पाठ 171 : यरदन के पार जनजातियां -मूसा के डर

और 33 साल से 36 सालों की एक त्वरित अवलोकन:। और " ... यदि तुम उन लोगों को अपने देश में ठहरने दोगे तो वे तुम्हारे लिए बहुत परेशानियाँ उत्पन्न करेंगे। वे तुम्हारी आँखों में काँटे या तुम्हारी बगल के कील की तरह होंगे। वे उस देश पर बहुत विपत्तियाँ लाएंगे जहाँ तुम रहोगे। मैंने तुम लोगों को समझा दिया जो मुझे उनके साथ करना है और मैं तुम्हारे साथ वही करूँगा यदि तुम लोग उन लोगों को अपने देश में रहने दोगे।” गिनती 33: 55-56 और संक्षेप में उनकी भूमि की सीमाओं का वर्णन कीजिये (एक नक्शा ढूँढिये )।

 

इस्राएली जब मोआब के मैदानों पर डेरा डाले हुए थे, जनजातियों के कुछ लोग चारों ओर देखने लगे। जो देश यहोवा ने पहले से ही उनके लिए जीत लिया था वह अच्छा था। सो रूबेनियों और गादियों ने मूसा के पास जाकर पूछाकि क्या यह वही देश है जिसे उनके लोगों को परमेश्वर विरासत में देने जा रहा था। वे यरदन नदी को पार करके उस भूमि को प्राप्त नहीं करना चाहते थे जिसे उन्हें अभी जीतना था। 

जब मूसा ने यह सुना, वह पागल हो गया। कनान देश का आक्रमण एक राष्ट्रीय बुलाहट थी। प्रत्येक जनजाति का व्यक्ति उस काम के लिए महत्वपूर्ण था जो परमेश्वर ने उनके लिए ठहराया हुआ था। उनके सैनिकों किजरूरत थी। क्या ये लोग परमेश्वर किइच्छा को पूरा नहीं करेंगे? क्या वे दूर जनजातियों को युद्ध में जाने से हतोत्साहित करेंगे? क्या पलायन करने कियह दूसरी पीढ़ी पहली पीढ़ी कितरह वही गलतियां करेगी? परमेश्वर इस्राएल के प्रत्येक जनजाति से दिल से आज्ञाकारिता चाहता था, और यह एक समझौता लग रहा था। क्या वे परमेश्वर कि इच्छा में पूर्ण रूप से गोता लगाएंगे? 

गाद और रूबेन की जनजातियों के पुरुषों ने मूसा से आकर कहा;

 

'''यहाँ हम लोग अपने बच्चों के लिए नगर और अपने जानवरों के लिए बाड़े बनाएंगे। तब हमारे बच्चे उन अन्य लोगों से सुरक्षित रहेंगे जो इस प्रदेश में रहते हैं। किन्तु हम लोग प्रसन्नता से आगे बढ़कर इस्राएल के लोगों की सहायता करेंगे। हम लोग उन्हें उनके प्रदेश में ले जाएंगे। हम लोग तब तक घर नहीं लौटेंगे जब तक हर एक व्यक्ति इस्राएल में अपनी भूमि का हिस्सा नहीं पा लेता। हम लोग यरदन नदी के पश्चिम में कोई भूमि नहीं लेंगे। नहीं। हम लोगों की भूमि का भाग यरदन नदी के पूर्व ही है।'”

गिनती 32:16-19

 

जब मूसा ने यह सुना, वह प्रसन्न हुआ। उसने कहा कि यदि वे सही मायने में वादे के देश में इस्राएल सेना के साथ जाने के लिए और उनके साथी जनजातियों को उस भूमि को जीतने में मदद करेंगे, तब, जब वे पूरा कर चुके होंगे, तो वे यरदन के पूर्व की ओर अपने घरों को लौट सकते थे। लेकिन यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया, वे परमेश्वर के खिलाफ पाप करेंगे, और वह उन्हें सबक सिखाएगा। 

 

तब मूसा ने सीहोन और ओग के एमोरी राज्यों को गाद, रूबेन, और मनश्शे की जनजातियों को सौंप दिया। प्रत्येक जनजाति के पास अपने स्वयं कि भूमि थी। उनके लोग वहां गए और बस गए। प्रत्येक परिवार को अपने घर और खेतों के लिए स्वयं के भूखंड दिए जाएंगे। उन्होंने शहरों की इमारतों को लिया और उन्हें फिर से बनाया। उन्होंने उनके खेतों में जाकर फसलों का उत्पादन किया। उनकी स्त्रियां और बच्चे उस देश में जाकर आराम कर सके जिसे परमेश्वर ने उन्हें दिया था। परमेश्वर ने उन्हें यह विरासत में दिया था। जल्द ही, कनान का आक्रमण शुरू होगा, और इस्राएली परमेश्वर के लड़ेंगे ताकि प्रत्येक जाति और हर परिवार के लिए अपने स्वयं की भूमि हो।