कहानी ९२: चार हज़ार लोगों को खिलाना

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यीशु और उसके चेले गलील के सागर के किनारे थे, लेकिन वे दिकापुलिस में थे। यह दस शहरों का अन्यजातियों का शहर था। इस यहूदी क्षेत्र के बाहर था। वहाँ के लोग ऐसे थे जिनके साथ यहूदी बैठ कर भोजन नहीं करेंगे! फिर भी बड़ी भीड़ यीशु को देखने के लिए उमड़ रही थी। तीन दिन के बाद, यीशु को भीड़ पर तरस आया। उनके पास कुछ खाने को नहीं था! वह उनको भूखे पेट वापस नहीं भेजना चाहता था। वे बेहोश हो सकते थे! बहुत से लोग दूर दिशा से उसके पास आये थे।

तब यीशु के चेलों ने उससे पुछा कि इतनी बड़ी भीड़ के लिए ऐसी बियाबान जगह में इतना खाना कहाँ से मिलेगा। यह एक साधारण सा सवाल था लेकिन जीवन अब साधारण नहीं रहे। वे मसीहा के चेले थे! क्या उन्हें याद नहीं था कि यीशु ने 5000 को खिलाया था?

तब यीशु ने उनसे पूछा कि उनके पास कितनी रोटियाँ हैं। इस बार, सात रोटियां और थोड़ी सी मछलियां थीं। यीशु ने भीड़ से धरती पर बैठने को कहा और उन सात रोटियों और मछलियों को लेकर उसने परमेश्वर का धन्यवाद किया और रोटियाँ तोड़ीं और अपने शिष्यों को देने लगा। फिर उसके शिष्यों ने उन्हें आगे लोगों में बाँट दिया।

लोग तब तक खाते रहे जब तक थक न गये। फिर उसके शिष्यों ने बचे हुए टुकड़ों से सात टोकरियाँ भरीं। मसीह कि अधिकता आशीषें यहूदियों के लिए फिर से बेह कर निकलने लगीं थीं, और अब अन्यजातियों पर भी बहने लगा था! औरतों और बच्चों को छोड़कर वहाँ चार हज़ार पुरुषों ने यीशु के सन्देश को उस दिन सुना।

ऐसे मंदबुद्धि चेलों के लिए यीशु में कितना सबर था! यह कितना सुन्दर रूप था जिस पर उनको अपने शेष जीवन को बिताना था। केवल यीशु ही के पास परमेश्वर कि दी हुई सामर्थ थी जो श्रापित दुनिया कि और सब ज़रूरतमंद लोगों कि आवश्यकताओं को पूरा करता है, परन्तु वह इन लोगों को अपनी सामर्थ देगा ताकि उसके जाने के बाद, वे लोगों को उस जीवन कि रोटी को बात सकें!

भीड़ को विदा करके यीशु नाव में आ गया और मगदन को चला गया। यह एक यहूदी क्षेत्र था। यदि हम गलील के किनारे खड़े होकर देखें तो चारों ओर है हरी घास और चमकता हुआ नीला आकाश का ख़ूबसूरत नज़ारा देखने को मिलता है। लेकिन यहूदियों और अन्यजातियों कि नज़र में, उन दोनों गुट के बीच एक ऊंची दिवार थी। ये अनदेखी दीवारें हज़ारों सालों से बनी हुई थीं, परन्तु जब यीशु और उनके चेले अपनी कश्ती से उस समुन्द्र के उस पार गए जहाँ उनका आसमानी बाप उन्हें ले जा रहा था, उन्होंने उन सीमाओं को पार कर लिया था। नयी दुनिया के लिए वे नए रास्तों को बना रहे थे।

जब यीशु और उके चेले यहूदी क्षेत्र में पहुँचे,तो फ़रीसी और सदूकी उनका इंतज़ार कर रहे थे। वे उनको आज़माना चाहते थे और उसके साथ बहस करना चाहते थे। सुसमाचारों में हम पहली बार हमें यह पड़ने को मिलता है कि फरीसी और सदूकी एक साथ कामकर रहे हैं। आम तौर पर वे एक दुसरे को दुश्मन ही समझते थे। वे परमेष्वर और बाइबिल के विषय में फर्क विचार धारा रखते थे, और यहूदी विश्वास में उनके बीच मेंदरार पैदा होती थी। लेकिन अब, उन्हें एक सामान्य दुश्मन मिल गया था। वे इस सेवक कि खिलाफ जाने के लिए एक साथ हो गए थे। उनके जो भी मतभेद हों, वे इस नए खतरे के सामने महत्पूर्ण नहीं था। उन्हें इस यीशु के विषय में कुछ करना था।

फिर फ़रीसी आये और उससे प्रश्न करने लगे, उन्होंने उससे कोई स्वर्गीय आश्चर्य चिन्ह प्रकट करने को कहा। क्यूंकि, पुराने नियम में लिखा है कि मसीहा लौकिक स्थल पर कार्य करेगा, और परमेश्वर ने मूसा और एलिजाह के द्वारा बहुत से चमत्कार किये थे। यदि यीशु परमेश्वर कि ओर से है, वो वह स्वयं इन कार्यों को क्यूँ नहीं करता? उन्हें ऐसा लगा कि उसे उन्हें सबूत देना होगा।

यीशु के शिष्य कुछ खाने को लाना भूल गये थे। एक रोटी के सिवाय उनके पास और कुछ नहीं था।

यीशु ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा, “सावधान! फरीसियों और हेरोदेस के ख़मीर से बचे रहो।” उसने हेरोदेस के खिलाफ उन्हें चेतावनी दी।

यीशु के चेले आपस में यह बातें करने लगे कि उसका क्या कहने का मतलब था। उन्हें लगा कि यीशु शायद उनसे नाराज़ है क्यूंकि वे सफर के लिए रोटी लाना भूल गए थे। खमीर रोटी बनाने के लिए आटे के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसे आटे में मिलाया जाता था और फिर फैला दिया जाता है जिससे कि उसमें छोटे छोटे बुलबुले आ जाते हैं। जब इसे पकाया जाता है, एक चपटी रोटी के बजाय, यह थोड़ा सा हल्का और फूला हुआ होता है। लेकिन यहूदी लोगों के लिए, खमीर बुरी चीज़ों का प्रतीक है। यीशु इसे यहाँ ऐसे ही उपयोग कर रहा है। फरीसी और सदूकी इस खमीर कि तरह थे, और इस्राएल का देश आटे के समान। जिस तरह खमीर आटे में मिलकर उसे बदल देता है, झूठी शिक्षाएं और धार्मिक अगुवों कि नफरत ने यहूदी लोगों के दिमाग को यीशु के विरुद्ध कर दिया है।

यीशु जानता था कि चेले नहीं समझ पाये कि वह क्या कह रहा है। वह जानता था कि वे सोच रहे हैं कि वह उस खाने कि बात कर रहा है जो वे खरीदना भूल गए। उन्हें किस बात कि चिंता थी? क्या वे नहीं जानते थे कि वह उस एक छोटी सी रोटी से कितनी सारी टोकरियाँ भरने में सक्षम है? क्या वे सब चमत्कार भूल गए थे?

उसने उनसे कहा,"'ओ अल्प विश्वासियों, तुम आपस में अपने पास रोटी नहीं होने के बारे में क्यों सोच रहे हो? क्या तुम अब भी नहीं समझते या याद करते कि पाँच हज़ार लोगों के लिए वे पाँच रोटियाँ और फिर कितनी टोकरियाँ भर कर तुमने उठाई थीं? और क्या तुम्हें याद नहीं चार हज़ार के लिए वे सात रोटियाँ और फिर कितनी टोकरियाँ भर कर तुमने उठाई थीं? क्यों नहीं समझते कि मैंने तुमसे रोटियों के बारे में नहीं कहा? मैंने तो तुम्हें फरीसियों और सदूकियों के ख़मीर से बचने को कहा है।”

तब वे समझ गये कि रोटी के ख़मीर से नहीं बल्कि उसका मतलब फरीसियों और सदूकियों की शिक्षाओं से बचे रहने से है। चेले भी यीशु कि आत्मिक बातों को ना समझने से परेशान हुए। कल्पना कीजिये सरे दिन पूरे यहूदी देश में ऐसे चर्चा होती रही। जब लोग यीशु कि बातों को दोहरा रहे थे, वे उन धार्मिक अगुवों के विषय में भी बात करते थे जो यीशु के विरुद्ध में थे। उनके वाद विवाद लोगों के ह्रदय में भय दाल रहा था। फरीसी यीशु के विरुद्ध में ऐसा कहने लगे कि परमेश्वर का राज्य कानूनी परम्पराओं के आधार पर बनना चाहिए। सदूकी राज्य के विषय में अलग ही टिपणी कर रहे थे। वे ऐसा कहते थे कि वो कभी नहीं आएगा! हेरोदेसी यह मानते थे कि मसीहा हेरोदेस के परिवार से ही आएगा। इन में से कोई भी अब्राहिम के परमेश्वर कि ओर नहीं फिर रहा था। यदि वे ऐसा करते हैं तो, वे मसीह को पहचान लेते जब वह आया था! अब वह उनके बीच में था, और धार्मिक अगुवे जिनको लोगों कि अगुवाई करनी थी, वे परमेश्वर के राज्य के सन्देश के विषय में आशंकाएं पैदा कर रहे थे। वे एक खतरनाक खेल खेल रहे थे।

जब चेलों ने इन झूठे शिक्षाओं को छोड़ा, तब उनकी आँखें और अधिक साफ़ देखने लगीं। वे और भी अधिक राज्य कि सच्चाई को समझने लगे, और एक सच्चा मसीहा कैसा होगा। और अगली कहानी में, उनमें से एक उसके विषय में प्रचार करेगा!