पाठ 117 : अविच्छिन्नित: नियुक्ति की मेढ़

दूसरी मेढ़ नियुक्ति किमेढ़ थी। मूसा को उसे उसी प्रकार वध करना था जिस प्रकार उसने पहले किया था। जिस समय मूसा उसको वध कर रहा था हारून और उसके पुत्रों को उसके सिर पर अपने हाथ रखने थे। फिर कुछ खून लेकर हारून और उसके पुत्रों के दाएं कान के निचले भाग में लगाना था। परमेश्वर के वचन को लोगों को सुनाने के लिए उन्हें अर्पण करने के लिए यह किया गया था। तब मूसा को उनके दाएँ हाथ के अंगूठों पर भी कुछ खून लगाना था। यह उन्हें परमेश्वर की इच्छा को पूरा करने के लिए अर्पण करने का चिन्ह था। उनके हाथ परमेश्वर के लिए लोगों की पवित्र भेंट को लाने वाले हाथ थे। फिर मूसा को मेढ़ का खून लेकर याजक के दाहिने पैर के अंगूठे पर लगाना था। उन्हें एक पवित्र जीवन को प्रदर्शित करते हुए परमेश्वर किइच्छा को एक नमूना बन कर दिखाना था। (परमेश्वर के कार्यक्रम की कलीसिया, 41 में सजीव) अंत में, मूसा को खून से हारून और उसके बेटों और याजकों के पवित्र वस्त्र पर छिड़कना था। यह इस्राएल के उच्च याजक और उसके वंश के बेटों के लिए अभिषेक का अंतिम कार्य था। यह इस उच्च और पवित्र क्षण का जश्न मनाने का समय था! 

परमेश्वर ने मूसा से मेढ़ किचर्बी और गुर्दे और दायें पैर को लाने को कहा। उसे एक रोटी, सादी, एक तेल से बनी और एक छोटी पतली चुपड़ी हुई रोटी लाने को कहा। हारून और उसके पुत्रों को इन्हें परमेश्वर के लिए विशेष भेंट चढ़ानी होगी। यह धन्यवाद का उत्सव था! फिर उन्हें दूसरे मेढ़ कि होमबलि चढ़ानी थी। इन भेटों कि सुगंध परमेश्वर तक पहुंचेगी और वह प्रसन्न होगा। 

मेढ़े किछाती को विशेष भेंट के रूप में यहोवा के सामने पकड़ना था और केवल छाती और टांग का शेष भाग हारून और उसके पुत्रों के लिए होगा। सभी पीढ़ियों के लिए, परमेश्वर अपने याजकों के लिए एक लगातार पर्वों को प्रदान करेगा। उन्हें मंदिर के आँगन में मांस को पकाकर एक साथ इसे खाना था। और किसी को इस मांस को खाने कि अनुमति नहीं थी, उन्होंने अभिषेक होने के समारोह में हिस्सा नहीं लिया था और वे पवित्र याजक होने के लिए अलग नहीं किये गए थे। उस पवित्र भोजन को बलिदान के समय में खाना होता था, और उसे अगले दिन के लिए नहीं रखा जा सकता था। वे एक पवित्र क्षण का हिस्सा थे, और यदि उन्हें तुरंत खाया नहीं जाता, तो उन्हें जला दिया जाता था। 

हारून का यह समन्वय, एक बैल के रोज़ बलिदान के साथ सात दिनों तक चलता था। यह बहुत महत्वपूर्ण था की वेदी को पूरी तौर से शुद्ध किया जाये। "'…उस समय वेदी अत्याधिक पवित्र होगी। वेदी को छूने वाली कोई भी चीज़ पवित्र हो जाएगी।'" (निर्गमन 29: 37b) ।

परमेश्वर के आगे रोज़ दो बलिदानों को लाकर याजक वेदी कि शुद्धता और पवित्रता को बनाए रखेंगे। हर सुबह, याजक को एक वर्ष पुराने भेड़ के बच्चे के बलिदान के साथ तम्बू के काम को खोलना था। उसे दो पौण्ड गेहूँ का महीन आटा भी भेंट चढ़ाना था और गेहूँ के आटे को एक क्वार्ट भेंट चढ़ानी थी। बलिदान को मिलाप वाले तम्बू के प्रवेश द्वार पर तैयार करना था, जो अति पवित्र स्थान का द्वार था। परमेश्वर तक उसकी सुगंध पहुंचेगी और वह अपने लोगों कि भेंट से खुश हो जाएगा। हर शाम, गोधूलि और मंदिर के बंद होने तक, याजक को उसी भेंट को आग के माध्यम से बलिदान करना था, यह जानते हुए की परमेश्वर इससे प्रसन्न होगा। 

इस्राएलियों का दिनचर्य सुबह से लेकर रात तक परमेश्वर के साथ होता था। और यह सेवा, इस्राएलियों की आने वाली पीढ़ियों तक चलती रहेगी। हारून और उसके पुत्रों का यह अभिषेक समारोह पवित्र उपासना की शुरुआत थी। परमेश्वर ने कहा;

"'तुम्हें इन चीज़ों को यहोवा को भेंट में रोज़ जलाना चाहिए। यह यहोवा के सामने, मिलापवाले तम्बू के द्वार पर करो। यह सदा करते रहो। जब तुम भेंट चढ़ाओगे तब मैं अर्थात् यहोवा वहाँ तुम से मिलूँगा और तुमसे बातें करूँगा। मैं इस्राएल के लोगों से उस स्थान पर मिलूँगा और वह स्थान मेरे तेज के कारण पवित्र बन जाएगा। इस प्रकार मैं मिलापवाले तम्बू को पवित्र बनाऊँगा और मैं वेदी को भी पवित्र बनाऊँगा और मैं हारून और उसके पुत्रों को पवित्र बनाऊँगा जिससे वे मेरी सेवा याजक के रूप में कर सकें। मैं इस्राएल के लोगों के साथ रहूँगा। मैं उनका परमेश्वर होऊँगा। लोग यह जानेंगे कि मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूँ। वे जानेंगे कि मैं ही वह हूँ जो उन्हें मिस्र से बाहर लाया ताकि मैं उनके साथ रह सकूँ। मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूँ।'”

निर्गमन 29: 42-46

याजकों का अलग कराया जाना उन्हें एक राष्ट्र के याजक बना दिया। उन्हें अपने जीवन से लोगों के लिए एक नमूना बनना था। जिस प्रकार हारून और उसके इस्राएल के लोगों के लिए एक शुद्ध छवि के समान थे, उसी तरह इस्राएल को भी दुनिया के सामने एक धर्मी राष्ट्र की एक शुद्ध छवि के रूप में होना था।