पाठ 119
परमेश्वर ने अपने सुन्दर मंदिर के निर्माण के लिए उन सभी कुशल कारीगरों के नाम मूसा को बताये। उसने कहा;
“'मैंने यहूदा के कबीले से ऊरो के पुत्र बसलेल को चुना है। ऊरो हूर का पुत्र था। 3 मैंने बसलेल को परमेश्वर की आत्मा से भर दिया है, अर्थात् मैंने उसे सभी प्रकार की चीज़ों को करने का ज्ञान और निपुर्णता दे दी है। बसलेल बहुत अच्छा शिल्पकार है और वह सोना, चाँदी तथा काँसे की चीज़ें बना सकता है। बसलेल सुन्दर रत्नों को काट और जड सकता है। वह लकड़ी का भी काम कर सकता है। बसलेल सब प्रकार के काम कर सकता है। मैंने ओहोलीआब को भी उसके साथ काम करने को चुना है। आहोलीआब दान कबीले के अहीसामाक का पुत्र है और मैंने दूसरे सब श्रमिकों को भी ऐसी निपुर्णता दी है कि वे उन सभी चीज़ों को बना सकते हैं जिसे मैंने तुमको बनाने का आदेश दिया है।'''
निर्गमन 31: 2-7
इन लोगों को मंदिर के काम कि देखरेख करनी थी। सोचिये कितना काम होगा करने के लिए! सन्दूक को बनाने के लिए लकड़ी और वेदियों और पर्दे के लिए फ्रेम तैयार करना! सोना शुद्ध करना और उसकी चादरें और अंगूठियां और हुक बनाना। सन्दूक को ढकने के लिए ढक्कन को बनाना था। पर्दों के लिए सुन्दर कपड़ों को सीना था। अभिषेक के तेल और वेदी के लिए धूप को तैयार करना था। उन्हें हारून और उसके पुत्रों के लिए पवित्र वस्त्र बनाने था। लोगों के पास वापस जाकर मूसा के पास बहुत काम था।
मूसा चालीस दिन और चालीस रात पर्वत पर था। पर्वत इस्राएलियों के लिए एक गरजते हुए तूफान की तरह लग रहा था। परमेश्वर ने अपने पवित्र स्थान के निर्माण के लिए मूसा को बताया। उसने उसे उसके निर्माण के लिए दृश्य दिखाए। मूसा ने परमेश्वर के साथ जो अंतिम बात हमारे लिए लिखी वह सब्त के विषय में थी।
परमेश्वर ने एक बार फिर अपने लोगों को एक साप्ताहिक सब्त के दिन आराम करने को कहा। यह एक पवित्र दिन था, और यह लोगों के लिए एक उच्च और गंभीर आज्ञाकारिता थी। जो भी सब्त का सम्मान नहीं करता था, उसे मार डाला जाता था। यह पीढ़ियों तक उनके सदा रहने वाले वाचा का चिन्ह था। परमेश्वर ने कहा;
'''सब्त का दिन मेरे और इस्राएल के लोगों के बीच सदा के लिए प्रतीक रहेगा।’” (यहोवा ने छः दिन काम किया तथा आकाश एवं धरती को बनाया। सातवें दिन उसने अपने को विश्राम दिया।) इस प्रकार परमेश्वर ने मूसा से सीनै पर्वत पर बात करना समाप्त किया। तब परमेश्वर ने उसे आदेश लिखे हुए दो समतल पत्थर दिए। परमेश्वर ने अपनी उगुलियों का उपयोग किया और पत्थर पर उन नियमों को लिखा।'''
निर्गमन 31:17
पूरे ब्रह्मांड को बनाने में परमेश्वर ने एक बहुत पराक्रमी कार्य किया। मानवता के पापों के कारण से दुनिया में अभिशाप आया। लेकिन अब परमेश्वर ने एक नए राष्ट्र को बना कर एक शक्तिशाली रचनात्मक काम किया था। उसकी नयी रचना शापित दुनिया में अपने लोगों के पास लेकर आएगी। वह उन्हें एक राजसी देश बनाएगा जो पूरी दुनिया में उसे महिमा देगा।
मूसा जब पर्वत पर पवित्र परमेश्वर की उपासना कर रहा था, इस्राएल के लोग कुछ और करने में व्यस्त थे। उन्हें ऐसा लगा कि मूसा एक बहुत लंबे समय के लिए चला गया था। बहुत दिन हो गए थे। सो कुछ लोग हारून के पास गए और बोले,"'देखो, मूसा ने हमें मिस्र देश से बाहर निकाला। किन्तु हम यह नहीं जानते कि उसके साथ क्या घटित हुआ है। इसलिए कोई देवता हमारे आगे चलने और हमें आगे ले चलने वाला बनाओ।'” (निर्गमन 32:1)। हारून, जिसके वस्त्रों के लिए परमेश्वर मूसा को पर्वत पर बता रहा था, लोगों के विरुद्ध में बहस नहीं की। वह एक बुद्धिमान अगुवे की तरह पेश नहीं आया और मूसा के लौटने तक लोगों को इंतजार करने में मदद नहीं की। इसके बजाय, वह भीड़ के साथ हो गया।
उसने लोगों से कहा, "'अपनी पत्नियों, पुत्रों और पुत्रियों के कानों कि बालियाँ मेरे पास लाओ।'” (निर्गमन 32:। 2)। इसलिए इस्राएल के लोगों ने अपनी बालियां उतारीं और हारून के पास ले आये। उसने एक बछड़े की मूर्ति बनवायी ताकि लोग उसकी उपासना कर सकें। फिर उसने उसके सामने एक वेदी बनाई ताकि लोग उसे दंडवत कर सकें। इस सब के बीच, परमेश्वर मूसा को बता रहा था कि परमेश्वर के मंदिर को कैसे बनाना है जहां हारून एक महायाजक के रूप में काम करेगा। इसके बजाय की अपने लोगों को पवित्र और श्रद्धालु उपासना की ओर लेकर जाये, हारून ने उस झूठी मूर्ति के आगे होमबलि और धन्यवाद की भेंट चढ़ाई। लोगों ने खाना पीना और जश्न मनाया। उन्होंने नशे में आकर घिनौने काम किये। पूरे समय, परमेश्वर मूसा को अपने लोगो को पवित्र बनाने कि विधियां सिखा रहा था। जब परमेश्वर लोगों के लिए अपनी अच्छाई और सच्चाई को दिखा रहा था, लोग याजकों और परमेश्वर के महायाजकों कि सहायता से पापी जीवन जी रहे थे।