पाठ 110 : देश का प्राप्त करना

परमेश्वर अपने लोगों के राष्ट्र का निर्माण कर रहा था जो उसके अनमोल संपत्ति थे। उसने मूसा के ससुर 'यित्रो' का उपयोग एक अदालत प्रणाली को बनाने में किया। जिन बुज़ुर्गों को उन्होंने चुना था, वे यह तय करेंगे की किसे संरक्षण दिया जाये और किसे सज़ा दी जाये। तब परमेश्वर ने दस आज्ञाएं दीं जो उन सिद्धांतों को बताएंगे जिनके आधार पर लोगों को अपना जीवन जीना है। उन्हें परमेश्वर को अपने सारे तन, मन और धन से प्रेम करना था, और अपने समान अपने पड़ोसी से प्रेम करना था। तब परमेश्वर ने इस्राएल के न्यायाधीशों को वाचा की पुस्तक दी जिससे कि वे देश के कानून को सीख पाएंगे। यह उन्हें सिखाता था की कब दण्ड देना है और कब अनुग्रह दिखाना है। यह लोगों को व्यावहारिक तरीके सिखाता था की कैसे दूसरे को, विशेष रूप से गरीब, ग़ुलाम, विधवा, अनाथ, और परदेशी से प्रेम करना था। परमेश्वर के पवित्र देश में कमज़ोरों का विशेष ध्यान रखना होता था। 

इस तरह, वाचा की पुस्तक सिखाती थी किकैसे एक राष्ट्र के रूप में रोजमर्रा के जीवन को चलाना है। यह उन्हें सीनै पर्वत से परमेश्वर के वादे के देश में जाने का विवरण देती थी। 

परमेश्वर ने बताया की वह इस्राएलियों को कनान राष्ट्रों पर विजय प्राप्त करने में मदद करेगा। उसने वादा किया की वह एक दोस्त भेजेगा जो उन्हें वादे के देश में जाने के लिए मार्गदर्शन करेगा। यह वही था जो मूसा को जलती झाड़ी पर प्रकट हुआ था। वह परमेश्वर कि ओर से एक योद्धा था, और उसके साथ परमेश्वर किसशक्त उपस्थिति थी। जो कुछ स्वर्गदूत उनके साथ कर रहा था, वह परमेश्वर कि इच्छा के अनुसार था। वह सही रूप में परमेश्वर के संदेश को देगा। वह अपने राष्ट्र किरक्षा करेगा जब वे दूसरे देशों से गुज़रेंगे। 

 

इस वादे कि सुरक्षा और उच्च सम्मान किकल्पना कीजिए! ब्रह्मांड के परमेश्वर ने उन्हें अपनी वफ़ादारी का वादा दिया था! वह उनके साथ साथ चलेगा और जो राष्ट्र उन पर आक्रमण करेंगे वह उन्हें नष्ट कर देगा। उन्हें एमोरी, हित्ती, परिज्जी, कनानी, हिब्बी, और यबूसी के लोगों को जीतना था। वे सब उस भूमि में रहते थे जो परमेश्वर इस्राएल को देने जा रहा था। इस्राएल को युद्ध लड़ना था, लेकिन परमेश्वर उन्हें सामर्थ देगा और उन्हें जयवन्त बनाएगा। 

 

परमेश्वर ने कहा कि वह उन लोगों में भय डाल देगा जब वे इस्राएल के आने कि ख़बर सुनेंगें। लेकिन वह उन्हें एक साथ वहां से नहीं निकालेगा। प्रत्येक देश के अपने शहर और कसबे थे। वे पहले से ही गेहूं और बाजरा उगा रहे थे। उनके पास पहले से ही तेल के लिए अंजीर और जैतून के पेड़ थे। उनके पास गायें, भेड़ और बकरियां थीं। भूमि पहले से ही खेतों के लिए तैयार थी। जंगली जानवरों को पहले से ही लोगों से दूर कर दिया गया था। 

यदि परमेश्वर शीग्र सारे देशों पर विजय प्राप्त करता है तो ये चीज़ें बहुत समय तक ऐसे नहीं रहने वाली थीं। यदि खेतों में हल नहीं चलाये जाएंगे तो जंगली पौधे निकल आएंगे, और यदि शहर में निवास नहीं होगा तो जंगली जानवर वापस शहरों में घुस आएंगे। परमेश्वर उन्हें एक बार में बाहर नहीं निकालेगा। वह एक बार में एक ही क्षेत्र पर इस्राएलियों को विजय दिलाएगा। जब वे एक क्षेत्र को जीत कर उसमें खेती करना शुरू करेंगे, तो वे दूसरे क्षेत्र में प्रवेश कर पाएंगे। जैसे ही वे एक क्षेत्र को जीत लेते हैं, वे उसके खेतों और बागों को हासिल कर सकते हैं, और इस तरह वे जंगल में परिवर्तित नहीं होंगे। 

परमेश्वर अपनी योजनाएं बहुत सावधानी से बनाता था। वह जानता था कि प्रत्येक स्थान को वह कैसे हासिल करेगा। लेकिन उसने उन्हें चेतावनी दी थी। वे उस राष्ट्र के फलों के पेड़ और दाख किबारियां और खेत से अधिक लेने के इच्छुक हो जाएंगे। वह जानता था कि वे अन्य जातियों के देवताओं की पूजा करने के इच्छुक हो जाएंगे। हालांकि, उनके स्वयं के परमेश्वर, यहोवा ने, उनके लिए कितने अद्भुत काम किये, फिर भी कुछ इस्राएली उन देशों की मूर्तियों के आगे झुकेंगे जिन्हें वे पराजित करने जा रहे थे। उसने उन्हें इसके विरुद्ध में चेतावनी दी थी, और उनके साथ रहने को मना किया था जो मूर्तिपूजक थे क्यूंकि वे भी वही पाप कर सकते थे। 

परमेश्वर ने मूसा को वाचा किपुस्तक में इन नियमों और निर्देशों को दिया था। फिर उसने मूसा को कहा कि वह उसके भाई हारून और इस्राएल के सत्तर बुज़ुर्गों को पर्वत के ऊपर लेकर आये। तब मूसा नीचे गया और लोगों को वह सब बताया जो परमेश्वर ने उसे वाचा कि पुस्तक के लिए बताया था। जब वे सुन चुके, उन्होंने कहा, “'यहोवा ने जिन सभी आदेशों को दिया उनका हम पालन करेंगे।”' इन प्रतिज्ञाओं के द्वारा परमेश्वर और उसके लोगों के बीच एक बंधन बंध गया था। मूसा ने एक स्थायी रिकार्ड के रूप में परमेश्वर द्वारा बताईं सारी बातों को लिख डाला।