में बातें कीं, की किस प्रकार उन्हें अपने जीवन को जीना है। उसने एक बार फिर उन्हें बलिदान के विषय में बताया, और किस प्रकार वे परमेश्वर की सेवा कर सकते थे। परमेश्वर उनके और सज़ा के बीच, उनके अंदर अपनी वाचा को बना रहा था। वह उन्हें याजकों का राष्ट्र बना रहा था। 

 

परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों को एक बहुत ही विशेष नियम दिया। यह हमें अजीब लग सकता है। हर व्यक्ति को अपने कपड़े पर चार रेशमी गुच्छे नीले रंग की डोरियों के साथ पहनने थे। परमेश्वर ने कहा की यह उन्हें लगातार परमेश्वर के नियमों को याद दिलाने के लिए था।

 

इस्राएल के समय में कई देशों में, और आज भी कई देशों में, लोग छोटे नक्काशियों या मोती या गुच्छों को अपने साथ रखते हैं, क्यूंकि वे समझते हैं किये उन्हें दुष्ट आत्माओं से रक्षा करेंगे। वे यह मानते थे कि ये चीज़ें जिन्हें ताबीज भी कहते हैं, उन्हें दुष्ट आत्माओं से बचा सकते हैं। वे यह भी मानते थे की ये ताबीज उन्हें आशीर्वाद दे सकते थे। जो नीले गुच्छे परमेश्वर ने इस्राएल के पुरुषों को पहनने को कहा था, उनका एक बहुत अलग लक्ष्य था। परमेश्वर चाहता था की उसके लोग हर पल उसके निकट रहें, और सोचें की उसे कैसे प्रसन्न करना है।परमेश्वर की आज्ञाओं के द्वारा वे जान सके कि वे अपने प्रेम को परमेश्वर के प्रति किस प्रकार दिखा सकते थे। वे नीले गुच्छे उन्हें स्मरण दिलाएंगे। 

 

इस्राएल का हर व्यक्ति परमेश्वर के बड़े काम का हिस्सा था। वे सब एक महान और शक्तिशाली काम कर रहे थे। उन्हें अन्य सभी देशों से अलग किया गया था ताकि वे परमेश्वर के लिए एक निवास स्थान तैयार कर सकें। उन्हें उस स्थान की पवित्रता और शुद्धता को बनाये रखना था ताकि परमेश्वर उसके निकट आ सके। उनके बलिदानों और भेंटों से मंदिर को उनके पापों से हुई अशुद्धता को साफ़ किया जाता था। पृथ्वी पर यह इन लोगों के लिए एक उच्च विशेषाधिकार था, और एक राष्ट्र के रूप में यह उनके लिए एक गौरवशाली कार्य था। ये नीले गुच्छे इस बात का प्रतीक थे कि प्रत्येक इस्राएली एक बड़े समुदाय का हिस्सा था। उसे बहुत सावधानी से परमेश्वर के नियमों और आदेशों को मानना था, ताकि वे परमेश्वर के साथ और अन्य साथियों के साथ एक सही संबंध में रह सकें। यह उन्हें यह स्मरण दिलाने के लिए था की डेरे किशुद्धता को बनाये रखना है।  

 

परमेश्वर ने लोगों को कहा कि वे इन नीले धागों और गुच्छों को अपने वस्त्रों के कोनों में बांध लें ताकि वे उसकी आज्ञाओं का पालन करना ना भूलें। यह बहुत शानदार था। पाप मनुष्य के लिए इतना आसान है किबहुत बार हमें एहसास भी नहीं होता है कि हम पाप कर रहे हैं। दसवां नियम याद है? वह कहता है की इस्राएली अपने पड़ोसी किकोई भी वस्तु की लालसा अपने दिल में भी नहीं करेंगे। परमेश्वर चाहता था की इस्राएली दिलकिगहराई से शुद्ध रहें। वह नहीं चाहता था किवे कोई ऐसा विचार करें जिससे परमेश्वर किमहिमा ना हो। 

 

क्या आपके दोस्त या पड़ोसी के पास ऐसी कोई चीज़ है जो आपको पसंद है? क्या किसी के पास सुंदर कपड़े या बहुत सारा पैसा या एक अच्छा घर है? क्या आपको कभी ईर्ष्या महसूस होती है? क्या आपने कभी उसे चुराना चाहा? यह पाप है! परमेश्वर ने कहा किहम अपनी चीज़ों की ओर देखें और उन्ही से संतुष्ट रहें। हमें दूसरों की चीज़ों का लालच नहीं करना है। लेकिन हमारे दिल पापी हैं, और हम देख सकते हैं किकितनी जल्दी हम दूसरे की चीज़ों को पाना चाहते हैं। 

 

इस्राएल के सभी पुरुषों को उन नीले गुच्छों को पहने रहना था ताकि उन्हें स्मरण रहे की उन्हें उस तरह नहीं सोचना है। हर आदमी उसे पहने रहता था, इसलिए वे हर जगह उपलब्ध थे! वे जहाँ भी जाते थे, उनके पड़ोसी भी उन्हें पहने रहते थे, ताकि उन्हें परमेश्वर के नियम याद रहें। प्रत्येक पुरुष के वस्त्रों के किनारों पर चार अनुस्मारक थे, ताकि उन्हें याद रहे की उन्हें परमेश्वर किआज्ञा के अनुसार अपने परिवार और पड़ोसियों के प्रति कैसा व्यवहार करना है। वह घिरा हुआ था!

 

उन छोटे नीले गुच्छों के बारे में और भी एक अद्भुत बात है। दुनिया भर के कई देशों में, कपड़ों से मालूम होता था की वह व्यक्ति महत्वपूर्ण था या नहीं। जिस प्रकार का वस्त्र एक व्यक्ति पहनता था, वह बताते था की वह अमीर है या गरीब, और यदि वह सम्मान के लायक था या नहीं, या फिर उन्हें त्याग दिया जाना चाहिए। अक्सर, राज धराने के सदस्य या दोस्त ऐसे विशेष वस्त्र पहनते थे। वे दूसरे स्तर के लोगों से ऊपर होते थे। वस्त्र एक पद का प्रमुख प्रतीक था। हर कोई जानता था किप्रत्येक व्यक्ति को उसके वस्त्रों के अनुसार कैसा व्यवहार करना है। यदि कोई बहुत मनोहर किस्म के वस्त्र पहनता है, तो सब को उसका बहुत सम्मान करना था। जो व्यक्ति अच्छे वस्त्र पहनता था, उसके पास अधिक अधिकार होता था, और कानून साधारण वस्त्रों वाले व्यक्ति से ज़्यादा उसकी रक्षा करता था। यदि कोई उस स्तर का नहीं है और अच्छे वस्त्र पहनता है, तो दण्ड मिल सकता था। वे जेल तक जा सकते थे। 

 

लेकिन परमेश्वर नहीं चाहता था की उसका याजकों का राष्ट्र इस तरह जीये। उसके देश में, प्रत्येक व्यक्ति एक समान सम्मान पाता था। इस्राएल के सभी पुरुष नीले गुच्छे पहनते थे ताकि वे अपने को परमेश्वर के लिए पवित्र होने के लिए अपनी गरिमा और मूल्य को दिखा सकें।परमेश्वर जो एक महान राजा है, अपने याजकों के पवित्र राष्ट्र के साथ एक रिश्ता बनाना चाहता था। इस रिश्ते को बनाने के लिए वह प्रत्येक किमदद कर रहा था की किस प्रकार जीना है। सो उसने प्रत्येक व्यक्ति को, चाहे वह बड़ा हो या छोटा, उसके नियमों को स्मरण रखने के लिए एक चिन्ह दिया ताकि वे परमेश्वर के आगे पवित्र रह सकें। 

 

अब, परमेश्वर ने इस्राएल के एक वर्ग के लोगों को पहनने के लिए विशेष वस्त्र दिए। हारून, जो महायाजक था, और उसके पुत्रों को मंदिर में सेवा करने के लिए विशेष वस्त्र दिए। लेकिन ये शाही वस्त्र उन्हें परमेश्वर किसेवा करने के लिए दिए गए थे। उन्हें परमेश्वर कि वेदी को शुद्ध रखने के लिए दिन और रात इस्राएल के लोगों की सेवा में लगे रहना था! 

 

गुच्छे उन्हें याद दिलाते थे की उन्हें परमेश्वर या उनके साथियों के विरुद्ध पाप नहीं करना है। ये गुच्छे प्रत्येक परिवार और उसके परिवार को संरक्षित रखते थे क्यूंकि वे सब को यह याद दिलाते थे की वह व्यक्ति और उसका परिवार समुदाय के एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे। वे परमेश्वर के थे, और इसलिए हर किसी को उस परिवार के प्रति परमेश्वर के नियमों का पालन करना था। हर व्यक्ति और उसका परिवार मूलयवान था, और सब जानते थे की परमेश्वर उनकी सुरक्षा और मार्गदर्शन करता है। वाह। केवल इस्राएल यदि परमेश्वर के दिए इन सुंदर उपहार का सम्मान करते, तो यह कितना एक सुंदर और शुद्ध राष्ट्र होता!