पाठ 152

वाह, इस्राएल के राष्ट्र ने फिर से विद्रोह कर दिया था! उन्होंने परमेश्वर के द्वारा दिए अगुवे मूसा के विरुद्ध में लड़ाई की थी, और उन्होंने उसके द्वारा दिए अद्भुत उपहार, मन्ना का विद्रोह किया था। परन्तु परमेश्वर अच्छाई को इनके द्वारा ले कर आया था। डेरा उन विद्रोही लोगों से भरा हुआ था जो दूसरे लोगों के विश्वास को नष्ट करना चाहते थे। और परमेश्वर ने इसका उपयोग सत्तर लोगों को खड़ा करने में किया जो आत्मा से भर कर देश का नेतृत्व करने में मूसा कि मदद करेंगे। 

केवल इस्राएल के लोगों में ही शिकायत किसमस्या नहीं थी। हारून और मरियम, जो मूसा के भाई और बहन थे, वे भी शिकायत करने लगे। वे बड़बड़ाने लगे की मूसा की पत्नी इस्राएली नहीं थी। वह कुश से थी, और उसके पिता एक मिद्यानी याजक थे। उन्होंने अपने भाई की आलोचना की और कहा कि उसे क्यूँ अधिकार दिया गया है। उन्होंने कहा; "'क्या परमेश्वर ने केवल मूसा से ही बात की... क्या उसने हमारे द्वारा बात नहीं की?'" लेकिन जब वे यह कह रहे थे, तब वे परमेश्वर के शब्द को नहीं सुन रहे थे। वे स्वयं के गौरव को सुन रहे थे, और चाहते थे कि उन्हें अधिकार मिले। उनका लक्ष्य परमेश्वर का लक्ष्य नहीं था, और वे मूसा के विरुद्ध विद्रोह नहीं कर रहे थे परन्तु परमेश्वर के विरुद्ध कर रहे थे! 

 

लेकिन बाइबिल बताती है किमूसा सबसे विनम्र व्यक्ति था। वह खुद किसेवा करने के लिए इस्राएल का नेतृत्व नहीं कर रहा था। वह अपने प्रभु किसेवा करने के लिए यह कर रहा था। वह एक ऐसा सेवक था जिसे आशीर्वाद देने के लिए परमेश्वर प्रसन्न होता है। 

 

परमेश्वर ने मूसा, हारून और मरियम को मिलापवाले तम्बू में बुलाया। परमेश्वर बादल के खम्भे में नीचे आया और उनसे बात की। उसने मरियम और हारून को आगे बुलाया और कहा;

 

"'जब मैं तुम लोगों में नबी भेजूँगा, तब मैं अर्थात् यहोवा अपने आपको उसके दर्शन में दिखाऊँगा और मैं उससे उसके सपने में बात करूँगा। किन्तु मैंने अपने सेवक मूसा के साथ ऐसा नहीं किया। मैंने उसे अपने सभी लोगों को ऊपर शक्ति दी है। जब मैं उससे बात करता हूँ तो मैं उसके आमने सामने बात करता हूँ। मैं जो बात कहना चाहता हुँ उसे साफ—साफ कहता हुँ मैं छिपे अर्थ वाले विचित्र विचारों को उसके सामने नहीं रखता और मूसा यहोवा के स्वरूप को देख सकता है। इसलिए तुमने मेरे सेवक मूसा के विरुद्ध बोलने का साहस कैसे किया?”'

गिनती 12: 5-8

 

परमेश्वर उनके किये पर क्रोधित था और फिर वहां से चला गया। जब बादल ऊपर उठा, तब मरियम सफेद, चर्मरोग से ढंप गयी। वह मुसीबत का मुख्य कारण थी, और परमेश्वर का न्याय उस पर गिरा। बटेर की तरह, परमेश्वर सब कुछ देखता है। वह जानता है की किस पाप के लिए कितनी सज़ा देनी है। वह यह भी जानता है की उसके लोगों को पश्चाताप कराने के लिए न्याय का किस प्रकार उपयोग करना है। सोचिये हारून को कैसा लगा होगा जब उसने अपनी प्यारी बहन को इस बीमारी से ढंका हुआ देखा। अचानक, जो अतिदुःख देने वाली समस्याएं वह परमेश्वर के लोगों पर ला रहा था, वह मरियम के चेहरे पर जीवित और वास्तविक रूप से दिखाई पड़ने लगीं। 

 

हारून ने अपनी बहन को देखा और मूसा को पुकार कर कहा, '"महोदय, कृपा करके जो मूर्खता भरा पाप हम लोगों ने किया है, उसके लिए क्षमा करें।'" मूसा ने हारून के शब्दों को सुना और परमेश्वर से कहा, "'परमेश्वर, कृपा करके इस बीमारी से उसे स्वस्थ कर!'”

 

"'और परमेश्वर ने मूसा को कहा, "यदि उसका पिता उसके मुँह पर थूके, तो वह सात दिन तक लज्जित रहेगी। इसलिए उसे सात दिन तक डेरे से बाहर रखो। उस समय के बाद वह ठीक हो जायेगी। तब वह डेरे में वापस आ सकती है।”'

सात दिन उस व्यक्ति को डेरे के बाहर रहना होता था जो अशुद्ध हो जाता था। लेकिन कुष्ठ रोग एक भयानक, संक्रामक रोग था। यह उसे उसके लोगों के बीच से बाकि के जीवन के लिए दूर कर देता है। परमेश्वर मरियम पर दयालू रहा। उसने मूसा को लोगों के सामने उसके नेतृत्व को नीचा दिखाकर पाप किया था। उसने सोचा की वह परमेश्वर की अनुमति के बिना परमेश्वर के दास के कार्य को अपने हाथ में ले लेगी। 

परमेश्वर ने पहले से ही मरियम को एक अविश्वसनीय रूप से महान सम्मान दिया था। वह मूसा की बहन थी, और उसे उसका वफ़ादार समर्थक हो कर रहना चाहिए था। इसके बजाय, उसने उसे धोखा दिया और पूरे राष्ट्र के सामने अपने लिए उसकी सबसे बड़ी दुश्मन बन गयी। परमेश्वर ने सबको दिखाया किउसका व्यवहार कितना शर्मनाक था। उसने लोगों को दिखाया की उसका अधिकार और आशीर्वाद वास्तव में मूसा पर था, और उन्हें उसके पीछे चलने की ज़रुरत थी। उसने अपने प्रेम को मरियम पर भी दिखाया। वह उसे एक सिद्ध पिता के रूप में अनुशासित कर रहा था। वह थोड़ी देर के लिए अपने पाप के भार को महसूस करेगी, लेकिन फिर वह हट जाएगा। 

मरियम सात दिनों के लिए चर्मरोग के साथ डेरे के बाहर चली गयी। पूरा देश उसके लिए रुका रहा। वे उसके पाप के बावजूद उसके बिना नहीं जाएंगे। यह कितना एक अद्भुत दया और अनुग्रह है! जब वह वापस अपने लोगों के बीच आई, तो वह पूरी तरह से चंगी हो गयी थी। इस्राएली वहां से कूच करने के लिए कितनी बातें कर रहे होंगे। मरियम का कुष्ठ ठीक हो गया था! यह असंभव था, लेकिन सच था। जब वे हसेरोत से पारान मरुभूमि की ओर जा रहे थे, तो वे जानते थे की मूसा ही उनका सच्चा अगुवा है, और वह एक ताकतवर और अनुग्रहकारी परमेश्वर किशक्ति के अधीन था।