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कहानी ३८: यीशु की पूछताछ

यहूदी रीति के अनुसार यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के चेले और फ़रीसी उपवास कर रहे थे। यह यहूदी कानून का हिस्सा के अनुसार नहीं थी। जब यहूदी लोग बाबुल में निर्वासन से लौटे तब से यह परंपरा चल रही थी।

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कहानी ९४: रूप - परिवर्तन

पतरस ने यह घोषणा की कि यीशु, जीवते परमेश्वर का पुत्र है। यह एक साहसिक, अयोग्य बयान था, और वह ऐसा करना चाहता था। यह केवल सच्चाई कि घोषणा नहीं थी, बल्कि यह राज निष्ठा कि भी घोषणा थी। पतरस एक पक्ष का चयन कर रहा था क्यूंकि वह जानता था कि यीशु ही परमेश्वर का अभिषेक किया हुआ है।

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कहानी ९७: पर्व के लिए यरूशलेम को जाना 

पिछले छे महीनो से, यीशु ने अपने आप को लोगों के आगे आना बंद कर दिया था। यहूदी अगुवे उसे मारने के ताक में थे, गलील के लोग अपने पापों से पश्चाताप करने से इंकार कर रहे थे। उनमें से कुछ ने उसे राजा बनाने कि साजिश भी रची।

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कहानी ११०: युद्ध

प्रभु का दिन आने वाला है, और जिस समय यीशु पृथ्वी पर चला करते था, वह उसकी अपेक्षा करते थे। वो दिन न्याय का दिन होगा और अविश्वास और विद्रोह के विरुद्ध में आग होगी। जो उस पर विश्वास करेंगे उनके लिए उद्धार का दिन होगा।

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कहनी १२१: एक शिष्य होने की कीमत 

यीशु जब परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाते हुए पेरी को गए, बड़ी भीड़ उसके साथ गयी जहां जहां वो गया। यीशु के विरुद्ध धार्मिक अगुवों ने शत्रुता कि लंबी रेखा खींची, लेकिन वह अपने देश का सबसे प्रसिद्ध शिक्षक था। आधे से ज़यादा लोग उसे मसीहा समझ रहे थे!

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कहानी १४१: अंतिम सप्ताह कि शुरुआत: यंत्रणा का दूसरा दिन (सोमवार) 

यीशु ने यरूशलेम में स्तुति और प्रशंसा करते हुए प्रवेश किया। जब वह बछड़े के ऊपर बैठ कर आ रहा था लोग उसके साथ नाचते थे, और जकर्याह की भविष्यवाणी को पूरा कर रहे थे। उस दिन कि कहानियों का उस रात येरूशलेम में बहुत चर्चा हुई।

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कहानी १७०: क्रूस पर चढ़ाया गया राजा

फिर जब वे गुलगुता (जिसका अर्थ है “खोपड़ी का स्थान।”) नामक स्थान पर पहुँचे तो उन्होंने यीशु को पित्त मिली दाखरस पीने को दी। किन्तु जब यीशु ने उसे चखा तो पीने से मना कर दिया।

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कहानी १७१: क्रूस पर

यीशु उस पीड़ा के साथ क्रूस पर था, उसके पास बहुत से खड़े जो उसे देख रहे थे। ऐसा लगता था कि कुछ हो जाएगा। क्या वह इस हास्य जनक अनुकरण को अपनी सामर्थ से जीत पाएगा?

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