Posts tagged eternal life
कहानी ४०: मसीह और पिता

तीनो सुसमाचारों में से यूहन्ना की किताब आखरी किताब थी। यूहन्ना प्रभु यीशु के चचेरे भाई और उनके तीन शिष्यों में से एक था। वही एक चेला था जो यीशु क्रूस तक गया। जब यीशु क्रूस पर चढ़े हुए थे, तब उन्होंने अपनी माँ मरियम, को यूहन्ना के हाथ में सौंप दिया था। यूहन्ना किताब के अंत में वह सुसमाचार लिखने का कारण बताता है।

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कहानी ४१: सुनो जो वो कहता है|

यीशु उन यहूदियों को अपने वचन सुनते रहे जो उसे मारने चाहते थे
“यदि मैं अपनी तरफ से साक्षी दूँ तो मेरी साक्षी सत्य नहीं है।

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कहानी ४३ः भीड़ का आना

प्रभु यीशु फरीसियों के निकट जाने से पीछे हटते हैं, लेकिन भीड़ उनके पीछे हो लेती है।

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कहानी ६४: मांगो, ढूंढो, खटखटाओ!

यीशु ने पहाड़ के उपदेश में कुछ बहुत स्पष्ट किया। परमेश्वर के राज्य के प्रजा के लिए जो चीजें महान खज़ाना हैं वो इस अंधेरे और गिरे हुए संसार के खजाने से बहुत अलग हैं। इस जीवन कि आशीषें परमेश्वर कि आशीषों हैं जो विनम्रता, दया और नम्रता के माध्यम से आता है।

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कहानी ८८: जीवन कि सच्ची रोटी

यीशु ने पंद्रह हजार लोगों को खिलाने के लिए पर्याप्त भोजन में पांच रोटियां और दो ​​मछली खिलाईं। वे सभी उस दिन तृप्त होकर अपने घर को गए। उन्होंने जितना उसके शिक्षण कि बातों को लिया उतना ही भोजन पर भी किया।

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कहानी ८९: जीवन कि रोटी (भाग II)

जब लोगों ने यीशु को सुना, वे बड़बड़ाने लगे और शिकायत करने लगे। वह कौन था ऐसा कहने वाला कि वह स्वर्ग से नीचे उतर के आया है? वे सब जानते थे कि वह नासरी से एक बढ़ई यूसुफ का पुत्र है। वे सब उसके माता और पिता। वह ऐसा कैसे दावा कर सकता था कि वह स्वर्ग से आया है?

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कहानी १०३: अच्छा सामरी

जब यीशु यहूदिया के शहर में प्रचार कर रहे थे, तब एक न्यायशास्त्री खड़ा हुआ और यीशु की परीक्षा लेने के लिये उससे सवाल करने लगा। वकील का दूसरा नाम शिक्षक भी है। ये लोग पुराने नियम कि व्यवस्था को पढ़ने में सारा जीवन व्यतीत कर देते थे।

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कहानी १०९: विशाल चेतावनियां: भाग II 

प्रभु यीशु ने अपने चेलों के लिए स्वर्ग के राज के लिए आशा दी थी। स्वर्ग का राजा चाहता है कि लोग उस पर पूर्ण रीति से भरोसा करें। यहां तक ​​कि उनकी सांसारिक संपत्ति को कम महत्व देते हुए परमेश्वर के कामों में इस पृथ्वी पर लगाना है।

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कहानी ११०: युद्ध

प्रभु का दिन आने वाला है, और जिस समय यीशु पृथ्वी पर चला करते था, वह उसकी अपेक्षा करते थे। वो दिन न्याय का दिन होगा और अविश्वास और विद्रोह के विरुद्ध में आग होगी। जो उस पर विश्वास करेंगे उनके लिए उद्धार का दिन होगा।

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कहनी १२७: लाजर का आश्चर्य

यीशु अपने चेलों के साथ बैतनिय्याह को गया। यह एक खतरनाक निर्णय था, जो वास्तव में नहीं था! यहूदी अगुवे यीशु को मार देना चाहते थे, और येरूशलेम छोड़ कर वह यरदन नदी को चला गया। केवल अभी के लिए, यीशु का मित्र लाज़र मर रहा था, और यीशु उसकी सहायता के लिए जा रहा था।

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कहनी १३३: छोटे बच्चे और अमीर युवा शासक

फिर लोग कुछ बालकों को यीशु के पास लाये कि वह उनके सिर पर हाथ रख कर उन्हें आशीर्वाद दे और उनके लिए प्रार्थना करे। किन्तु उसके शिष्यों ने उन्हें डाँटा।

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कहानी १६१: परमेश्वर के पुत्र की प्रार्थनाएं 

अपने चेलों के साथ उस अंतिम रात्री में, यीशु ने अंत में यह स्पष्ट कर दिया था। जिस राज्य कि घोषणा वे करने जा रहे थे, वह उनकी कल्पना से बाहर था, परन्तु वे बहुत महान और अद्भुद था। आने वाले दिनों को देखते हुए यीशु अपनी आँखें स्वर्गीय पिता कि ओर उठाकर प्रार्थना की।

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