Posts in Old Testament
पाठ 150

जब से फिरौन ने इस्राएलियों को जाने दिया था तब से एक साल बीत गया था। उसने अपना पुत्र खो दिया था क्यूंकि उसने अपने दिल को पराक्रमी परमेश्वर की इच्छा के खिलाफ कठोर कर लिया था। लेकिन परमेश्वर ने इस्राएलियों के बेटों को बख्शा।

Read More
पाठ 151 : सत्तर अगुवे, आत्मा, और बटेर

इस्राएलियों का एक समूह उस मन्ना की जगह, जो परमेश्वर इतने चमत्कारी ढंग से उन्हें प्रदान कर रहा था, अन्य चीज़ों की इच्छा करने लगे। उनकी शिकायतें अन्य इस्त्राएलियों में फैलने लगी, और बहुत जल्द वे ये बातें कहने लगे;

Read More
पाठ 152

वाह, इस्राएल के राष्ट्र ने फिर से विद्रोह कर दिया था! उन्होंने परमेश्वर के द्वारा दिए अगुवे मूसा के विरुद्ध में लड़ाई की थी, और उन्होंने उसके द्वारा दिए अद्भुत उपहार, मन्ना का विद्रोह किया था। परन्तु परमेश्वर अच्छाई को इनके द्वारा ले कर आया था।

Read More
पाठ 153 : भूमि का पुरुषों द्वारा सन्वेषण करना

इस्राएल का राष्ट्र पारान मरुभूमि में डेरा डाले हुए था। उन्होंने सीनै से वादे के देश कूच किया था। बाकी दुनिया के लिए, वह कनान कहलाता था। जो लोग वहां पहले से रहते थे वे कनानी कहलाये जाते थे। वे क्या सोच रहे होंगे जब उन्हें यह मालूम हुआ होगा की दो लाख इस्राएली उनके देश के किनारों पर डेरा डाले हुए थे? समय नज़दीक आ रहा था।

Read More
पाठ 156 : कोरह का विद्रोह भाग 1

मानव जाति बहुत पापी है। एक उच्च और पवित्र परमेश्वर है जो आशीर्वाद देना चाहता है, और फिर भी जिस मनुष्य को उसने बनाया वह अपने ऊपर शाप लाता रहा। यहां तक की जिस राष्ट्र पर परमेश्वर ने अपने कीमती वादे बाध्य किये थे, वे भी पाप और विद्रोहकिही समस्या में पड़े हुए थे।

Read More
पाठ 157 : कोरह का विद्रोह भाग 2

मूसा ने कोरह और उसके साथ के लोगों को उनकी धूपदानी को लेकर मंदिर में आने को कहा। वे स्वयं परमेश्वर से जान जाएंगे किकौन इस्राएल का महायाजक होने के लिए बुलाया गया था।

Read More
पाठ 159 : पत्थर से पानी निकलना-मूसा का बड़ा नुकसान

इस्राएल का राष्ट्र उनके घातक विद्रोह के बाद अड़तीस साल तक मरुभूमि में फिरता रहा। जब परमेश्वर ने उन्हें लाल सागर के पानी के माध्यम से निकाला था, तो जो प्रौढ़ पीढ़ी थी वह मर रही थी। उन्हें बंजर भूमि में गाड़ दिया गया, जब राष्ट्र यहोवा के निर्देशन के अनुसार जगह जगह भटक रहा था।

Read More
पाठ 160 : एदोम की अस्वीकृति और हारून की मौत

अब समय आ गया था किइस्राएल का राष्ट्र यात्रा पर निकले, लेकिन उनका रास्ता उन्हें दूसरे देश में ले गया। यह एदोम देश था, और ये वे लोग नहीं थे जिन्हें परमेश्वर ने जीत के लिए इस्राएल को बुलाया था। परमेश्वर ने उन लोगों के साथ शांति बनाए रखने के लिए मूसा से कहा था।

Read More
पाठ 161 : अमोरियों को बाहर निकालनाभाग 1: राजा सीहोन

वादे के देश तक पहुँचने के लिए इस्राएली अपनी खोज में कूच करते रहे। मरुभूमि में कई साल भटकने के बाद, वे ऐसे क्षेत्रों में जा रहे थे जहां और अधिक शहर और कसबे, और लोग थे। वे ऐसे देशों में पहुंचे जहां सैकड़ों वर्षों से लोग बेस हुए थे।

Read More
पाठ 162 : एमोरी के लोगों को बाहर निकालना भाग II: राजा ओग

इस्राएलियों ने एमोरी लोगों के साथ अपनी लड़ाई समाप्त नहीं की थी। वे बहुत अधिक थी! मूसा ने गुप्तचरों को याजेर नगर पर निगरानी के लिए भेजा। इस्राएल सेना जल्दी से लड़ाई करने के लिए गई और उन्हें विजय प्राप्त हुई। तब वे उत्तर पूर्व गलील के सागर के क्षेत्र की ओर निकल पड़े।

Read More
पाठ 164 : बिलाम और उसका बोलने वाला गधा

बिलाम के गधे ने यह साबित कर दिया की उसकी आँखें आध्यात्मिक बातों कि ओर उसके अपने मालिक से बेहतर थीं। परमेश्वर का पराक्रमी स्वर्गदूत अपनी तलवार लिए उनके सामने खड़ा हुआ था।

Read More
पाठ 165 : बिलाम की अंतिम भविष्यवाणी और महान, श्रेष्ठ वादा

बालाक इन सब से थक चुका था। जितनी बार वह बिलाम को इस्राएल को अभिशाप देने को कहता था, एक बहुत बड़ा आशीर्वाद आता था! उसने बालाम को पर्वत पर उसके साथ आने के लिए बिनती की। जब वे वहां पहुंचे, उन्होंने मोआब के मैदानों पर नीचे इस्राएलियों के डेरे को देखा।

Read More
पाठ 166 : इस्राएली पुरुषों का मिद्यानी स्त्रियों के साथ पाप में गिरना

यहोवा के इस्राएलियों के प्रति उसकी वफ़ादारी के विषय में पढ़ना कितना आश्चर्यजनक है। उसने उन्हें एमोरी के लोगों पर विजय दिलाई थी।फिर उसने सबसे बड़े बुतपरस्त नबी को मोआबी को इस्राएल के प्रति अपने प्रेम को दिखाने के लिए उसे इस्तेमाल किया।

Read More
पाठ 167 : आक्रमण की तैयारी और मिद्यानियों पर कब्ज़ा

गिनती किकिताब के शुरुआत में, परमेश्वर ने बीस साल के ऊपर के पुरुषों की गिनती लेने के लिए मूसा और हारून से कहा। प्रत्येक जनजाति को उनके नाम और उम्र का पता मूसा को देना था, जो युद्ध में लड़ने में सक्षम होंगे। 603,550 वे पुरुष थे जो लड़ सकते थे। इन लोगों को परमेश्वर की सेना होना था जो, कनान पर हमला कर सकते थे।

Read More
पाठ 168

जब परमेश्वर इस्राएल के राष्ट्र को अपनी भूमि को प्राप्त करने में मदद कर रहा था, वह उन्हें एक जबरदस्त बदलाव के लिए भी तैयार कर रहा था। मूसा जो उसका प्रिय सेवक था, अपने लोगों के साथ वादे के देश में नहीं जाने वाला था।

Read More
पाठ 169 : एक स्त्री का महत्व

जिस समय इस्राएली एक समुदाय के रूप में एक साथ रह रहे थे, उनके पास उलझन में डालने वाले नए मामले अदालत में आ रहे थे। न्यायाधीश के लिए सही बात करना कठिन होगा क्यूंकि कानून सही उत्तर नहीं दे पाएगा।

Read More
पाठ 171 : यरदन के पार जनजातियां -मूसा के डर

यदि तुम उन लोगों को अपने देश में ठहरने दोगे तो वे तुम्हारे लिए बहुत परेशानियाँ उत्पन्न करेंगे। वे तुम्हारी आँखों में काँटे या तुम्हारी बगल के कील की तरह होंगे। वे उस देश पर बहुत विपत्तियाँ लाएंगे जहाँ तुम रहोगे। मैंने तुम लोगों को समझा दिया जो मुझे उनके साथ करना है और मैं तुम्हारे साथ वही करूँगा यदि तुम लोग उन लोगों को अपने देश में रहने दोगे।”

Read More
व्यवस्थाविवरण: वाचा नवीकरण की पुस्तक - मोआब के मैदानों में मूसा और उसके लोग

यहोवा जो इस्राएल का महान राजा है, अपने लोगों का उसने मोआब के मैदानों के लिए नेतृत्व किया। वे वादे के देश की सीमा पर पहुंच गए थे। वे अपनी आँखों से देख सकते थे। यरदन नदी के सामने इस्राएल का डेरा था। नदी के उस पार पहाड़ियों के साथ खुली, सूखी ज़मीन थी।

Read More
पाठ 173 : # 2 मोआब के मैदानों में - युद्धक्षेत्र पर यहोवा की वफ़ादारी को याद करना

मूसा परमेश्वर के लोगों के दिलों के डर को जानता था। वादे के देश में प्रवेश करना एक बड़ी चुनौती थी। यह डरावना था! लेकिन परमेश्वर अपने लोगों को वफ़ादारी से यहां तक ले आया था। चार सौ साल पहले, उसने इब्राहीम से एक वादा किया था।

Read More
पाठ 174 : # 3 भूमि में वाचा को निभाना

इस्राएल का राष्ट्र जिस समय वादे के देश की सीमा पर एक पक्षी कि तरह बैठा हुआ था, मूसा उपदेशों और नियमों के माध्यम से उन्हें उपदेश देता रहा। उसने उन्हें परमेश्वर के साथ बनाये उन महान वाचाओं को याद दिलाया, और उन्हें उन वादों को निभाना सिखाया। वह उन्हें अंतिम बार इन बातों को सिखा पाएगा।

Read More