Posts in prayer
कहानी ५९: पहाड़ पर उपदेश: प्रार्थना में परमेश्वर का सम्मान

जब यीशु पहाड़ पर अपने उपदेश को सिखा रहे थे, वह कि परमेश्वर कैसे चाहता है कि प्रार्थना करनी चाहिए। उसने एक प्रार्थना सिखाई जो वे उसे एक नमूने के तौर पर उपयोग कर सकते थे। यीशु यह नहीं चाहते थे उसके चेले प्रार्थना को एक भजन कि तरह दोहराएं।

Read More
कहानी ६०: पहाड़ पर उपदेश - प्रार्थना में परमेश्वर के सम्मान  भाग II

यीशु ने हमें प्रार्थना के लिए एक नमूना दे दिया। सबसे पहले हम स्तुति और आराधना में अपने पवित्र और सामर्थ परमेश्वर के पास आते हैं। फिर हम उसकी इच्छा जानने के लिए प्रार्थना करते हैं।

Read More
कहानी ८१: याईर कि पुत्री और एक बीमार स्त्री

हाल ही में चेलों का यीशु के साथ कैसा नाटकीय क्षण रहा है! उन्होंने उसे शब्दो से तूफ़ान को थमते हुए देखा था। उन्होंने उसे एक खतरनाक इंसान को मानसिक रूप से स्थिर करते देखा। ऐसे चुंबकीय शिक्षक के भीतर से पूर्ण विजय निकल के आ रही थी।

Read More
कहानी ८६: ५००० पुरुषों को खिलाना 

यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले कि मृत्यु के बाद चेले यीशु के पास वापस आ गए। वे सुसमाचार सुनाते हुए, दो दो कर के गलील के क्षेत्र में यात्रा करने लगे। इन्होने अपने सेवकाई के दौरान जो कुछ बीता उसे आकर यीशु को सुनाया। यीशु इन को परमेश्वर कि सामर्थ और अधिकार में प्रक्षिशण दे रहे थे।

Read More
कहानी ९३: एक अंधा आदमी

चेले यीशु के संग बैतसैदा चले आये। वहाँ कुछ लोग यीशु के पास एक अंधे को लाये और उससे प्रार्थना की कि वह उसे छू दे। उसने अंधे व्यक्ति का हाथ पकड़ा और उसे गाँव के बाहर ले गया।

Read More
कहनी ११४: अच्छा चरवाहा और चोर

यीशु ने तीन साल से फरीसियों और धार्मिक नेताओं का सामना किया था। यह और भी अधिक स्पष्ट होता जा रहा था कि उनके दिल विद्रोह और पाप में पक्के हो गए थे। परमेश्वर कि सच्चाई को सुनने के बाद उसको अस्वीकार कर देना ही बहुत खतरनाक बात है।

Read More
कहनी १३१: प्रार्थना कैसे करनी चाहिए 

जब लूका ने अपने सुसमाचार में इन बातों को लिखा, उसने यह सीखने का निश्चय किया कि किस प्रकार यीशु के चेलों को जीवन जीना चाहिए। पहले, यीशु ने दृष्टान्त के द्वारा समझाया। लूका ने कहा और यीशु ने दिया ".... उन्हें यह दिखाएं कि निरंतर प्रार्थना करें और कभी हार ना मानें।"

Read More
कहनी १३३: छोटे बच्चे और अमीर युवा शासक

फिर लोग कुछ बालकों को यीशु के पास लाये कि वह उनके सिर पर हाथ रख कर उन्हें आशीर्वाद दे और उनके लिए प्रार्थना करे। किन्तु उसके शिष्यों ने उन्हें डाँटा।

Read More
कहानी १६१: परमेश्वर के पुत्र की प्रार्थनाएं 

अपने चेलों के साथ उस अंतिम रात्री में, यीशु ने अंत में यह स्पष्ट कर दिया था। जिस राज्य कि घोषणा वे करने जा रहे थे, वह उनकी कल्पना से बाहर था, परन्तु वे बहुत महान और अद्भुद था। आने वाले दिनों को देखते हुए यीशु अपनी आँखें स्वर्गीय पिता कि ओर उठाकर प्रार्थना की।

Read More