जब यीशु पहाड़ पर अपने उपदेश को सिखा रहे थे, वह कि परमेश्वर कैसे चाहता है कि प्रार्थना करनी चाहिए। उसने एक प्रार्थना सिखाई जो वे उसे एक नमूने के तौर पर उपयोग कर सकते थे। यीशु यह नहीं चाहते थे उसके चेले प्रार्थना को एक भजन कि तरह दोहराएं।
Read Moreयीशु ने हमें प्रार्थना के लिए एक नमूना दे दिया। सबसे पहले हम स्तुति और आराधना में अपने पवित्र और सामर्थ परमेश्वर के पास आते हैं। फिर हम उसकी इच्छा जानने के लिए प्रार्थना करते हैं।
Read Moreहाल ही में चेलों का यीशु के साथ कैसा नाटकीय क्षण रहा है! उन्होंने उसे शब्दो से तूफ़ान को थमते हुए देखा था। उन्होंने उसे एक खतरनाक इंसान को मानसिक रूप से स्थिर करते देखा। ऐसे चुंबकीय शिक्षक के भीतर से पूर्ण विजय निकल के आ रही थी।
Read Moreयूहन्ना बपतिस्मा देने वाले कि मृत्यु के बाद चेले यीशु के पास वापस आ गए। वे सुसमाचार सुनाते हुए, दो दो कर के गलील के क्षेत्र में यात्रा करने लगे। इन्होने अपने सेवकाई के दौरान जो कुछ बीता उसे आकर यीशु को सुनाया। यीशु इन को परमेश्वर कि सामर्थ और अधिकार में प्रक्षिशण दे रहे थे।
Read Moreचेले यीशु के संग बैतसैदा चले आये। वहाँ कुछ लोग यीशु के पास एक अंधे को लाये और उससे प्रार्थना की कि वह उसे छू दे। उसने अंधे व्यक्ति का हाथ पकड़ा और उसे गाँव के बाहर ले गया।
Read Moreयीशु ने तीन साल से फरीसियों और धार्मिक नेताओं का सामना किया था। यह और भी अधिक स्पष्ट होता जा रहा था कि उनके दिल विद्रोह और पाप में पक्के हो गए थे। परमेश्वर कि सच्चाई को सुनने के बाद उसको अस्वीकार कर देना ही बहुत खतरनाक बात है।
Read Moreजब लूका ने अपने सुसमाचार में इन बातों को लिखा, उसने यह सीखने का निश्चय किया कि किस प्रकार यीशु के चेलों को जीवन जीना चाहिए। पहले, यीशु ने दृष्टान्त के द्वारा समझाया। लूका ने कहा और यीशु ने दिया ".... उन्हें यह दिखाएं कि निरंतर प्रार्थना करें और कभी हार ना मानें।"
Read Moreफिर लोग कुछ बालकों को यीशु के पास लाये कि वह उनके सिर पर हाथ रख कर उन्हें आशीर्वाद दे और उनके लिए प्रार्थना करे। किन्तु उसके शिष्यों ने उन्हें डाँटा।
Read Moreअपने चेलों के साथ उस अंतिम रात्री में, यीशु ने अंत में यह स्पष्ट कर दिया था। जिस राज्य कि घोषणा वे करने जा रहे थे, वह उनकी कल्पना से बाहर था, परन्तु वे बहुत महान और अद्भुद था। आने वाले दिनों को देखते हुए यीशु अपनी आँखें स्वर्गीय पिता कि ओर उठाकर प्रार्थना की।
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