पाठ 115 : याजकों के वस्त्र: एपोद और निर्णय का कवच

अपने लोगों के बीच परमेश्वर किपवित्र उपस्थिति का स्थान उसका मंदिर था। लेकिन वह कैसे उन के बीच रह सकता था? उनके पाप का ज़हर विषाक्त था, और उसकी पवित्रता बुराई कि हर ताकत को नष्ट कर देगी। सीनै पर्वत पर उसकी भयानक शक्ति को देख कर लोगों का कांपना सही था। मूसा ने पर्वत के पास बलिदान चढ़ाके लोगों के पापों को लहू से साफ़ किया था। लेकिन लोगों के पापों कि गंदगी बार बार वेदी पर इकट्ठा होती रहेगी। उन में से एक भी व्यक्ति पाप से दूर नहीं रह सकता था। उसकी पवित्रता इसे सहन नहीं कर सकती थी। उसका क्रोध उनकी दुष्टता पर उमड़ पड़ेगा। यहोवा अपने लोगों में रहना चाहता था, लेकिन जब तक उनके पापों से वेदी को शुद्ध नहीं किया जाता वह उनसे दूर रहेगा। यहोवा कि सिद्ध और सही योजनाओं में, उसने एक रास्ता निकाला।

परमेश्वर ने अपने और अपने लोगों के बीच खड़े होने के लिए मध्यस्थों और याजकों को खड़ा किया। प्रत्येक इस्राएली को जब अपने पाप का एहसास होता था, वह परमेश्वर के पवित्र मंदिर के लिए एक पशु बलि को लाता था। याजक इन पश्चाताप के बलिदानों को परमेश्वर कि वेदी पर लाते थे। पशु का खून वेदी को उनके उस पाप के कलंक और गंदगी को साफ़ करता था जिससे परमेश्वर का अपमान हुआ। 

हारून, मूसा का भाई और उसके पुत्र परमेश्वर के याजक होंगे। परमेश्वर ने उन्हें सब में विशेष रूप से चुना था। हारून पहला याजक होगा। यह एक बहुत ही उच्च और पवित्र बुलाहट थी। मूसा ने जब उस प्रज्ज्वलित पर्वत पर परमेश्वर के साथ बात की, प्रति दिन बलिदान चढ़ाने के लिए जो विशेष और पवित्र वस्त्र होने चाहिए, उनका विवरण परमेश्वर ने उसे दिया। लोगों का बिचवई बन कर परमेश्वर के पास लाने का उसका काम था।परमेश्वर ने मूसा से कहा:

"'अपने भाई हारून के लिए विशेष वस्त्र बनाओ। ये वस्त्र उसे आदर और गौरव देंगे।3 लोगों में ऐसे कुशल कारीगर हैं जो ये वस्त्र बना सकते हैं। मैंने इन व्यक्तियों को विशेष बुद्धि दी है… उन लोगों से हारून के लिए वस्त्र बनाने को कहो। ये वस्त्र बताएंगे कि वह मेरी सेवा विशेष रूप से करता है। तब वह मेरी सेवा याजक के रूप में कर सकता है।4 कारीगरों को इन वस्त्त्रों को बनाना चाहिए न्याय का थैला एपोद बिना बाँह की विशेष एपोद एक नीले रंग का लबादा, एक सफेद बुना चोगा, सिर को ढकने के लिए एक साफा और एक पटुका लोगों को ये विशेष वस्त्र तुम्हारे भाई हारून और उसके पुत्रों के लिए बनवाने चाहिए तब हारू न और अस के पुत्र मेरी सेवा याजक के रूप में कर सकते हैं। 5 लोगों से कहो कि वे सुनहरे धागों, सन के उत्तम रेशों तथा नीले, लाल और बैंगनी कपड़े उपयोग में लाएं।'"

निर्गमन 28: 2-3a, 4-5

एपोद वह वस्त्र था जो याजक अपने अन्य वस्त्रों के ऊपर पहनता था। परमेश्वर ने मूसा से कहा कि इस विशेष एपोद को कुशल कारीगर से बनवाया जाए। एपोद के हर एक कंधे पर पट्टी लगी होगी। कंधे की ये पट्टियाँ एपोद के दोनों कोनों पर बंधी होंगी।कारीगर बड़ी सावधानी से एपोद पर बाँधने के लिए एक पटुका बुनेंगे। हर एक नाग पर इस्राएल के बारह गोत्रों के नाम खुदे होने चाहिए। हर बार जब याजक परमेश्वर, वह इन गोत्रों के नामों को चमकते हुए पत्थरों पर लेकर जाएगा। 

परमेश्वर ने इस तरह कहा: 

"हारून जब पवित्र स्थान में प्रवेश करे तो उसे इस सीनाबन्द को पहने रहना चाहिए। इस प्रकार इस्राएल के बारहों पुत्रों के नाम उसके मन में रहेंगे और यहोवा को सदा ही उन लोगों की याद दिलाई जाती रहेगी।"

फिर भी कवच का यह मुख्य उद्देश्य नहीं था। बारह गोत्रों के नागों पर ऊरीम और तुम्मीम थे। वे परमेश्वर से दिव्य भविष्यवाणी, या संदेशों के साधन थे। जब भी एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय निर्णय लेना होता था, और इस्राएलियों को परमेश्वर की इच्छा जाननी होती थी, तब ये ऊरीम और तुम्मीम उत्तर प्रदान करते थे। कुछ लोग समझते थे कि याजक उनके सामने चिट्ठी डालेंगे। दूसरों को लगता था की परमेश्वर चमत्कारिक ढंग से उन्हें चमकाएगा। इसीलिए कवच 'निर्णय का कवच' कहलाता था। बाइबल यह नहीं बताती कि यह कैसे काम करता था। यह केवल यह बताती है: 

"ऊरीम और तुम्मीम को सीनाबन्द में रखो। हारून जब यहोवा के सामने जाएगा तब ये सभी चीज़ें उसे याद होंगी। इसलिए हारून जब यहोवा के सामने होगा तब वह इस्राएल के लोगों का न्याय करने का साधन सदा अपने साथ रखेगा।”

निर्गमन 28: 30b 

राष्ट्र के निर्णय परमेश्वर में उनकी आस्था से अलग नहीं थे। परमेश्वर उनका राजा था, और वे अपनी योजनाओं के लिए उसे खोजेंगे। याजक कि सोने कि ज़ंजीरों में ऊरीम और तुम्मीम जुड़े हुए थे क्यूंकि परमेश्वर किइच्छा को जानने के लिए वही लोगों का संदेशवाहक था।

जो चोगा याजक पहनेगा वह नीले कपड़े का होना था। अनारों को चोगे के निचले सिरे में लटका कर उनके बीच सोने की घंटियाँ लटकानी थीं। इस प्रकार चोगे के निचले सिरे के चारों ओर क्रमशः एक अनार और एक सोने की घंटी होगी। जब वह पवित्र स्थान में प्रवेश करेगा और वहाँ से निकलेगा तब ये घंटियाँ बजेंगी। इससे उसे अपनी स्वयं की उपस्थिति और पवित्र स्थान में प्रवेश करके उसकी सेवा का एहसास होगा। पवित्र परमेश्वर की उपस्थिति में जाना बहुत गंभीर बात थी। 

शुद्ध सोने का एक पतरा बनाना था। सोने में मुहर कि तरह ये शब्द लिखने थे:"यहोवा के लिए पवित्र।" इसे उसकी पगड़ी से सोने के पतरे को बाँधने के लिए नीले कपड़े की पट्टी का उपयोग किया जाना था। इसे यह विशेष कार्य करने के लिए अलग किया गया था, लेकिन परमेश्वर के लिए यह बहुत कठिन कार्य था। परमेश्वर और मनुष्य के बीच मध्यस्थता करने कि यह एक भयानक और भव्य ज़िम्मेदारी थी। 

इस्राएल के लोग जब अपने बलिदानों को लाते थे, परमेश्वर किउपस्थिति उनके लिए आशीर्वाद का कारण ठहरती थी। लेकिन यदि इस्राएल का पाप बढ़ता था या उसके पवित्र याजक किसी अपवित्र रूप से पेश आते थे, तो परमेश्वर अपमानित होता था और उन्हें परमेश्वर के प्रकोप का सामना करना होता था। याजक परमेश्वर और लोगों के बीच मध्यस्थता करता था। यदि राष्ट्र का याजक परमेश्वर कि उपस्थिति में पवित्र नहीं ठहरता है, तो यह बहुत खतरनाक होता था!

परमेश्वरनेमलमल से याजकों के लिएअंगरखा, पगड़ी, कमरबंदऔर जांघिया बनाने के लिए मूसा कोनिर्देश दिया था। यह कपड़ेपरमेश्वरके याजकों केगरिमा और सम्मान के लिए बनायेगए थे। याजकोंके लिए इन पवित्र वस्त्रों को बनानेके बाद, कारीगरों कोअभिषेक किया जाता था।मूसा उन्हें पोशाक पहना कर उन्हेंतेल सेअभिषेक करता था।सभी लोग जानेंगे की उन्हेंपरमेश्वरके कार्य के लिए अलग किया गया है।वे देश के लिएअभिषेक किये गए थे।