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कहानी २०: वह ज्योति जो चमकती है|

यूहन्ना ने यीशु के जीवन के बारे में अपना सुसमाचार यह समझाते हुए आरम्भ किया कि प्रभु ही वह परमेश्वर का वचन था जिसने सम्पूर्ण पृथ्वी और आकाश की सृष्टि की थी ! वह अनंतकाल भूत से जीवित है, बिना किसी आरम्भ के, क्योंकि वह स्वयं परमेश्वर है !

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कहानी ४५ः पहाड़ी उपदेश: धन्य वचन

जितना कि यह पहाड़ी उपदेश पढ़ा और माना जाता है वैसे ही कुछ ही बाइबल के पद हैं जिनको इसी कि तरह माना जाता है। यह मत्ती की पुस्तक में पांच अध्याय से सात अध्याय के बीच में पाया जाता है। इसमे कुछ एक मनुष्य के हाथों लिखे सुंदर आदर्श शामिल हैं।

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कहानी ६२: चिंता मत करो!

पहाड़ पर के उपदेश को आइये याद करते हैं। जब हम एक छोटे खंड को देखते हैं, बड़ी तस्वीर को भी याद रखना महत्वपूर्ण है। कैसे यह अद्भुत विचार एक पूरे को बनाने के लिए एक साथ काम करते हैं! कैसे वे स्वर्ग के राज्य में जीवन का वर्णन करने के लिए एक साथ आते हैं?

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कहानी ६७: रोमन सूबेदार की आस्था

मत्ती में पहाड़ पर उपदेश इसलिए लिखा गया ताकि वो सब बातें दिखा सके जो यीशु ने सिखाईं जब वह गलील में ग्रामीण इलाकों में गया। मत्ती ने यीशु के शिक्षण को एकत्र कर दिया ताकि उस तस्वीर को समझ सकें जो स्वर्ग के राज्य के जीवन के विषय में बताती है। उन में से बहुत विचार लूका कि किताब में भी हैं, लेकिन वे उसकी किताब में फैले हुए हैं।

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कहानी ८१: याईर कि पुत्री और एक बीमार स्त्री

हाल ही में चेलों का यीशु के साथ कैसा नाटकीय क्षण रहा है! उन्होंने उसे शब्दो से तूफ़ान को थमते हुए देखा था। उन्होंने उसे एक खतरनाक इंसान को मानसिक रूप से स्थिर करते देखा। ऐसे चुंबकीय शिक्षक के भीतर से पूर्ण विजय निकल के आ रही थी।

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कहानी ८८: जीवन कि सच्ची रोटी

यीशु ने पंद्रह हजार लोगों को खिलाने के लिए पर्याप्त भोजन में पांच रोटियां और दो ​​मछली खिलाईं। वे सभी उस दिन तृप्त होकर अपने घर को गए। उन्होंने जितना उसके शिक्षण कि बातों को लिया उतना ही भोजन पर भी किया।

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कहानी ८९: जीवन कि रोटी (भाग II)

जब लोगों ने यीशु को सुना, वे बड़बड़ाने लगे और शिकायत करने लगे। वह कौन था ऐसा कहने वाला कि वह स्वर्ग से नीचे उतर के आया है? वे सब जानते थे कि वह नासरी से एक बढ़ई यूसुफ का पुत्र है। वे सब उसके माता और पिता। वह ऐसा कैसे दावा कर सकता था कि वह स्वर्ग से आया है?

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कहानी ९९: मिलापवाले तम्बू का पर्व : यीशु का जीवन जल देना 

मिलापवाले तम्बू का पर्व शुरू हो चुका था और सब यही सोच रहे थे कि यीशु कब आएगा और इस बात कि अफवाह फैलाई गई थी कि यहूदी अगुवे उसे मरवा देंगे। वह आया और बहुत साहस और सफाई के साथ बोला।

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कहानी १०९: विशाल चेतावनियां: भाग II 

प्रभु यीशु ने अपने चेलों के लिए स्वर्ग के राज के लिए आशा दी थी। स्वर्ग का राजा चाहता है कि लोग उस पर पूर्ण रीति से भरोसा करें। यहां तक ​​कि उनकी सांसारिक संपत्ति को कम महत्व देते हुए परमेश्वर के कामों में इस पृथ्वी पर लगाना है।

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कहनी १२६: लाज़र की यात्रा

यहूदी अगुवे यीशु को गिरफ्तार करने और उसे मार डालने के लिए तैयार थे। हालात हाथ से बाहर हो रहे थे। इस दुष्ट उपदेशक की लोकप्रियता खतरनाक होती जा रही थी। येरूशलेम के अगुवे अपने अधिकार और प्रभाव को जाते देख रहे थे जब सारी भीड़ यीशु की बातों पर पूरा ध्यान लगा रहे थे।

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कहनी १२७: लाजर का आश्चर्य

यीशु अपने चेलों के साथ बैतनिय्याह को गया। यह एक खतरनाक निर्णय था, जो वास्तव में नहीं था! यहूदी अगुवे यीशु को मार देना चाहते थे, और येरूशलेम छोड़ कर वह यरदन नदी को चला गया। केवल अभी के लिए, यीशु का मित्र लाज़र मर रहा था, और यीशु उसकी सहायता के लिए जा रहा था।

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