पाठ 118 : धूप जलाने की वेदी और अभिषेक का तेल
जब मूसा परमेश्वर के साथ सीनै पर्वत पर बात कर रहा था, परमेश्वर ने उसे एक और बहुत ही विशेष वेदी बनाने के निर्देश दिये। बबूल कि लकड़ी किएक वेदी बनाकर उसे वर्गाकार अट्ठारह इंच लम्बी और अट्ठारह इंच चौड़ी बनानी थी। यह छत्तीस इंच ऊँची होनी थी , जिसके चारों कोनों पर सींग लगे होने चाहिए। वेदी के चारों ओर सोने कि पट्टी, और बल्लियों को सोने से मढ़ा होना था। इस वेदी को अति पवित्र स्थान में रखना था। पर्दे के दूसरे पक्ष पर स्वर्ण करूबों के साथ संदूक को रखना था। परमेश्वर के अपने लोगों के साथ किये पवित्र वादे उसमें थे। इस कमरे में परमेश्वर अपने महायाजक के साथ भेंट करेगा। परमेश्वर इसी स्थान में इतने निकट आता था।
इस छोटे से सोने की वेदी पर गेहूं या अन्नबलि नहीं चढ़ाई जाएगी। याजक उस पर पेय भेंट कभी नहीं ला सकता था। वर्ष में एक बार हारून यहोवा को पापबलि चढ़ाएगा। वह प्रायश्चित के लिए छोटे सोने किवेदी के सींगों पर इसे लगाएगा। यह वार्षिक अभिषेक के लिए किया जाता था। लेकिन दिन प्रति दिन, परमेश्वर के लिए धूप को जलाना होगा। धूप की सुगंध का धुआं परमेश्वर के पवित्र लोगों की उसके प्रति प्रार्थना का प्रतीक था। उनकी प्रार्थना परमेश्वर के लिए विशेष भेंट थी।
हर सुबह, हारून को उस पवित्र स्थान में प्रवेश करके परमेश्वर के लिए धूप को जलाना था। उसे सोने के दीवट पर बत्ती जलानी थी। परमेश्वर का भवन तेल की मोमबत्तियों के नरम प्रकाश से और धूप की सुगंध से भर जाएगा। प्रति दिन जब याजक इस धूप को जलाता था, उसकी सुगंध उसके वस्त्र से लग जाती थी और वह परमेश्वर के सबसे पवित्र स्थान में इसकी सुगंध को फैला देता था।
गोधूलि के समय हर शाम, हारून को और धूप जलाने होते थे। यह परमेश्वर के सांसारिक घर में दिन के करीब था। सूर्यास्त होने पर, पवित्र स्थान में सोने की वेदी पर जलने वाली सुंगंधित धूप और भेड़ और रोटी का बलिदान, मंदिर में उनका धुँआ फ़ैल जाता था। परमेश्वर इनके सुगंध से प्रसन्न होता था, और लोग और याजक इस सुगंध का एक साथ अनुभव करते थे।
मूसा को एक गंधी विशेष मसाले की धूप को तैयार करना था। उन्हें वे रसगंधा, कस्तूरी गंधिका, बिरोजा और शुद्ध लोबान को पीस कर उनका पाउडर बनाना था। पवित्र स्थान में परमेश्वर के लिए यह एक शुद्ध और पवित्र धूप होगा। इस्राएल में इस सुगंध को बनाने किऔर बेचने के लिए अनुमति नहीं थी। यह धूप को केवल मंदिर में ही इस्तेमाल किया जाना था। जो भी ऐसा करता था उसे लोगों के बीच से अलग कर दिया जाता था। उन्हें देश से बाहर निकाल दिया जाता था! यह परमेश्वर के लिए अलग किया हुआ और पवित्र किया गया था।
परमेश्वर ने निर्देश दिए किहर व्यक्ति मंदिर की सेवा के लिए एक शेकेल देगा। समय-समय पर, इस्राएल का देश लोगों का जनगणना करता था। जो युवा पुरुष बीस साल की उम्र तक पहुँच जाते थे, उन्हें भी गिन लिया जाता था। वे बालिक हो गए थे। चाहे वे अमीर हो या गरीब, उन्हें एक प्रायश्चित के रूप में एक आधा शेकेल देना होता था। यह उसके जीवन के लिए परमेश्वर को फिरौती के रूप में गिना जाता था। यदि इस्राएल के लोग इस में परमेश्वर कि बात मानते थे, तो वे परमेश्वर का सम्मान करेंगे और राष्ट्र पर विपत्ति लाने से परमेश्वर के प्रकोप को रोक देंगे।
मिलाप वाले तम्बू और आंगन में कांस्य वेदी के बीच, मूसा को एक कांस्य बेसिन लगाना था। इसमें गरम पानी था जिससे याजक अपने आप को साफ़ कर सकते थे। हर बार जब वे मिलापवाले तम्बू में जाते थे, उन्हें अपने हाथों और पैरों को धोना होता था। यदि वे ऐसा नहीं करते थे, तो वे मर सकते थे। यह उनके लिए एक संरक्षण था। वे परमेश्वर किउपस्थिति में गंदगी नहीं ला सकते थे। जितनी बार वे कांस्य वेदी पर एक भेंट चढ़ाने को जाते थे, उन्हें अपने आप को धोना था। अपने आप को धोकर वे परमेश्वर को पापबलि और होमबलि नहीं चढ़ा सकते थे, नहीं तो वे मर सकते थे। जो नियम परमेश्वर ने मूसा को दिये थे वे एक सीमित समय के लिए नहीं थे। इस्राएल के याजकों को इन नियमों को पीढ़ी दर पीढ़ी तक मानना था।
परमेश्वर के मंदिर को अभिषेक करने के लिए परमेश्वर ने मूसा को एक विशेष, पवित्र अभिषेक का तेल बनाने के लिए छः पौंड, सुगन्धित दालचीनी और बारह पौंड सुगन्धित छाल, और बारह पौंड तेजपात लाने को कहा। उन्हें इस सुगन्धित अभिषेक के तेल को मिलाप वाले तम्बू पर, संदूक और सभी बर्तनों में लगाना था। परमेश्वर ने कहा,"'तुम इन सभी चीज़ों को समर्पित करोगे। वे अत्यन्त पवित्र होंगी। कोई भी चीज जो इन्हें छूएगी वह भी पवित्र हो जाएगी।'"
तब उन्हें हारून और उसके पुत्रों को अभिषेक करना था। तेल उन्हें पवित्र करेगा ताकि वे याजक होकर परमेश्वर की सेवा कर सकें। इस्राएलियों को इस अभिषेक के तेल की विधि को पवित्र मानना था। इस तेल को और किसी काम के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था। जो कोई भी इसे बनाने या किसी और चीज़ के लिए उपयोग करता तो वह परमेश्वर के वचन का उल्लंघन करता और उसे उसके लोगों के बीच से निकाल दिया जाता।