Posts in covenant
पाठ 149 :आशीर्वाद और लेवियों का अलग किया जाना

मूसा ने मंदिर के निर्माण के पराक्रमी काम को समाप्त किया। पूरा इस्राएल समुदाय उनके बहुतायत के धन में एक साथ शामिल हो गया था। परमेश्वर के सिंहासन को बनाने के लिए बहुत सारा सोना दिया गया और करूबों के साथ पर्दे सिले गए और उन्हें बड़ी सावधानी से लटका दिए गए।

Read More
पाठ 150

जब से फिरौन ने इस्राएलियों को जाने दिया था तब से एक साल बीत गया था। उसने अपना पुत्र खो दिया था क्यूंकि उसने अपने दिल को पराक्रमी परमेश्वर की इच्छा के खिलाफ कठोर कर लिया था। लेकिन परमेश्वर ने इस्राएलियों के बेटों को बख्शा।

Read More
पाठ 151 : सत्तर अगुवे, आत्मा, और बटेर

इस्राएलियों का एक समूह उस मन्ना की जगह, जो परमेश्वर इतने चमत्कारी ढंग से उन्हें प्रदान कर रहा था, अन्य चीज़ों की इच्छा करने लगे। उनकी शिकायतें अन्य इस्त्राएलियों में फैलने लगी, और बहुत जल्द वे ये बातें कहने लगे;

Read More
पाठ 152

वाह, इस्राएल के राष्ट्र ने फिर से विद्रोह कर दिया था! उन्होंने परमेश्वर के द्वारा दिए अगुवे मूसा के विरुद्ध में लड़ाई की थी, और उन्होंने उसके द्वारा दिए अद्भुत उपहार, मन्ना का विद्रोह किया था। परन्तु परमेश्वर अच्छाई को इनके द्वारा ले कर आया था।

Read More
पाठ 154 : मूसा, एक अद्भुतमध्यस्थ

पूरा इस्राएल का डेरा अराजकता कि स्थिति में था। यह सुनकर किकनान देश में पहले से ही महान राष्ट्र रहते हैं, वे भयभीत हो गए, और इस्राएली पूर्ण रूप से विद्रोही होने लगे थे। वे परमप्रधान परमेश्वर किभलाई के विरुद्ध अपराधी बनने जा रहे थे।

Read More
पाठ 156 : कोरह का विद्रोह भाग 1

मानव जाति बहुत पापी है। एक उच्च और पवित्र परमेश्वर है जो आशीर्वाद देना चाहता है, और फिर भी जिस मनुष्य को उसने बनाया वह अपने ऊपर शाप लाता रहा। यहां तक की जिस राष्ट्र पर परमेश्वर ने अपने कीमती वादे बाध्य किये थे, वे भी पाप और विद्रोहकिही समस्या में पड़े हुए थे।

Read More
पाठ 157 : कोरह का विद्रोह भाग 2

मूसा ने कोरह और उसके साथ के लोगों को उनकी धूपदानी को लेकर मंदिर में आने को कहा। वे स्वयं परमेश्वर से जान जाएंगे किकौन इस्राएल का महायाजक होने के लिए बुलाया गया था।

Read More
पाठ 161 : अमोरियों को बाहर निकालनाभाग 1: राजा सीहोन

वादे के देश तक पहुँचने के लिए इस्राएली अपनी खोज में कूच करते रहे। मरुभूमि में कई साल भटकने के बाद, वे ऐसे क्षेत्रों में जा रहे थे जहां और अधिक शहर और कसबे, और लोग थे। वे ऐसे देशों में पहुंचे जहां सैकड़ों वर्षों से लोग बेस हुए थे।

Read More
पाठ 162 : एमोरी के लोगों को बाहर निकालना भाग II: राजा ओग

इस्राएलियों ने एमोरी लोगों के साथ अपनी लड़ाई समाप्त नहीं की थी। वे बहुत अधिक थी! मूसा ने गुप्तचरों को याजेर नगर पर निगरानी के लिए भेजा। इस्राएल सेना जल्दी से लड़ाई करने के लिए गई और उन्हें विजय प्राप्त हुई। तब वे उत्तर पूर्व गलील के सागर के क्षेत्र की ओर निकल पड़े।

Read More
पाठ 163 : बलाक राजा का नबी बिलाम के पास जाना

वाह। जिस परमेश्वर ने इस्राएल को मिस्र पर विजय दिलाई, वही परमेश्वर इस्राएल के आगे आगे चल रहा था और उन्हें कनान देश पर विजय दिला रहा था। उन्होंने कितना जश्न मनाया होगा!एमोरी एक शक्तिशाली प्रजा थी।

Read More
पाठ 164 : बिलाम और उसका बोलने वाला गधा

बिलाम के गधे ने यह साबित कर दिया की उसकी आँखें आध्यात्मिक बातों कि ओर उसके अपने मालिक से बेहतर थीं। परमेश्वर का पराक्रमी स्वर्गदूत अपनी तलवार लिए उनके सामने खड़ा हुआ था।

Read More
पाठ 168

जब परमेश्वर इस्राएल के राष्ट्र को अपनी भूमि को प्राप्त करने में मदद कर रहा था, वह उन्हें एक जबरदस्त बदलाव के लिए भी तैयार कर रहा था। मूसा जो उसका प्रिय सेवक था, अपने लोगों के साथ वादे के देश में नहीं जाने वाला था।

Read More
पाठ 169 : एक स्त्री का महत्व

जिस समय इस्राएली एक समुदाय के रूप में एक साथ रह रहे थे, उनके पास उलझन में डालने वाले नए मामले अदालत में आ रहे थे। न्यायाधीश के लिए सही बात करना कठिन होगा क्यूंकि कानून सही उत्तर नहीं दे पाएगा।

Read More
पाठ 170 : मिद्यानियों का कठिन तरीकों से सीखना

इस्राएलियों के कनान देश में स्थानांतरित करने का समय नज़दीक आ गया था। अभी भी उन्हें कुछ अधूरे काम करने बाकि थे जिस समय वे मोआब के मैदानों पर डेरा लगाये हुए थे। बिलाम जो एक नबी था, उसने इस्राएल के पुरुषों को विचलित करने के लिए मिद्यानी महिलाओं को आश्वस्त किया था।

Read More
पाठ 171 : यरदन के पार जनजातियां -मूसा के डर

यदि तुम उन लोगों को अपने देश में ठहरने दोगे तो वे तुम्हारे लिए बहुत परेशानियाँ उत्पन्न करेंगे। वे तुम्हारी आँखों में काँटे या तुम्हारी बगल के कील की तरह होंगे। वे उस देश पर बहुत विपत्तियाँ लाएंगे जहाँ तुम रहोगे। मैंने तुम लोगों को समझा दिया जो मुझे उनके साथ करना है और मैं तुम्हारे साथ वही करूँगा यदि तुम लोग उन लोगों को अपने देश में रहने दोगे।”

Read More
व्यवस्थाविवरण: वाचा नवीकरण की पुस्तक - मोआब के मैदानों में मूसा और उसके लोग

यहोवा जो इस्राएल का महान राजा है, अपने लोगों का उसने मोआब के मैदानों के लिए नेतृत्व किया। वे वादे के देश की सीमा पर पहुंच गए थे। वे अपनी आँखों से देख सकते थे। यरदन नदी के सामने इस्राएल का डेरा था। नदी के उस पार पहाड़ियों के साथ खुली, सूखी ज़मीन थी।

Read More
पाठ 173 : # 2 मोआब के मैदानों में - युद्धक्षेत्र पर यहोवा की वफ़ादारी को याद करना

मूसा परमेश्वर के लोगों के दिलों के डर को जानता था। वादे के देश में प्रवेश करना एक बड़ी चुनौती थी। यह डरावना था! लेकिन परमेश्वर अपने लोगों को वफ़ादारी से यहां तक ले आया था। चार सौ साल पहले, उसने इब्राहीम से एक वादा किया था।

Read More
पाठ 174 : # 3 भूमि में वाचा को निभाना

इस्राएल का राष्ट्र जिस समय वादे के देश की सीमा पर एक पक्षी कि तरह बैठा हुआ था, मूसा उपदेशों और नियमों के माध्यम से उन्हें उपदेश देता रहा। उसने उन्हें परमेश्वर के साथ बनाये उन महान वाचाओं को याद दिलाया, और उन्हें उन वादों को निभाना सिखाया। वह उन्हें अंतिम बार इन बातों को सिखा पाएगा।

Read More
पाठ 175 : # 4 दस आज्ञाएं

सीनै पर्वत पर परमेश्वर किआवाज़ को सुनना इस्राएल के लोगों के लिए एक महान पल था। इतिहास में किसी भी देश ने कभी भी परमेश्वर के साथ इस तरह से सामना नहीं किया होगा।यह इसीलिए था क्यूंकि इस्राएल को इतिहास में एक बहुत ही खास भूमिका के लिए चुना गया था।

Read More
पाठ 177 : # 6 पहली आज्ञा के निहितार्थ

पहला नियम जो यहोवा ने अपने लोगों को दिया वह था की, "तुम्हे मेरे अतिरिक्त किसी अन्य देवता को, नहीं मानना चाहिए।" इसका मतलब था की इस्राएली किसी और झूठे देवता किमूर्तियों की पूजा नहीं कर सकते थे। इसका मतलब यह भी था की उन्हें उस भूमि को उन मूर्तिपूजक राष्ट्रों से साफ़ करना था जो सैकड़ों वर्षों से वहां रह रहे थे।

Read More