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कहानी ५ - प्रभु का दिन

कई सदियों से, परमेश्वर ने अपने भविष्यद्वक्ताओं को बोला कि वो इसराइल को उसके उल्लेखनीय वादों के बारे में बताएं - कि वो कैसे (और अभी भी!) मानव इतिहास में खोए हुओं के लिए उद्धार लाएगा।

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कहानी ७: मत्ती का परिचय

चेले जो यीशु के पीछे चलते थे समझ गए थे कि यह उल्लेखनीय आदमी जो उन के बीच चलता था, वो मसीह था। वे उन सब अद्भुत चीजों का रिकॉर्ड रखना चाहते थे जो यीशु ने की।वह उनका प्यारा दोस्त था, पर वह दुनिया का उद्धारकर्ता भी था।

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कहानी ८: नई शुरुआत

जब आप मसीह की वंशावली पढते है, जो नए नियम के पहले अध्याय से शुरू होती है, वो इस तरह है मानो पुराने नियम के इतिहास का एक बहुत छोटा सारांश। यह दिखाकर कि यीशु कैसे परमेश्वर के लोगों के इतिहास से जुड़ा हुआ था, मत्ती साबित करता है कि यीशु सच में वो जन है जिसके बारे में सभी वाचाएं और भविष्यवाणियाँ की गई थी।

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कहानी ९: दाऊद की वंशज

जैसे हम इब्राहीम के वंशज (और यीशु के 'पूर्वजों!) के बारे में अगले भाग में देखेंगे, हम दाऊद राजा के पोतों और परपोतों के बारे में भी पड़ेंगे। यह यहूदा के शक्तिशाली राजाओं की एक सूची है! यह पुरुष, परमेश्वर के पवित्र राष्ट्र के अभिषिक्त अगुए थे।

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कहानी १५: मसीह का जन्म

यीशु के जन्म की कहानी पढ़ने के लिए सबसे अच्छा तरीका है लूका की पुस्तक से सीधे पढ़ना, क्यूंकि यह कहानी अपने आप में इतनी सुंदर, स्पष्ट और उत्तम है।

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कहानी १६: मंदिर में मसीह

यूसुफ़ और मरियम कितना अचंबित हुए होंगे जब चरवाहों ने उन्हें स्वर्गदूतों और उन सभी के चारों ओर परमेश्वर की महिमा के प्रकाश की कहानियाँ बताई होंगी! जब मरियम प्रभु यीशु को दूध पिला और नेहला रही होगी, तो उसने इन भव्य आयोजनों के बारे में क्या सोचा होगा?

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कहानी १८: मिस्र के लिए कूच

जब शाही ग्यानी और उनके काफिले जो सोने और उत्तम मसालों की भेटों के साथ लदे उनके दरवाजे पर आए, तो आप यूसुफ और मरियम की कल्पना कीजिए! जो अद्भुत बातें उन्हें परमेश्वर ने स्वर्गदूत द्वारा प्रकाशित की, अब दूर की भूमि से अनोखे, सुरुचिपूर्ण पुरुषों के द्वारा भी प्रकाशित हो रही थी!

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कहानी १९: परमेश्वर के प्रेम का पुत्र 

जब मत्ती, मरकुस, और लूका ने सुसमाचार के विषय में अपनी अपनी कहानियाँ लिखीं, वे मसीह का यह चित्र दिखाना चाहते थे : वह मनुष्य जो परमेश्वर था ।

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कहानी २०: वह ज्योति जो चमकती है|

यूहन्ना ने यीशु के जीवन के बारे में अपना सुसमाचार यह समझाते हुए आरम्भ किया कि प्रभु ही वह परमेश्वर का वचन था जिसने सम्पूर्ण पृथ्वी और आकाश की सृष्टि की थी ! वह अनंतकाल भूत से जीवित है, बिना किसी आरम्भ के, क्योंकि वह स्वयं परमेश्वर है !

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कहानी २१: परमेश्वर, बारह वर्ष की उम्र में|

यूसुफ़ और मरयम इज्ज़तदार यहूदी थे । वे परमेश्वर के नियमों का पालन करते थे और अपने चाल चलन के द्वारा परमेश्वर के पवित्र लोगों को दिए गए आदेशों का मान रखते थे ।

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कहानी २२: यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला

क्या आपको यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के जन्म की कहानी याद है? परमेश्वर ने जकर्याह और एलिजाबेथ को एक बेटा उस समय दिया जब वे बहुत वृद्ध हो गए थे। वे इतने वृद्ध थे कि सबने यह सोचा कि यह बालक परमेश्वर कि ओर से एक दान है।

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कहानी २३: मार्ग को तैयार करना

क्या आप ऐसे असभ्य और पथरीले राह कि कल्पना कर सकते हैं जो पहाड़ों पर ऊपर और नीचे गहरी घाटियों में मुड़ते हैं? क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि यह कितना आसान होता यदि ये गहरे गड्ढे भर दिए हाते और पहाड़ों के रास्ते चिकने कर दिए जाते?

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कहानी २४: (यूहन्ना बतिस्मा देने वाला ) परमेश्वर का बेटा

भीड़ यूहन्ना पर उमड़ती जा रही थी, और उसने यरदन नदी के पानी में सब पश्चाताप करने वालों को बपतिस्मा दिया। लोग उसके परमेश्वर कि आत्मा से भरे हुऐ निडर घोषणाओं को देख सकते थे, और वे आश्चर्य करने लगे कि वह कौन है।

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कहानी २५: जंगल में यीशु कि परीक्षा

प्रभु की आत्मा परमेश्वर के पुत्र को एक विशेष और शक्तिशाली रूप में भरने के लिए आया था। यीशु के बपतिस्मे के बाद,पवित्र आत्मा यीशु को यरदन से और यूहन्ना के व्यस्त सेवकाई के वातावरण से दूर ले गया।

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कहानी २८: यरूशलेम में यीशु

काना में शादी के बाद, यीशु कफरनहूम को अपनी मां के साथ वापस आ गया था। उसके भाई और उसके चेले उनके साथ चले गए और वे कुछ दिनों के लिए एक साथ वहीं रहने लगे। फसह का समय आया गया था। पवित्र भोज पर आराधना करने के लिए प्रभु यीशु यरूशलेम की यात्रा की।

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कहानी ३२: प्रभु की आत्मा

फिर वह नासरत आया जहाँ वह पला-बढ़ा था ताकी वहाँ के लोगों को लोगों को यह शुभ सन्देश बता सके की परमेश्वर क्या कर रहा है। क्या वे यह विश्वास करते की वह यहाँ है?

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कहानी ३४: गलील की पहली यात्रा

नासरी के लोग कफरनहूम के लोगों से कितने अलग थे! वे सुनते थे और मानते थे और चंगाई पाते थे! क्या आप लोगों की उत्तेजना कि कल्पना कर सकते हैं ?

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कहानी ३६: चुंगी लेने वाले की बुलाहट

यीशु एक बार फिर समुद्र के तट के किनारे चल रहा था। गलील के पानी के चारों ओर पहाड़ों का दिखना कितना सुन्दर दृश्य था। यह शहय पतझर का समय रहा होगा, लेकिन इस्राएल का मौसम सर्दियों में भी समान्य होता है। जब वह था, भीड़ उसके पीछे हो ली। और वह उनको परमेश्वर के राज्य के, में सुना रहा था।

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कहानी ३७: लकवाग्रस्त की चंगाई

कोढ़ी के चमत्कारी उपचार के बारे में शब्द दूर दूर तक फ़ैल गया। यीशु की लोकप्रियता बढ़ रहा थी, और नीचे दक्षिण यरूशलेम में लोग उसके बारे में अधिक से अधिक सुन रहे थे।

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कहानी ३९: कुंड के पास वह व्यक्ति

यहूदियों का एक और पर्व आया था, और इसलिए यीशु अपने पिता की आराधना करने के लिए यरूशलेम को गया। यरूशलेम सैकड़ों वर्ष पहले बनाया गया था और वह ऊंची दीवारें से घिरा हुआ था और कुछ ... / साल से बना हुआ था। इन दीवारों के ऊंचे फाटक थे ताकि लोग उस पवित्र नगर में आ सकें।

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