वादे के देश तक पहुँचने के लिए इस्राएली अपनी खोज में कूच करते रहे। मरुभूमि में कई साल भटकने के बाद, वे ऐसे क्षेत्रों में जा रहे थे जहां और अधिक शहर और कसबे, और लोग थे। वे ऐसे देशों में पहुंचे जहां सैकड़ों वर्षों से लोग बेस हुए थे।
Read Moreइस्राएलियों ने एमोरी लोगों के साथ अपनी लड़ाई समाप्त नहीं की थी। वे बहुत अधिक थी! मूसा ने गुप्तचरों को याजेर नगर पर निगरानी के लिए भेजा। इस्राएल सेना जल्दी से लड़ाई करने के लिए गई और उन्हें विजय प्राप्त हुई। तब वे उत्तर पूर्व गलील के सागर के क्षेत्र की ओर निकल पड़े।
Read Moreवाह। जिस परमेश्वर ने इस्राएल को मिस्र पर विजय दिलाई, वही परमेश्वर इस्राएल के आगे आगे चल रहा था और उन्हें कनान देश पर विजय दिला रहा था। उन्होंने कितना जश्न मनाया होगा!एमोरी एक शक्तिशाली प्रजा थी।
Read Moreबालाक इन सब से थक चुका था। जितनी बार वह बिलाम को इस्राएल को अभिशाप देने को कहता था, एक बहुत बड़ा आशीर्वाद आता था! उसने बालाम को पर्वत पर उसके साथ आने के लिए बिनती की। जब वे वहां पहुंचे, उन्होंने मोआब के मैदानों पर नीचे इस्राएलियों के डेरे को देखा।
Read Moreयहोवा के इस्राएलियों के प्रति उसकी वफ़ादारी के विषय में पढ़ना कितना आश्चर्यजनक है। उसने उन्हें एमोरी के लोगों पर विजय दिलाई थी।फिर उसने सबसे बड़े बुतपरस्त नबी को मोआबी को इस्राएल के प्रति अपने प्रेम को दिखाने के लिए उसे इस्तेमाल किया।
Read Moreगिनती किकिताब के शुरुआत में, परमेश्वर ने बीस साल के ऊपर के पुरुषों की गिनती लेने के लिए मूसा और हारून से कहा। प्रत्येक जनजाति को उनके नाम और उम्र का पता मूसा को देना था, जो युद्ध में लड़ने में सक्षम होंगे। 603,550 वे पुरुष थे जो लड़ सकते थे। इन लोगों को परमेश्वर की सेना होना था जो, कनान पर हमला कर सकते थे।
Read Moreजब परमेश्वर इस्राएल के राष्ट्र को अपनी भूमि को प्राप्त करने में मदद कर रहा था, वह उन्हें एक जबरदस्त बदलाव के लिए भी तैयार कर रहा था। मूसा जो उसका प्रिय सेवक था, अपने लोगों के साथ वादे के देश में नहीं जाने वाला था।
Read Moreजिस समय इस्राएली एक समुदाय के रूप में एक साथ रह रहे थे, उनके पास उलझन में डालने वाले नए मामले अदालत में आ रहे थे। न्यायाधीश के लिए सही बात करना कठिन होगा क्यूंकि कानून सही उत्तर नहीं दे पाएगा।
Read Moreइस्राएलियों के कनान देश में स्थानांतरित करने का समय नज़दीक आ गया था। अभी भी उन्हें कुछ अधूरे काम करने बाकि थे जिस समय वे मोआब के मैदानों पर डेरा लगाये हुए थे। बिलाम जो एक नबी था, उसने इस्राएल के पुरुषों को विचलित करने के लिए मिद्यानी महिलाओं को आश्वस्त किया था।
Read Moreयदि तुम उन लोगों को अपने देश में ठहरने दोगे तो वे तुम्हारे लिए बहुत परेशानियाँ उत्पन्न करेंगे। वे तुम्हारी आँखों में काँटे या तुम्हारी बगल के कील की तरह होंगे। वे उस देश पर बहुत विपत्तियाँ लाएंगे जहाँ तुम रहोगे। मैंने तुम लोगों को समझा दिया जो मुझे उनके साथ करना है और मैं तुम्हारे साथ वही करूँगा यदि तुम लोग उन लोगों को अपने देश में रहने दोगे।”
Read Moreमूसा परमेश्वर के लोगों के दिलों के डर को जानता था। वादे के देश में प्रवेश करना एक बड़ी चुनौती थी। यह डरावना था! लेकिन परमेश्वर अपने लोगों को वफ़ादारी से यहां तक ले आया था। चार सौ साल पहले, उसने इब्राहीम से एक वादा किया था।
Read Moreइस्राएल का राष्ट्र जिस समय वादे के देश की सीमा पर एक पक्षी कि तरह बैठा हुआ था, मूसा उपदेशों और नियमों के माध्यम से उन्हें उपदेश देता रहा। उसने उन्हें परमेश्वर के साथ बनाये उन महान वाचाओं को याद दिलाया, और उन्हें उन वादों को निभाना सिखाया। वह उन्हें अंतिम बार इन बातों को सिखा पाएगा।
Read Moreसीनै पर्वत पर परमेश्वर किआवाज़ को सुनना इस्राएल के लोगों के लिए एक महान पल था। इतिहास में किसी भी देश ने कभी भी परमेश्वर के साथ इस तरह से सामना नहीं किया होगा।यह इसीलिए था क्यूंकि इस्राएल को इतिहास में एक बहुत ही खास भूमिका के लिए चुना गया था।
Read Moreवाचा यदि इस्राएलियों की प्रत्येक पीढ़ी के लिए था, तो उन्हें उसे वास्तव में गहराई से समझना ज़रूरी था। सो मूसा दुबारा से दूसरी पीढ़ी को दस आज्ञाएं सिखाने लगा।
Read Moreपहला नियम जो यहोवा ने अपने लोगों को दिया वह था की, "तुम्हे मेरे अतिरिक्त किसी अन्य देवता को, नहीं मानना चाहिए।" इसका मतलब था की इस्राएली किसी और झूठे देवता किमूर्तियों की पूजा नहीं कर सकते थे। इसका मतलब यह भी था की उन्हें उस भूमि को उन मूर्तिपूजक राष्ट्रों से साफ़ करना था जो सैकड़ों वर्षों से वहां रह रहे थे।
Read Moreपहली दो आज्ञाओं ने सिखाया की किस प्रकार उन्हें अपने धर्म और विश्वास के बारे में सोचना है। वे यहोवा के आगे और किसी अन्य देवता किपूजा नहीं कर सकते थे। वे किसी भी मूर्ती किपूजा नहीं कर सकते थे।
Read Moreइस्राएली हिब्रू की भाषा बोलते थे। हिब्रू में, "सब्त" "आराम करना" या "रोकना" होता है। इसे "जश्न मनाना" भी कहते हैं।
Read Moreजब परमेश्वर ने हर सप्ताह के सातवें दिन सब्त के दिन को मनाने की आज्ञा दी, उसने कहा की वह चाहता था की उसके लोग इसका सम्मान करके उसके प्रति अपनी वफ़ादारी को दिखाएँ।
Read Moreइस्राएल के लोगों को यहोवा को सप्ताह का एक दिन देना होता था। यह उनके लिए सब्त का दिन था। साल में एक बार उन्हें यहोवा की उपस्थिति के लिए अपने सभी फसलों और पशुओं के दसवें हिस्से को लाना होता था।
Read Moreएक वर्ष में तीन बार, इस्राएल के परिवारों को उस महान राष्ट्रीय पर्व के लिए अपने घरों और खेतों से मंदिर के लिए यात्रा करनी होती थी। पहला पर्व फसह का पर्व था।
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