मत्ती कि किताब को जब आप पढ़ेंगे, आप देखेंगे कि पतरस को अधिक ध्यान दिया जा रहा था। वह इस प्रकार से कहानियों को बयान करता है कि उससे लगता है कि वह यीशु के करीबी मित्र है और चेलों का अगुवा भी।
Read Moreयीशु अपने चेलों के साथ यहूदिया में ही था। मिलापवाले तम्बू का पर्व समाप्त हो गया था परन्तु यीशु के प्रति विरोध बढ़ गया था। येरूशलेम के धार्मिक अगुवे गुस्से से उबल रहे थे। जो लोग आपस में नफ़रत करते थे वे अब एक जुट होकर यीशु के विरुद्ध साज़िश रच रहे थे। उसे रोका जाना ज़रूरी था। वे उसे मरवा देना चाहते थे।
Read Moreयीशु यहूदिया के गांवों और कस्बों से होते हुए अपनी यात्रा कर रहा था। वह बेथानी नामक गांव में पहुंचा जो यरूशलेम से लगभग दो मील की दूरी पर था। मार्था वहाँ अपने भाई और बहन के साथ रहती थी। उसने यीशु का उदारता के साथ उसका स्वागत सत्कार किया।
Read Moreयीशु परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार को सुनाने के लिए यहूदिया के क्षेत्र में जाते रहे। शास्त्री और फरीसी यीशु पर आरोप लगाते रहे कि वह शैतान कि ओर से आया है। उसके दुष्ट आत्माओं को निकालने और स्पष्ट रूप से संदेश को सीखाने के बावजूद उन लोगों ने पश्चाताप करने से इंकार कर दिया।
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