पाठ 112 : सन्दूक: परमेश्वर का स्वर्ण सिंहासन
आप सोच सकते हैं कि मूसा के लिए वापस सीनै पर्वत पर उन सामर्थी बादलों में परमेश्वर से भेंट करना कैसा होगा? पूरा देश पर्वत के पास आने से डर रहा था! और परमेश्वर ने उन्हें आगे आने से मना किया था! बुज़ुर्गों को आधे रास्ते तक आने की अनुमति दी गई थी, और परमेश्वर ने उनके साथ विशेष रूप से भेंट की। लेकिन मूसा परमेश्वर किसम्पूर्ण उपस्थिति में उसकी परिपूर्ण शक्ति के भीतरी अभयारण्य में बुलाया गया।
परमेश्वर ने अपने सेवक के हृदय में एक शक्तिशाली काम किया था। बाइबल नहीं बताती कि बादलों और आग में मूसा का अनुभव क्या था।हम केवल इतना जानते हैं की वह इस्राएल के दिव्य राजा का सबसे ऊंचा सेवक था और परमेश्वर ने उससे व्यक्तिगत रूप से बात की थी। वाह। मूसा चालीस दिन और चालीस रात यहोवा की उपस्थिति में रहा। "इस्राएलियों के लिए पर्वत की चोटी पर परमेश्वर की महिमा एक भस्म करने वाली आग की तरह थी।" परमेश्वर मूसा से पूरे समय क्या कह रहा होगा?
परमेश्वर ने इस्राएलियों के देश के लिए दस आज्ञाएं दीं जो उसके उज्ज्वल न्याय और पवित्रता को प्रकट कर रहे थे। लेकिन परमेश्वर जानता था की उसके लोग अभी भी श्रापित थे। वे अभी भी उनके दिल की गहराई में पापी थे, और उन्हें उसके पवित्र नियमों को रखना असंभव था। वे उसके विरुद्ध जाएंगे, और उनके पाप परमेश्वर और लोगों के बीच के रिश्ते को कलंकित करेंगे। पाप के कारण भयानक बातें होती हैं। जो पाप करता है वह उस व्यक्ति को हानि पहुँचाता है, और आमतौर पर यह दूसरों को भी तकलीफ़ पहुंचाता है। यह एक ज़हरीले प्रदूषण की तरह, दुनिया में बुराई को लाता है। यह एक बुराई कि सामर्थ को लाता है। लोगों के रोज़ाना पाप एक नकारात्मक शक्ति को लाते हैं, और यह खतरनाक था। यदि परमेश्वर उनके पापों किगंदगी के पास रहा, तो उसका क्रोध उन्हें नष्ट कर देगा।
यहोवा एक अनुग्रहकारी परमेश्वर है। वह क्रोध में विलम्भ करने वाला और प्रेम से भरा हुआ है। उसका इरादा और योजना अपने लोगों को आशीर्वाद देने के लिए था। कैसे वह विद्रोह किसमस्या का समाधान करेगा? कैसे वह उन लोगों की मदद करेगा जो पाप से घिरे हुए थे? वह लोगों के पाप के कारण आये प्रदूषण और गंदगी के लिए क्या करेगा? कैसे एक पवित्र परमेश्वर सक्रिय बुराई और प्रदूषण के बीच रह सकता था? जब मूसा सीनै पर्वत पर गया, तब परमेश्वर ने उसे इस्राएल राष्ट्र के लिए समाधान बताया।
परमेश्वर ने मूसा को विशेष निर्देश दिए। एक पवित्र और अलौकिक मंदिर के निर्माण के विषय में समझाया गया था। यहां परमेश्वर की उपस्थिति पाई जाएगी। यहां परमेश्वर की उपस्थिति उसके लोगों के साथ होगी। उसने मंदिर को शुद्ध करने का तरीका प्रदान किया, ताकि उसकी पवित्र उपस्थिति उनके पापों के कारण उसके क्रोध से भस्म ना हो जाये। उसने अपनी विशेष उपस्थिति को सीनै पर्वत कि जलती हुई चोटी से नीचे लाने का रास्ता बनाया। परमेश्वर शारीरिक रूप से अपने लोगों के पास होगा।
इस्राएली जिस समय सीनै पर्वत से वादे के देश में प्रवेश कर रहे थे, परमेश्वर उनके साथ था। वह उनका दिव्य राजा था, और उसका मंदिर उसका महल था। परमेश्वर का व्वास्तविक सिंहासन स्वर्ग में है, और यह बहुत शानदार है। परमेश्वर ने मंदिर को बनाने का अनुदेश ठीक उसी प्रकार का दिया जैसा की उसका स्वर्गीय सिंहासन है। वह अपने आप को लोगों के सामने एक विशेष रूप से दिखाना चाहता था।
यह मंदिर पृथ्वी पर सबसे पवित्र जगह थी, और जो निर्देश परमेश्वर ने दिए थे वे सटीक और सुंदर थे। परमेश्वर के मंदिर के निर्माण के लिए उन्हें सबसे पहले सोना, चांदी, पीतल और लकड़ी को इकट्ठा करना होगा। उन्हें नीला, बैंगनी और लाल सूत, सुन्दर रेशमी कपड़ा; बकरियों के बाल, लाल रंग से रंगा भेड़ का चमड़ा, सुइसों के चमड़ें, बबूल कि लकड़ी, दीपक में जलाने का तेल, धूप के लिए सुगन्धित द्रव्य, अभिषेक के तेल के लिए भीनी सुगन्ध देने वाले मसाले, इन सब की आवश्यकता होगी।
यहोवा ने मूसा को आदेश दिया किलोग सबसे बेहतरीन चीज़ों किएक भेंट उसे चढ़ाएं। उन्हें अपनी कीमती चीज़ों को ज़बरदस्ती नहीं देना होगा। परमेश्वर चाहता था की लोग उसे दिल कि इच्छा से दें। इस्राएलियों का बहुत सा कीमती सामान मिस्र से आया होगा जब वे वहां से पलायन कर रहे थे। इससे पहले कि परमेश्वर उन्हें मुक्ति दिलाता, वे दरिद्रता में जी रहे थे। जो उन्हें परमेश्वर के द्वारा दिए उद्धार से प्राप्त हुआ था, उनके पास अवसर था की वे उसे यहोवा के पास फिर से ले आएं। परमेश्वर ने उन्हें मंदिर के निर्माण के लिए विशेष आदेश दिए थे। उसने उन्हें बताया की सजावट के लिए कौन सी सामग्री कैसी होनी चाहिए। परमेश्वर इस मंदिर का निर्माण बहुत बढ़कर करने जा रहा था।इस्राएल का मंदिर स्वर्ग में परमेश्वर के पवित्र सिंहासन की एक छवि थी! सबसे पहली चीज़ जो परमेश्वर ने मूसा से बनाने को कही वह तम्बू था। परमेश्वर ने कहा,
"'बबूल की लकड़ी का उपयोग करके एक विशेष सन्दूक बनाओ। वह सन्दूक निश्चय ही पैतालिस इंच लम्बा, सत्ताईस इंच चौड़ा और सत्ताईस इंच ऊँचा होना चाहिए। सन्दूक को भीतर और बाहर से ढकने के लिए शुद्ध सोने का उपयोग करो। सन्दूक के कोनों को सोने से मढ़ो। सन्दूक को उठाने के लिए सोने के चार कड़ें बनाओ। सोने के कड़ों को चारों कोनों पर लगाओ…… इन बल्लियों का उपयोग सन्दूक को ले जाने के लिए करो। ये बल्लियाँ सन्दूक के कड़ों में सदा पड़ी रहनी चाहिए। बल्लियों को बाहर न निकालो। मैं तुम्हें साक्षीपत्र दूँगा। इस साक्षीपत्र को इस सन्दूक में रखो।'" (निर्गमन 25:10-11)
हम्म। दिलचस्प है। परमेश्वर चाहता था किमूसा एक बड़ा सोने का बक्सा बनाये। लेकिन अभी उसने समाप्त नहीं किया था:
"'तब एक ढक्कन बनाओ। इसे शुद्ध सोने का बनाओ। इसे पैंतालिस इंच लम्बा और सत्ताईस इंच चौड़ा बनाओ। तब दो करूब बनाओ और उन्हें ढक्कन के दोनों सिरों पर लगाओ। इन करूबों को बनाने के लिए स्वर्ण पत्रों का उपयोग करो। एक करूब को ढक्कन के एक सिरे पर लगाओ तथा दूसरे को दूसरे सिरे पर। करूब और ढक्कन को परस्पर जोड़ कर के एक इकाई के रूप में बनाया जाए। करूब एक दूसरे के आमने—सामने होने चाहिए। करूबों के मुख ढक्कन की ओर देखते हुए होने चाहिए। करूबों के पंख ढक्कन पर फैले हों। मैंने तुमको साक्षीपत्र का जो प्रमाण दिया है उसे साक्षीपत्र के सन्दूक में रखो और विशेष ढक्कन से सन्दूक को बन्द करो। जब मैं तुमसे मिलूँगा तब मैं करूबों के बीच से, जो साक्षीपत्र के सन्दूक के विशेष ढक्कन पर है, बात करूँगा। मैं अपने सभी आदेश इस्राएल के लोगों को उसी स्थान से दूँगा।'”
(निर्गमन 25:17-21)
करूब स्वर्गीय स्वर्गदूत होते हैं। वे सुंदर और शानदार होते हैं, और वे स्वर्ग में परमेश्वर के सिंहासन के चारों ओर घूम घूमकर उसकी स्तुति करते रहते हैं। यह सन्दूक स्वर्गीय सिंहासन का एक सांसारिक संस्करण कितरह था। यह पृथ्वी पर उसका सिंहासन था! उसका प्रेम इस्राएलियों के प्रति इतना थाकिवह चाहता था की वे उसके लिए एक ऐसा स्थान तैयार करें जहां वे उसके निकट रह सकते थे। फिर परमेश्वर ने कहा:
"'जब मैं तुमसे मिलूँगा तब मैं करूबों के बीच से, जो साक्षीपत्र के सन्दूक के विशेष ढक्कन पर है, बात करूँगा। मैं अपने सभी आदेश इस्राएल के लोगों को उसी स्थान से दूँगा।'”
(निर्गमन 25:22)
परमेश्वर सन्दूक पर से अपनी उपस्थिति के द्वारा लोगों पर शासन करेगा। वह वहाँ मूसा के साथ भेंट करेगा और अपने लोगों के लिए नियमों को देगा। दस आज्ञाओं ने उन्हें अपने परमेश्वर का सम्मान करने के सिद्धांतों को दिया था, लेकिन वह उनके साथ रहकर उनका मार्गदर्शन करेगा।