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कहानी ९८: मिलापवाले तम्बू के पर्व पर यीशु येरूशलेम में: यीशु का आगमन 

येरूशलेम जाने के लिए जब यीशु और उसके चेलों ने गुप्त तरीके से रास्ता निकाला, तब यहूदी उसके आने कि इंतेजारी में थे। लोग आपस में यह बातें करते थे कि यदि वह एक अच्छा आदमी था या धोखेबाज़ जो लोगों को परमेश्वर से दूर ले जाना चाहता है।

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कहानी १४६: धिक्कार

यीशु मंदिर के आंगन में खड़ा था, वह पहले से ही इस्राएल के अगुवों के विरुद्ध अपनी अभियोग बातें करने लगा था। यहाँ परमेश्वर का पुत्र था, जो पवित्र देश के अगुवों के विरुद्ध फटकार रहा था। उन्होंने किस तरह लोगों को अपने प्रभाव से दुष्प्रयोग!

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कहानी १४७: साँतवा अभिशाप-भविष्यद्वक्ताओं को मारने वाले 

यीशु परमेश्वर के पवित्र मंदिर पर खड़े होकर फरीसियों और धार्मिक अगुवों को क्रोध के साथ ऐलान कर रहा था। अब साँतवे और अंतिम अभिशाप का समय आ गया था।

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कहानी १४८: विधवा का छोटा सिक्का : एक कहानी

उसके पास काफी नहीं था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उसने कुछ ऐसा सबक सीखा जिससे उसे साधारण परन्तु शानदार स्वतंत्रता मिली। उसके जीवन में काफी कड़ा समय आया। चाहे वह अपने पति से बहुत प्रेम करती थी, परमेश्वर ने उसे बहुत जल्द उठा लिया था और वह लम्बे समय से एक विधवा का जीवन व्यतीत कर रही थी।

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कहानी १५०: निर्जनता का द्वेष 

प्रभु यीशु ने चेलों को अगले जन्म के जीवन के विषय में वर्णन दिया। राज्यों में युद्ध होंगे। अकाल होगा जहां लोगों और जानवरों को खाने को नहीं होगा। झूठे भविष्यद्वक्ता खड़े होंगे जो कहेंगे कि वे ही यीशु हैं।

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