पाठ 111 : वाचा की पुष्टि

अगली सुबह, यहोवा से वाचा किपुस्तक प्राप्त करने के बाद, मूसा जल्दी से उठकर पर्वत के पास गया। उसने एक वेदी बनाई और इसके चारों ओर पत्थर के बारह खंभे बनाये। प्रत्येक स्तंभ इस्राएल के बारह जनजातियों का प्रतीक था। वेदी परमेश्वर की उपस्थिति का संकेत था। उसने इस्राएल के युवा पुरुषों को अपने पास बुलाया। उन्होंने युवा बैल की बलि परमेश्वर के लिए बलिदान किये। यह परमेश्वर के स्वयं के अपने लोगों के बीच कि नई वाचा का संकेत था। 

मूसा ने इन जानवरों के खून को इकट्ठा किया। मूसा ने आधा खून प्याले में रखा और उसने दूसरा आधा खून वेदी पर छिड़का। फिर उसने परमेश्वर द्वारा दी गयी वाचा कि पुस्तक को लोगों को पढ़ कर सुनाई। एक बार फिर वे सहमत हुए। उन्होंने परमेश्वर के नियमों के आगे अपने जीवन को और अपने परिवारों और देश को समर्पित किया। उन्होंने कहा, "'हम लोगों ने उन नियमों को जिन्हें यहोवा ने हमें दिया, सुन लिया है और हम सब लोग उनके पालन करने का वचन देते हैं।'”

मूसा ने खून को लिया और उसे लोगों पर छिड़का। यह जीवन का एक संकेत था और उनके समर्पण के प्रतिबद्धता के महत्व का प्रतीक था। वे अपनी पीढ़ी के लिए था, और आने वाली पीढ़ियों के लिए वे परमेश्वर से जुड़ रहे थे। मूसा ने कहा, "'यह खून बताता है कि यहोवा ने तुम्हारे साथ विशेष साक्षीपत्र स्थापित किया। ये नियम जो यहोवा ने दिए है वे साक्षीपत्र को स्पष्ट करते हैं।'” इस वचन के प्रति उनकी आज्ञाकारिता परमेश्वर के साथ कि संगती करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। खून उनके बीच के बंधन को सील कर देता है। 

तब मूसा, हारून, नादाब, अबीहू और इस्राएल के सत्तर बुजुर्ग ऊपर पर्वत पर चढ़े। जब वे परमेश्वर कि ओर ताक रहे थे, ऐसा लगता था की उनके पैरों के नीचे की धरती नीलम के आकाश की तरह स्पष्ट रूप से बन गयी है। वे उसकी पवित्रता के निकट आ गए थे। वे भस्म हो सकते थे। लेकिन परमेश्वर ने उनकी रक्षा की, और उनके विरुद्ध कुछ नहीं किया। यह परमेश्वर और उसके पवित्र देश के अगुवों के बीच की एक विशेष सहभागिता का समय था। वे पर्वत पर उन बारह जातियों के सम्मान में संगती कर रहे थे। 

परमेश्वर ने मूसा से कहा, "'मेरे पास पर्वत पर आओ। मैंने अपने उपदेशों और आदेशों को दो समतल पत्थरों पर लिखा है। ये उपदेश लोगों के लिए हैं। मैं इन समतल पत्थरों को तुम्हें दूँगा।”'मूसा और उसका सहायक यहोशू परमेश्वर के पर्वत तक गए। मूसा ने चुने हुए बुजुर्गो से कहा, “'हम लोगों की यहीं प्रतीक्षा करो, हम तुम्हारे पास लौटेंगे।'" उसने कहा की वे कुछ समय के लिए जा रहे हैं। डेरे में लोगों के बीच कुछ समस्याएं हो सकती हैं। अगर ऐसा होता है, तो वे हारून के पास मदद के लिए जा सकते हैं। 

जब मूसा यहोशू के साथ पहाड़ पर चढ़ा, तो वे बादलों से ढक गए। वे परमेश्वर किज़बरदस्त उपस्थिति के भीतरी अभयारण्य में चले गए: 

(एनआईवी) "यहोवा कि दिव्यज्योति सीनै पर्वत पर उतरी"।

मूसा वहां छ: दिन तक परमेश्वर के लिए रुका। सातवें दिन पर, यहोवा ने उस महान बादल के अंदर से उसे पुकारा। इस्राएलियों के लिए परमेश्वर कि महिमा पहाड़ की चोटी पर एक भस्म करने वाली आग कितरह दिख रही थी। मूसा ने यहोवा कि आज्ञा मानी और उसकी शक्तिशाली उपस्थिति में चला गया। वह वहां चालीस दिन और चालीस रात रुका रहा।