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सृष्टिकर्ता परमेश्वर और मनुष्य का पाप में गिरना

पुराना नियम इस वाक्य से शुरू होता है: "शुरुवात में, परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की रचना की।" फिर वह यह भव्य और शानदार कहानी बतलाती है जिसमे परमेश्वर सिर्फ अपने मुंह के बोले शब्द से सारी दुनिया को बनाता है। "रोशिनी हो!", परमेश्वर ने कहा; और फिर, गुप अँधेरे से तेज़ और चमकदार रोशिनी फूट कर निकली!

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ह्रदय कि कठोरता

क्या आपको अच्छा लगता है जब कोई आपकी ग़लती को पकड़ता है? आपको कैसा लगता है? क्या आप शर्मिंदा होते हैं? क्या आप बहस करने लगते हैं? या फिर आप उदास और शांत और पश्चाताप करते हैं?

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कहानी ३: इब्राहीम और मूसा की वाचाएं

पुराने नियम की कहानी एक सुंदर कहानी है। पर यह एक दुखद कहानी है। यह एक महान राज्य की कहानी है जिस पर एक धर्मी राजा के दुष्ट और ज़हरीले दुश्मन ने घुसपैठ की। सबसे बुरी बात यह थी कि राजा के अपने सेवकों ने उसको अन्दर आने दिया।

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कहानी ४: दाऊद की वाचा और यशायाह का अभिषेक

परमेश्वर ने इसराइल के लोगों को अपनी क़ीमती चीज़ होने के लिए बुलाया था। उनके पास परमेश्वर द्वारा चुने जाने का गौरवशाली सम्मान था, फिर भी वे उनके खिलाफ विद्रोह करते रहे। उनके दिल उतने पापी थे जितने आदम और हव्वा के बाकि बच्चों के थे! कभी कभी इस्राएल अपने पापों से पश्चाताप करते थे और वापस व्यवस्था की और लौट जाते।

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कहानी ५ - प्रभु का दिन

कई सदियों से, परमेश्वर ने अपने भविष्यद्वक्ताओं को बोला कि वो इसराइल को उसके उल्लेखनीय वादों के बारे में बताएं - कि वो कैसे (और अभी भी!) मानव इतिहास में खोए हुओं के लिए उद्धार लाएगा।

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कहानी ६: नई आशा

प्रभु का वह भयावह दिन, जब परमेश्वर इसराइल और दुनिया के देशों का न्याय करने आएगा, इस कहानी का अंत नहीं है। जब प्रभु यीशु आएगा, वह अपने दुश्मनों पर पूरी जीत हासिल करेगा।

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कहानी ७: मत्ती का परिचय

चेले जो यीशु के पीछे चलते थे समझ गए थे कि यह उल्लेखनीय आदमी जो उन के बीच चलता था, वो मसीह था। वे उन सब अद्भुत चीजों का रिकॉर्ड रखना चाहते थे जो यीशु ने की।वह उनका प्यारा दोस्त था, पर वह दुनिया का उद्धारकर्ता भी था।

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कहानी ८: नई शुरुआत

जब आप मसीह की वंशावली पढते है, जो नए नियम के पहले अध्याय से शुरू होती है, वो इस तरह है मानो पुराने नियम के इतिहास का एक बहुत छोटा सारांश। यह दिखाकर कि यीशु कैसे परमेश्वर के लोगों के इतिहास से जुड़ा हुआ था, मत्ती साबित करता है कि यीशु सच में वो जन है जिसके बारे में सभी वाचाएं और भविष्यवाणियाँ की गई थी।

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कहानी ९: दाऊद की वंशज

जैसे हम इब्राहीम के वंशज (और यीशु के 'पूर्वजों!) के बारे में अगले भाग में देखेंगे, हम दाऊद राजा के पोतों और परपोतों के बारे में भी पड़ेंगे। यह यहूदा के शक्तिशाली राजाओं की एक सूची है! यह पुरुष, परमेश्वर के पवित्र राष्ट्र के अभिषिक्त अगुए थे।

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कहानी १०: स्वर्गदूत, राजा और पवित्र सपने

मत्ती की पुस्तक नए नियम की सबसे पहली पुस्तक है। कई लोगों का यह विश्वास है कि जब शुरू की कलीसियाएं इस बात का निर्णय ले रही थी कि सुसमाचारों में से कौन सी पुस्तक पहले आनी चाहिए, उन्होंने मत्ती की पुस्तक को चुना क्यूंकि उसने बहुत अच्छे तरीके से नए और पुराने नियम को साथ जोड़ा। वंशावलियों ने यह रास्ता बनाया!

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कहानी ११: गेब्रियल मरियम के पास आता है

परमेश्वर ने गेब्रियल स्वर्गदूत को स्वर्ग के सिंहासन कमरे से अपने मंदिर के महा पवित्र जगह पर भेजा ताकि, वो जकरया को परमेश्वर के योजना की घोषणा कर सके।

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कहानी १२: मरियम और एलिजाबेथ

जब स्वर्गदूत गैब्रियल मरियम के पास आया था, तो वह इस्राएल के उत्तर में रह रही थी - गालील के समुद्र से कुछ ही मील की दूरी पर, नासरत नाम के शहर में। जब उसको परमेश्वर के आश्चर्यजनक कार्य का एहसास हुआ जो वह उसके अन्दर करने जा रहा था, वह अपने शहर से दूर चली गई।

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कहानी १३: एलिजाबेथ और जकर्याह आनन्द मनाते है|

वो समय आ गया था जब एलिजाबेथ को अपने बच्चे को जन्म देना था।उसका एक बेटा हुआ, जैसे स्वर्गदूत गेब्रियल ने कहा। जब हर कोई यह जान गया कि विनीत, बूढ़ी, बंजर एलिजाबेथ का अंत में एक बच्चा हुआ, वे यह जानते थे कि वह परमेश्वर की ओर से एक विशेष उपहार था, और उन्होंने आनन्द मनाया!

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कहानी १४: यूसुफ़

यूसुफ को यह कितना अजीब लगा होगा। उसकी मंगनी मरियम से हुई थी। हालांकि उस समय के इस्राएल, में माता पिता अपने बच्चों की शादी तय करते थे, वे अक्सर अपनी पसंद के साथ अपने बच्चों को खुश करने की कोशिश करते थे! एक बार माता - पिता शादी पर सहमत हो जाते, वो कानूनी रूप से बाध्यकारी था।

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कहानी १५: मसीह का जन्म

यीशु के जन्म की कहानी पढ़ने के लिए सबसे अच्छा तरीका है लूका की पुस्तक से सीधे पढ़ना, क्यूंकि यह कहानी अपने आप में इतनी सुंदर, स्पष्ट और उत्तम है।

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कहानी १६: मंदिर में मसीह

यूसुफ़ और मरियम कितना अचंबित हुए होंगे जब चरवाहों ने उन्हें स्वर्गदूतों और उन सभी के चारों ओर परमेश्वर की महिमा के प्रकाश की कहानियाँ बताई होंगी! जब मरियम प्रभु यीशु को दूध पिला और नेहला रही होगी, तो उसने इन भव्य आयोजनों के बारे में क्या सोचा होगा?

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कहानी १७: पूर्व से ज्ञानी

मरियम और यूसुफ अपने शिशु बच्चे के साथ बेतलेहेम में रुके रहे। उन्हें एक घर मिला और वो एक युवा जोड़े के रूप में अपना जीवन बिताने लगे। उन पहले दो सालों की कल्पना करो जब उन्होंने परमेश्वर के पुत्र को पकड़ा, खिलाया और डकार दिलाई होगी। वास्तव में, क्या ही एक महान रहस्य !

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कहानी १८: मिस्र के लिए कूच

जब शाही ग्यानी और उनके काफिले जो सोने और उत्तम मसालों की भेटों के साथ लदे उनके दरवाजे पर आए, तो आप यूसुफ और मरियम की कल्पना कीजिए! जो अद्भुत बातें उन्हें परमेश्वर ने स्वर्गदूत द्वारा प्रकाशित की, अब दूर की भूमि से अनोखे, सुरुचिपूर्ण पुरुषों के द्वारा भी प्रकाशित हो रही थी!

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कहानी १९: परमेश्वर के प्रेम का पुत्र 

जब मत्ती, मरकुस, और लूका ने सुसमाचार के विषय में अपनी अपनी कहानियाँ लिखीं, वे मसीह का यह चित्र दिखाना चाहते थे : वह मनुष्य जो परमेश्वर था ।

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कहानी २०: वह ज्योति जो चमकती है|

यूहन्ना ने यीशु के जीवन के बारे में अपना सुसमाचार यह समझाते हुए आरम्भ किया कि प्रभु ही वह परमेश्वर का वचन था जिसने सम्पूर्ण पृथ्वी और आकाश की सृष्टि की थी ! वह अनंतकाल भूत से जीवित है, बिना किसी आरम्भ के, क्योंकि वह स्वयं परमेश्वर है !

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