चौथी आज्ञा बहुत अनमोल है क्यूंकि यह परमेश्वर के लोगों के प्रति उसके प्रेम को दर्शाती है कि, वह उसे अपने लोगों के साथ रहने में कितना आनंद मिलता है।
Read Moreयदि इस्राएल के लोग परमेश्वर के चरित्र को सही मायने में दुनिया को दिखाना चाहते थे, उन्हें परमेश्वर किओर सही रीती से चलने का सही रास्ता दिखाना होगा। पहली चार आज्ञाएँ इसी पर आधारित हैं।
Read Moreअंतिम तीन आज्ञाएं यह सिखाती हैं की परमेश्वर के लोगों का व्यवहार एक दूसरे के साथ कैसा होना चाहिए। सांतवी आज्ञा बताती है कि परमेश्वर चाहता था की विवाह कि वाचा की पवित्रता और अच्छाई का सम्मान हो।
Read Moreसीनै पर्वत पर काले बादलों और जलती हुई आग के भीतर से परमेश्वर किआवाज़ ने दस आज्ञाओं कि घोषणा की। इस्राएलियों ने उसे उसकी महिमा और पवित्रता के बीच सुना। वे बहुत भयभीत हुए। वे बहुत व्याकुल हुए, और वे दबाव में आकर झुक गए।
Read Moreवाचा किपुस्तक में, परमेश्वर इस्त्राएलियों को हर एक बुरी बात के लिए जो लोगों के बीच होती थी, यह नहीं बताता था किउन्हें क्या करना चाहिए।
Read Moreवाचा किपुस्तक में, परमेश्वर ने इस्राएल के न्यायाधीशों के लिए ऐसे नियम दिए जो उन्हें लोगों की समस्याओं के लिए निर्णय लेने में मदद करेंगे। किताब इस्त्राएलियों को उन बातों को भी सिखाती है जो उन्हें परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए अच्छे शालीन व्यवहार करने में मदद करेगी।
Read Moreपरमेश्वर अपने लोगों के राष्ट्र का निर्माण कर रहा था जो उसके अनमोल संपत्ति थे। उसने मूसा के ससुर 'यित्रो' का उपयोग एक अदालत प्रणाली को बनाने में किया। जिन बुज़ुर्गों को उन्होंने चुना था, वे यह तय करेंगे की किसे संरक्षण दिया जाये और किसे सज़ा दी जाये।
Read Moreअगली सुबह, यहोवा से वाचा किपुस्तक प्राप्त करने के बाद, मूसा जल्दी से उठकर पर्वत के पास गया। उसने एक वेदी बनाई और इसके चारों ओर पत्थर के बारह खंभे बनाये। प्रत्येक स्तंभ इस्राएल के बारह जनजातियों का प्रतीक था। वेदी परमेश्वर की उपस्थिति का संकेत था।
Read Moreआप सोच सकते हैं कि मूसा के लिए वापस सीनै पर्वत पर उन सामर्थी बादलों में परमेश्वर से भेंट करना कैसा होगा? पूरा देश पर्वत के पास आने से डर रहा था! और परमेश्वर ने उन्हें आगे आने से मना किया था! बुज़ुर्गों को आधे रास्ते तक आने की अनुमति दी गई थी, और परमेश्वर ने उनके साथ विशेष रूप से भेंट की।
Read Moreपरमेश्वर ने तम्बू बनाने के लिए साज-सामान के निर्देश दिये। सन्दूक को सबसे पवित्र स्थान में रखना था। यह परमेश्वर का सिंहासन था, यह पृथ्वी पर सबसे पवित्र जगह थी। यह एक अत्यंत पवित्र स्थान था। परमेश्वर ने मूसा को उसके साज-सामान के विषय में वर्णन दिया। जो वर्णन उसने सन्दूक के लिए दिया था वैसा ही वर्णन उसने दिए।
Read Moreपरमेश्वर हर तरह से अपने लोगों को आगे बढ़ा रहा था। अपने वाचा के लोगों को आशीर्वाद देने के लिए वह कितना उत्साहित था! दस आज्ञाओं और वाचा की पुस्तक के साथ, परमेश्वर ने उसके पीछे चलने के लिए अपने लोगों को एक रास्ता दिखा दिया था। वे समझ सकते थे की परमेश्वर में पवित्र जीवन बिताना क्या मायने रखता था।
Read Moreअपने लोगों के बीच परमेश्वर किपवित्र उपस्थिति का स्थान उसका मंदिर था। लेकिन वह कैसे उन के बीच रह सकता था? उनके पाप का ज़हर विषाक्त था, और उसकी पवित्रता बुराई कि हर ताकत को नष्ट कर देगी। सीनै पर्वत पर उसकी भयानक शक्ति को देख कर लोगों का कांपना सही था।
Read Moreपरमेश्वर ने मूसा को उसके विशेष मंदिर के निर्माण और उन याजकों के वस्त्रों के विषय निर्देश दिए जो उसकी सेवा करेंगे। याजक परमेश्वर और उसके लोगों के बीच रहकर एक विशेष अंतरंगता में काम करेंगे। परमेश्वर ने उसे बताया कि कैसे मंदिर के बन जाने के बाद उसे याजकों को पवित्र करना है।
Read Moreदूसरी मेढ़ नियुक्ति किमेढ़ थी। मूसा को उसे उसी प्रकार वध करना था जिस प्रकार उसने पहले किया था। जिस समय मूसा उसको वध कर रहा था हारून और उसके पुत्रों को उसके सिर पर अपने हाथ रखने थे। फिर कुछ खून लेकर हारून और उसके पुत्रों के दाएं कान के निचले भाग में लगाना था।
Read Moreजब मूसा परमेश्वर के साथ सीनै पर्वत पर बात कर रहा था, परमेश्वर ने उसे एक और बहुत ही विशेष वेदी बनाने के निर्देश दिये। बबूल कि लकड़ी किएक वेदी बनाकर उसे वर्गाकार अट्ठारह इंच लम्बी और अट्ठारह इंच चौड़ी बनानी थी।
Read Moreपरमेश्वर ने अपने सुन्दर मंदिर के निर्माण के लिए उन सभी कुशल कारीगरों के नाम मूसा को बताये।
Read Moreयह विद्रोह अत्यधिक था। यह उनका परमेश्वर के प्रति कुल, पूर्ण अविश्वास था। मूसा जब पर्वत पर गया, वह हारून और बुज़ुर्गों को आदेश देकर गया कि वे लोगों की देखभाल करें। उन्हें परमेश्वर के नियमों का सम्मान करना था और लोगों के बीच शांति बनाए रखनी थी।
Read Moreपरमेश्वर और मूसाजब पर्वत पर एक साथ थे, परमेश्वर ने मूसा को लोगों के भयानक विद्रोह के बारे में बताया था। मूसा ने दया के लिए परमेश्वर से बिनती की थी। तब मूसा पर्वत से नीचे गया और स्वयं उनके महान विद्रोह को देखा।
Read Moreमूसा मिलाप वाले तम्बू को डेरे के बाहर लगाएगा। वह लोगों से कुछ दूर जाकर परमेश्वर से प्रार्थना करेगा और उसकी पवित्र इच्छा को जानेगा। जब भी लोग उसे जाते देखते, वे तम्बू के बाहर खड़े होकर उसे देखते थे।
Read Moreशालोम! यह फिर से एलीमेलेक है। हमने कुछ समय से बात नहीं की है, और मेरे पास आपको बताने के लिए बहुत कुछ है। मैंने ज़रूर से आपको बताया होगा की किस प्रकार हमारे यहोवा ने मिस्र की ग़ुलामी से अपने लोगों को बचाया था।
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