पाठ 157 : कोरह का विद्रोह भाग 2

मूसा ने कोरह और उसके साथ के लोगों को उनकी धूपदानी को लेकर मंदिर में आने को कहा। वे स्वयं परमेश्वर से जान जाएंगे किकौन इस्राएल का महायाजक होने के लिए बुलाया गया था। 

शायद लोगों को हारून के याजक पुत्रों किमौत याद आ गयी होगी। उन्होंने आने से मना कर दिया! उन्होंने मूसा के साथ, जो परमेश्वर का नियुक्त किया हुआ दास था, ज़बरदस्त अवमानना ​​के साथ व्यवहार किया। उन्होंने कहा;

“'हम लोग नहीं आएंगे! तुम हमें उस देश से बाहर निकाल लाए हो जो सम्पन्न था और जहाँ दूध और मधु की नदियाँ बहती थीं। तुम हम लोगों को यहाँ मरुभूमि में मारने के लिए लाए हो और अब तुम दिखाना चाहते हो कि तुम हम लोगों पर अधिक अधिकार भी रखते हो। हम लोग तुम्हारा अनुसरण क्यों करें? तुम हम लोगों को उस नये देश में नहीं लाए हो जो सम्पन्न है और जिसमें दूध और मधु की नदियाँ बहती हैं। तुमने हम लोगों को वह देश नहीं दिया है जिसे देने का वचन यहोवा ने दिया था। तुमने हम लोगों को खेत या अंगूर के बाग नहीं दिये हैं। क्या तुम इन लोगों को अपना गुलाम बनाओगे? नहीं! हम लोग नहीं आएंगे।”'

गिनती 16: 12b-14

 

वे क्या मूसा से क्रोधित थे, या परमेश्वर से? जो परमेश्वर ने किया था, उसके लिए क्यों वे मूसा पर आरोप लगा रहे थे? यदि वे वास्तव में परमेश्वर का सम्मान करना चाहते थे, तो उन्होंने उसके दिखाए रास्ते को क्यूँ अस्वीकार किया? इसके बजाय कि वे स्वयं को याजक होने के लिए अपने आप को प्रकट करते, ये लोग दिखा रहे थे की उन्हें परमेश्वर या उसकी इच्छा में कोई दिलचस्पी नहीं थी। वे औरों के समान पूर्णरूप से विद्रोह कर रहे थे। वे पवित्र और शुद्ध नहीं थे और परमेश्वर के लिए अलग नहीं किये गए थे, वे उसके विरुद्ध युद्ध कर रहे थे। परमेश्वर इन कठोर और जिद्दी लोगों के साथ क्या करेगा? 

 

मूसा इस सब से क्रोधित हुआ। उसने कहा, "'इनकी भेंटें स्वीकार न कर! मैंने इनसे कुछ नहीं लिया है एक गधा तक नहीं और मैंने इनमें से किसी का बुरा नहीं किया है।'” फिर उसने उन पुरुषों से कहा: "'तुम्हें और तुम्हारे अनुयायियों को कल यहोवा के सामने खड़ा होना चाहिए। हारून तुम्हारे साथ यहोवा के सामने खड़ा होगा। तुम में से हर एक को एक अग्निपात्र लेना चाहिए और उसमें धूप रखनी चाहिए। ये दो सौ पचास अग्निपात्र प्रमुखों के लिये होंगे। हर एक अग्निपात्र को यहोवा के सामने ले जाओ। तुम्हें और हारून को अपने अग्निपात्रों को यहोवा के सामने ले जाना चाहिए।'”

 

मूसा ने उन लोगों को उनके खेल में बुलाया। उनके पास कोई चारा नहीं था। विद्रोही लेवियों को परमेश्व के मंदिर में आना था। अगले दिन, वे अपनी अपनी धूपदानी लेकर एकत्र हुए। कोरह और उसके सारे पुरुष हारून और मूसा के खिलाफ खड़े हो गए। परमेश्वर किभारी, शानदार और शक्तिशाली उपस्थिति मिलापवाले तम्बू के द्वार पर महिमा में आई। 

 

परमेश्वर ने मूसा और हारून को उन लोगों से दूर जाने को कहा ताकि वह उन सब को नष्ट कर सके। जब परमेश्वर का प्रकोप जल उठा, मूसा और हारून मुँह के बल गिरे और पुकार कर कहा, “'हे परमेश्वर, तू जानता है कि लोग क्या सोच रहे हैं। कृपा करके इस पूरे समूह पर क्रोधित न हो। एक ही व्यक्ति ने सचमुच पाप किया है।'”

 

दो सौ पचास पुरुष आये, लेकिन केवल कुछ ही पुरुषों ने उनके नेतृत्व का पालन किया था। मूसा और हारून पूछ रहे थे कियदि परमेश्वर उन लोगों को छोड़ देगा जो उनके नेतृत्व का पालन कर रहे थे। कोरह और दातान और अबीराम ही थे जिनके कारण इतनी विपत्ति आई। 

 

परमेश्वर ने अपने दास मूसा किबात सुनी। उसने आदेश दिया किसभी लोग उन अगुवों के तम्बुओं से दूर चले जाएं जिन्होंने विद्रोह किया था। यह कोरह और दातान और अबीराम के घरों के करीब होना बहुत ही खतरनाक हो रहा था। मूसा ने लोगों से कहा; "'इन बुरे आदमियों के डेरों से दूर हट जाओ। इनकी किसी चीज को नो छुओ! यदि तुम लोग छूओगे तो इनके पापों के कारण नष्ट हो जाओगे।'”

 

लोगों ने वैसा ही किया जैसा किमूसा ने कहा था। लेकिन पुरुष अपनी पत्नियों और बच्चों के साथ अपने तम्बुओं के द्वार पर खड़े थे।

तब मूसा ने कहा;

 

“'मैं प्रमाण प्रस्तुत करूँगा कि यहोवा ने मुझे उन चीज़ों को करने के लिए भेजा है जो मैंने तुमको कहा है। मैं दिखाऊँगा कि वे सभी मेरे विचार नहीं थे। ये पुरुष यहाँ मरेंगे। किन्तु यदि ये सामान्य ढंग से मरते हैं अर्थात् जिस प्रकार आदमी सदा मरते हैं तो यह प्रकट करेगा कि यहोवा ने वस्तुतः मुझे नहीं भेजा है। किन्तु यदि यहोवा इन्हें दूसरे ढंग अर्थात् कुछ नये ढंग से मरने देता है तो तुम लोग जानोगे कि इन व्यक्तियों ने सचमुच यहोवा के विरुद्ध पाप किया है। पृथ्वी फटेगी और इन व्यक्तियों को निगल लेगी। वे अपनी कब्रों में जीवित ही जाएंगे और इनकी हर एक चीज इनके साथ नीचे चली जाएगी।'”

गिनती 16: 28-30

 

वाह। क्या होने जा रहा था? क्या परमेश्वर इस्राएलियों को दिखाएगा की मूसा उसका चुना हुआ अगुवा था? क्या वह पृथ्वी को खोल देगा ताकि उसके दुश्मन उसमें समां जाएं?