कहानी ५९: पहाड़ पर उपदेश: प्रार्थना में परमेश्वर का सम्मान

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जब यीशु पहाड़ पर अपने उपदेश को सिखा रहे थे, वह कि परमेश्वर कैसे चाहता है कि प्रार्थना करनी चाहिए। उसने एक प्रार्थना सिखाई जो वे उसे एक नमूने के तौर पर उपयोग कर सकते थे। यीशु यह नहीं चाहते थे उसके चेले प्रार्थना को एक भजन कि तरह दोहराएं। बुदपरस्त ऐसा ही करते थे। वे सोचते थे कि मंत्र के द्वारा वे अपने भगवानों को मन सकते थे। परन्तु सृष्टि कस सृजनेवाला जीवित है और सुनता है। वो बेकार के बड़बड़ाने को सुन्ना नहीं चाहता। परमेश्वर चाहता है कि उसके बच्चे उसे एक बच्चे कि तरह बात करें। वह पूरी सत्यता चाहता है जो हमारे ह्रदय में है।

यीशु ने एक बहुत ही स्पष्ट और सरल योजना दी। यह एक प्रार्थना थी जो परमेश्वर अपने चेलों को सिखाता है कि अपने पिता के पास धार्मिक तरीके से कैसे आना है। यह शायद चेलों कि प्रार्थना बुलाया जाना चाहिए! यह परमेश्वर के पास लाने वाली महत्पूर्ण बातें हैं जिनको परमेश्वर के पास लाना है और किस तरह उनको लाना है।

पहली बात जो हमें करनी है जब हम उसके पास आते हैं और वो है कि हम अपनी आराधना को उसके आगे भेंट चढ़ाएं। वो छोटा सा वाकया हमें उन्ही शब्दों में सिमित न कर दे। स्वर्गदूत सर्वश्रेष्ठ परमेश्वर की सदा के लिए प्रशंसा करते रहते हैं। हम बहुत से तरीकों से आराधना कर सकते हैं। शायद हम स्तुति में एक भजन सहित पढ़ सकते हैं। हम शांत बैठ कर उन सब बातों पर विचार कर सकते हैं जो उसने हमारे लिए करी हैं। वो पवित्र है और न्यायी है, यशस्वी है, धर्मी और वफादार है! या हम अपनी आराधना को एक कविता या गाने के रूप में भी लिख सकते हैं।

दूसरी बात जो प्रार्थना के लिए यीशु बताते हैं वह परमेश्वर के राज्य के विषय में है। परमेश्वर के राज्य के विषय में कल्पना कीजिये जब वह आएगा और सब बातें जो सही और शुद्ध हैं वे हमेशा के लिए हो जाएंगी और कभी समाप्त नहीं होंगी! फिर कभी आसूं या रोना नहीं होगा क्यूंकि परमेश्वर कि इच्छा का पूर्णता से अनुसरण होगा। कितना अदबुद्दीन होगा! हमारी प्रार्थना के एक भाग यह हो कि हम उससे ये जल्द आने कि अपेक्षा करें।

परमेश्वर के रह्या के आने का दूसरा भाग मांगने के यह हो कि हम चाहें कि हमारे द्वारा, वो कैसे आना चाहिए। हर एक चेले के जीवन में, परमेश्वर की एक सिद्ध योजना है। इस संसार को बनाने से पहले, परमेश्वर ने हम सब के लिए काम तैयार करके रखा जो हमें उसके लिए करना है। हर एक व्यक्ति परमेश्वर के राज्य का कामों को करने के लिए उससे जुडा हुआ है। जिस तरह हर एक विश्वासी यह प्रार्थना करता है कि परमेश्वर कि मर्ज़ी इस पृथ्वी पर पूरी हो, वो ह्म सब को विशेष तरीके से सुनेगा। हर एक को विशेष कार्य दिया जाएगा। और जब वे उस कार्य से जुड़ेंगे, उनके पास विभिन्न प्रार्थना के विषय होंगे। !

परमेश्वर ने किन किन बातों के लिए आपको उसके राज्य को इस पृथ्वी पर लाने के लिए बुलाया है? आप किस तरह प्रार्थना करते हैं? कौन सी वो बातें हैं जिनके लिए हम प्रार्थना कर सकते हैं यह जानते हुए कि वे रजा के ह्रदय के कितने करीब हैं? हम उनके लिए प्रार्थना कर सकते हैं जो दुखी हैं, अपने प्रियजनों कि रक्षा के लिए और हमारे धार्मिक अगवों के लिए। हम उन लोगों और राज्यों के लिए प्रार्थना कर सकते हैं जो यीशु को नहीं जानते। हम अपने देश के लिए प्रार्थना कर सकते हैं और पूरी दुनिया कि शांति के लिए भी। जब यीशु ने अपने राज्य के लिए प्रार्थना करने को कहा, उसने प्रार्थना कि सम्भावनाओं के लिए द्वार खोल दिए!