उसके बपतिस्मा के बाद, यीशु,पवित्र आत्मा के द्वारा जंगल में ले जाया गया की वह शैतान के द्वारा परखा जाए। इस बीच येरूशलेम के सलाहकार जो देश के सबसे सामर्थी धार्मिक अग्वे थे, उन्होंने याजकों को यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के पास सवाल करने के लिए भेजा।
Read Moreयीशु ने पैदल यरदन नदी से ऊपर उत्तर क्षेत्र में गलील तक यात्रा की। यह लगभग ६० मील / किलो दूर था। उनकी यात्रा ने ३ दिन लिये होंगे। क्या यह दिलचस्प नहीं होगा कि उनकी बातें घर की ओर जाते सुनें ?
Read Moreकाना में शादी के बाद, यीशु कफरनहूम को अपनी मां के साथ वापस आ गया था। उसके भाई और उसके चेले उनके साथ चले गए और वे कुछ दिनों के लिए एक साथ वहीं रहने लगे। फसह का समय आया गया था। पवित्र भोज पर आराधना करने के लिए प्रभु यीशु यरूशलेम की यात्रा की।
Read Moreनासरी के लोग कफरनहूम के लोगों से कितने अलग थे! वे सुनते थे और मानते थे और चंगाई पाते थे! क्या आप लोगों की उत्तेजना कि कल्पना कर सकते हैं ?
Read Moreयीशु और उसके चेले जब गलील भर के शहरों और कस्बों को वापस चल दिए, तब यीशु अपने प्रचार और चंगाई के कार्य को करता रहा। सारी दुनिया से इस मशहूर जवान प्रचारक को लोग सुनने के लिए आने आये। वह क्या अचंभित बातें कर सकता था! कितनी उल्लेखनीय बातें वह बोलता था!
Read Moreयीशु एक बार फिर समुद्र के तट के किनारे चल रहा था। गलील के पानी के चारों ओर पहाड़ों का दिखना कितना सुन्दर दृश्य था। यह शहय पतझर का समय रहा होगा, लेकिन इस्राएल का मौसम सर्दियों में भी समान्य होता है। जब वह था, भीड़ उसके पीछे हो ली। और वह उनको परमेश्वर के राज्य के, में सुना रहा था।
Read Moreयहूदी रीति के अनुसार यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के चेले और फ़रीसी उपवास कर रहे थे। यह यहूदी कानून का हिस्सा के अनुसार नहीं थी। जब यहूदी लोग बाबुल में निर्वासन से लौटे तब से यह परंपरा चल रही थी।
Read Moreप्रभु यीशु फरीसियों के निकट जाने से पीछे हटते हैं, लेकिन भीड़ उनके पीछे हो लेती है।
Read Moreयीशु चिकित्सा का और भीड़ को प्रचार करने का भारी मात्रा में कार्य कर रहे थे। गलील और यहूदिया से जो यहूदी लोग यीशु सेवकाई में शुरू से उसके पास, साथ अन्यजाति भी जुड़ गए जो मीलों दूर शहरों में। उन्होंने उसके विषय में सुना था जो चंगाई देता है, और वे गलील से यीशु को स्पर्श करने के लिए दूर दूर से आए थे।
Read Moreजितना कि यह पहाड़ी उपदेश पढ़ा और माना जाता है वैसे ही कुछ ही बाइबल के पद हैं जिनको इसी कि तरह माना जाता है। यह मत्ती की पुस्तक में पांच अध्याय से सात अध्याय के बीच में पाया जाता है। इसमे कुछ एक मनुष्य के हाथों लिखे सुंदर आदर्श शामिल हैं।
Read Moreयीशु ने पर्वत पर सन्देश दिया अपने लोगों को यह सीखने के लिए कि उनको परमेश्वर के राज्य के लिए कैसे जीना चाहिए। इस पाप से भरी दुनिया में सर्वश्रेष्ठ परमेश्वर कि सेवा करना आसान नहीं है! एक दिन, जो उस पर विश्वास करते हैं आसमान पर उठा लिए जाएंगे, जहाँ हम पाप के द्वारा फिर कभी लुभाय नहीं जाएंगे।
Read Moreआपको क्या लगता है कि मन के दीन हैं इसका क्या अर्थ है?
क्या इसका यह मतलब हुआ कि उनके पास धन नहीं है?
यीशु जब उन लोगों के विषय में सिखा रहे थे जो स्वर्ग के राज्य में अशिक्षित होंगे उन्होंने एक और बात कही, "'धन्य हैं वे जो हृदय के शुद्ध हैं क्योंकि वे परमेश्वर के दर्शन करेंगे।'"
Read Moreयीशु ने पहाड़ी उपदेश में धन्य वचन प्रचार किये। फिर उन्होंने सिखाया कि जो सुन्दर विनम्रता और निर्भरता उनके अशिक्षित किये हुए लोग दिखाएंगे वह नमक और प्रकाश की तरह होगा।
Read Moreजैसे जैसे यीशु अपने भोंकते हुए, स्पष्ट उपदेश को दे रहे थे, वे प्यार के मतलब के बारे में बात करने लगे। उन्होंने बोला कि ऐसे किसी व्यक्ति को इनाम नहीं मिलना चाहिए जो उन लोगों को प्यार करे जो उसे वापस प्यार करें। यह आसान है! यहां तक कि कर लेने वाले भी यही करते है!
Read Moreहम जब यीशु के पहाड़ पर गौरवशाली उपदेश को पढ़ते हैं, तो हम उसके राज्य की प्रजा होने का मतलब सीख रहे हैं। यह हालांकि, एक अजीब राज्य है। हम यह नहीं देख सकते हैं!
Read Moreयीशु ने पहाड़ के उपदेश में कुछ बहुत स्पष्ट किया। परमेश्वर के राज्य के प्रजा के लिए जो चीजें महान खज़ाना हैं वो इस अंधेरे और गिरे हुए संसार के खजाने से बहुत अलग हैं। इस जीवन कि आशीषें परमेश्वर कि आशीषों हैं जो विनम्रता, दया और नम्रता के माध्यम से आता है।
Read Moreयीशु ने जब दृष्टान्तों को बताना समाप्त किया, वह समुद्र तट से चला गया, लेकिन भीड़ ने उसका पीछा करना जारी रखा। वह अवश्य कितना थक गया होगा। एक दिन में उसने इतने शक्तिशाली कार्य किये।
Read Moreयीशु के जीवन के विषय में पढ़ते समय आपनी ध्यान दिया होगा कि, मत्ती के अध्याय पूरी तरह से मिल गए हैं। उद्धारण के लिये, हमने पांचवे अध्याय से लेकर सांतवे अध्याय को पड़ने से पहले आठवे अध्याय को पढ़ा।
Read Moreयह उस समय कि बात है जब हेरोदेस ने यीशु के विषय में वो सब बातें सुनी उसके साथ घट रही थीं। यीशु और उसके चेले जा जा कर बिमारियों को चंगा कर रहे थे, तेल से अभिषेक कर रहे थे, और दुष्ट आत्माओं से मुक्ति दिला रहे थे।
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