यीशु एक बार फिर समुद्र के तट के किनारे चल रहा था। गलील के पानी के चारों ओर पहाड़ों का दिखना कितना सुन्दर दृश्य था। यह शहय पतझर का समय रहा होगा, लेकिन इस्राएल का मौसम सर्दियों में भी समान्य होता है। जब वह था, भीड़ उसके पीछे हो ली। और वह उनको परमेश्वर के राज्य के, में सुना रहा था।
Read Moreकोढ़ी के चमत्कारी उपचार के बारे में शब्द दूर दूर तक फ़ैल गया। यीशु की लोकप्रियता बढ़ रहा थी, और नीचे दक्षिण यरूशलेम में लोग उसके बारे में अधिक से अधिक सुन रहे थे।
Read Moreयीशु उन यहूदियों को अपने वचन सुनते रहे जो उसे मारने चाहते थे
“यदि मैं अपनी तरफ से साक्षी दूँ तो मेरी साक्षी सत्य नहीं है।
प्रभु यीशु फरीसियों के निकट जाने से पीछे हटते हैं, लेकिन भीड़ उनके पीछे हो लेती है।
Read Moreजितना कि यह पहाड़ी उपदेश पढ़ा और माना जाता है वैसे ही कुछ ही बाइबल के पद हैं जिनको इसी कि तरह माना जाता है। यह मत्ती की पुस्तक में पांच अध्याय से सात अध्याय के बीच में पाया जाता है। इसमे कुछ एक मनुष्य के हाथों लिखे सुंदर आदर्श शामिल हैं।
Read Moreयीशु ने पर्वत पर सन्देश दिया अपने लोगों को यह सीखने के लिए कि उनको परमेश्वर के राज्य के लिए कैसे जीना चाहिए। इस पाप से भरी दुनिया में सर्वश्रेष्ठ परमेश्वर कि सेवा करना आसान नहीं है! एक दिन, जो उस पर विश्वास करते हैं आसमान पर उठा लिए जाएंगे, जहाँ हम पाप के द्वारा फिर कभी लुभाय नहीं जाएंगे।
Read Moreजब यीशु पहाड़ पर अपने उपदेश को सिखा रहे थे, वह कि परमेश्वर कैसे चाहता है कि प्रार्थना करनी चाहिए। उसने एक प्रार्थना सिखाई जो वे उसे एक नमूने के तौर पर उपयोग कर सकते थे। यीशु यह नहीं चाहते थे उसके चेले प्रार्थना को एक भजन कि तरह दोहराएं।
Read Moreयीशु ने हमें प्रार्थना के लिए एक नमूना दे दिया। सबसे पहले हम स्तुति और आराधना में अपने पवित्र और सामर्थ परमेश्वर के पास आते हैं। फिर हम उसकी इच्छा जानने के लिए प्रार्थना करते हैं।
Read Moreयीशु सुसमाचार सुनाने और बीमारों को चंगाई देने के लिए ग्रामशेत्र के इलाकों में यात्रा कि। उन्होंने नव नियुक्त चेलों के साथ नाइन नामक एक शहर की यात्रा की। उनके पीछे एक बड़ी भीर चली आ रही थी।वे इस कट्टरपंथी, चिकित्सा शिक्षक के लिए पर्याप्त नहीं हो पा रहे थे।
Read Moreकेवल धार्मिक अगुवे थे जिन्होंने ने परमेश्वर के सन्देश को यूहन्ना और यीशु के द्वारा सुनने से इंकार किया। इस्राएल के देश में बहुत से लोग ने भी उन्हें ठुकराया।
Read Moreयीशु और उसके चेले गलील के सागर के आसपास के शहरों में गए। परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार वे उन सब को बताता था जो उसके पास आते थे। बारह शिष्य उसके साथ यात्रा को गए। उनके साथ महिलाओं का एक समूह भी गया।
Read Moreयीशु अपने शिष्यों को दृष्टान्त से सिखाता रहा कि किस प्रकार परमेश्वर का राज्य इस दुनिया में सच्चे विश्वासियों के लिए कार्य करता है जो उसके आगमन कि इंतेजारी करते हैं।
Read Moreहाल ही में चेलों का यीशु के साथ कैसा नाटकीय क्षण रहा है! उन्होंने उसे शब्दो से तूफ़ान को थमते हुए देखा था। उन्होंने उसे एक खतरनाक इंसान को मानसिक रूप से स्थिर करते देखा। ऐसे चुंबकीय शिक्षक के भीतर से पूर्ण विजय निकल के आ रही थी।
Read Moreफिर यीशु ने वह स्थान छोड़ दिया और सूर के आस-पास के प्रदेश को चल पड़ा। सूर भूमध्य सागर के किनारे बसा एक बड़ा शहर था। यह एक अन्यजातियों का शहर था। वह यहूदी दुश्मनो से अपने आप को दूर रख रहा था। वहाँ वह एक घर में गया। वह नहीं चाहता था कि किसी को भी उसके आने का पता चले।
Read Moreयीशु और उसके चेले गलील के सागर के किनारे थे, लेकिन वे दिकापुलिस में थे। यह दस शहरों का अन्यजातियों का शहर था। इस यहूदी क्षेत्र के बाहर था। वहाँ के लोग ऐसे थे जिनके साथ यहूदी बैठ कर भोजन नहीं करेंगे! फिर भी बड़ी भीड़ यीशु को देखने के लिए उमड़ रही थी। तीन दिन के बाद, यीशु को भीड़ पर तरस आया। उनके पास कुछ खाने को नहीं था!
Read Moreपिछले छे महीनो से, यीशु ने अपने आप को लोगों के आगे आना बंद कर दिया था। यहूदी अगुवे उसे मारने के ताक में थे, गलील के लोग अपने पापों से पश्चाताप करने से इंकार कर रहे थे। उनमें से कुछ ने उसे राजा बनाने कि साजिश भी रची।
Read Moreयेरूशलेम जाने के लिए जब यीशु और उसके चेलों ने गुप्त तरीके से रास्ता निकाला, तब यहूदी उसके आने कि इंतेजारी में थे। लोग आपस में यह बातें करते थे कि यदि वह एक अच्छा आदमी था या धोखेबाज़ जो लोगों को परमेश्वर से दूर ले जाना चाहता है।
Read Moreमिलापवाले तम्बू का पर्व शुरू हो चुका था और सब यही सोच रहे थे कि यीशु कब आएगा और इस बात कि अफवाह फैलाई गई थी कि यहूदी अगुवे उसे मरवा देंगे। वह आया और बहुत साहस और सफाई के साथ बोला।
Read Moreयीशु यहूदिया के गांवों और कस्बों से होते हुए अपनी यात्रा कर रहा था। वह बेथानी नामक गांव में पहुंचा जो यरूशलेम से लगभग दो मील की दूरी पर था। मार्था वहाँ अपने भाई और बहन के साथ रहती थी। उसने यीशु का उदारता के साथ उसका स्वागत सत्कार किया।
Read Moreयीशु परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार को सुनाने के लिए यहूदिया के क्षेत्र में जाते रहे। शास्त्री और फरीसी यीशु पर आरोप लगाते रहे कि वह शैतान कि ओर से आया है। उसके दुष्ट आत्माओं को निकालने और स्पष्ट रूप से संदेश को सीखाने के बावजूद उन लोगों ने पश्चाताप करने से इंकार कर दिया।
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