कहानी ७८: स्वर्ग राज्य के दृष्टान्त : छुपे हुए खजाने
यीशु अपने शिष्यों को दृष्टान्त से सिखाता रहा कि किस प्रकार परमेश्वर का राज्य इस दुनिया में सच्चे विश्वासियों के लिए कार्य करता है जो उसके आगमन कि इंतेजारी करते हैं। ये अगले दो दृष्टान्त परमेश्वर के राज्य के श्रेय का व्याख्या देते हैं:
“'स्वर्ग का राज्य खेत में गड़े धन जैसा है। जिसे किसी मनुष्य ने पाया और फिर उसे वहीं गाड़ दिया। वह इतना प्रसन्न हुआ कि उसने जो कुछ उसके पास था, जाकर बेच दिया और वह खेत मोल ले लिया। '"
वाह। उस व्यक्ति कि ख़ुशी के बारे में सोचिये जिसे यह लगता है कि वो खज़ाना उसे कितनी चीज़ें दिला सकता है। स्वर्ग के राज्य के उस शानदार इनाम के विषय में जिसका बयान नहीं कर सकते, उसके प्रति ऐसी प्रतिक्रिया होना सही है। हम अपने ह्रदय को उस व्यक्ति के ह्रदय से तुलना कर सकते हैं जो उस दृष्टान्त में है। क्या राज्य को लेकर हमारी ख़ुशी उसकी ख़ुशी से मेल खाती है? उसके क्या हम सब कुछ त्यागने को तैयार हैं? या क्या ह्म आत्मिक तौर से सुस्त हैं और उसके महान मूल्य से अंधे हैं? क्या हम उन चेलों कि तरह हैं जिन्होंने यह समझा कि यीशु के पीछे चलना जीवन कि किसी और बात से महत्पूर्ण है? या हम उस भीड़ के समान हैं जो यीशु यह नहीं देख पाये कि यीशु कौन है? यीशु को एक दृष्टान्त समझाया जिससे कि वे उस कीमती मूल्य को समझ सकें जो उन्होंने उसमें पाया:
हम और अधिक यीशु के बाद जीवन में किसी भी अन्य चीज से ज्यादा महत्वपूर्ण था कि जो समझ चेलों की तरह कर रहे हैं? या हम यीशु है, जो की महिमा नहीं देख सकता था, जो भीड़ को पसंद कर रहे हैं? यीशु अपने अनुयायियों वे उस में क्या मिला था की महान मूल्य को समझने में मदद करने के लिए एक और दृष्टान्त कहा :
"'स्वर्ग का राज्य ऐसे व्यापारी के समान है जो अच्छे मोतियों की खोज में हो। जब उसे एक अनमोल मोती मिला तो जाकर जो कुछ उसके पास था, उसने बेच डाला, और मोती मोल ले लिया।'"
यह देखना कितना शोभयमान है कि जो यीशु के साथ सब जगह गए वे स्वर्ग के राज्य के अनुसार चल रहे थे। यह बहुत अद्भुद है कि किस तरह स्वर्ग के राजा ने हमारे लिए अपने राज्य को जिसे हम अपने पूरे जीवन के उद्देश्य और उम्मीद को आधार बना सकते हैं, हमारे लिए दे दिया। परमेश्वर के राज्य के लिए जीना जीने लायक है! आने वाला खज़ाना किसी भी बात से अद्भुद है!
यीशु ने राज्य को किसी भी और विकल्प के साथ नहीं दिया। यह खज़ाना केवल एक ही विकल्प है। पूरे विश्व में केवल परमेश्वर ही एक है जिस पर हम अपनी आशा को टिका सकते हैं। परमेश्वर के अद्भुद अनुगृह में, पूरे बृह्मांड में अपनी सुंदरता और महिमा को प्रकट करते रहता है। वह हर प्राणी को जीवन देता है, उन्हें भी जो उसके विरुद्ध में रहते हैं।
जो अंधकार के राज्य से प्रेम करते हैं और उसी लिपटे रहते हैं, और वे जो परमेश्वर के राज्य को अपने महान ख़ज़ाने कि तरह उसे नहीं खोजते, एक समय आएगा जब परमेश्वर अपने अनुग्रह को उन पर से हटा देगा। जो कृतध्न दुष्ट हैं उन पर से परमेश्वर अपनी आशीषें सदा के लिए दूर कर देगा। परमेश्वर ने इस सृष्टि को हज़ारों सालों से बनाय रखा है, परन्तु प्रभु का दिन आ रहा है। यीशु ने फिर ऐसा कहा:
"'स्वर्ग का राज्य मछली पकड़ने के लिए झील में फेंके गए एक जाल के समान भी है। जिसमें तरह तरह की मछलियाँ पकड़ी गयीं। जब वह जाल पूरा भर गया तो उसे किनारे पर खींच लिया गया। और वहाँ बैठ कर अच्छी मछलियाँ छाँट कर टोकरियों में भर ली गयीं किन्तु बेकार मछलियाँ फेंक दी गयीं। सृष्टि के अन्त में ऐसा ही होगा। स्वर्गदूत आयेंगे और धर्मियों में से पापियों को छाँट कर धधकते भाड़ में झोंक देंगे जहाँ बस रोना और दाँत पीसना होगा।'”
जब यीशु ने यह दृष्टान्त को खत्म किया, पुछा कि उनको समझ में आया या नहीं। उन्होंने कहा "'हाँ''" अब उन्हें सब बातें समझ में आने लगी थी।
यीशु जानता था कि इस सृष्टि को बनाने से पहले परमेश्वर कि भविष्यवाणियां गुप्त रखी गयीं थी। वो जानता था कि उसे चेलों को यह सीखाना ज़रूरी था कि कैसे नयी भविष्यवाणियों के विषय में सोचना है। फरीसी और धार्मिक अगुवे अपने अतीत और स्वयं के व्याख्याओं के द्वारा उन बातों को समझेंगे। जब परमेश्वर स्वयं भी आये, वे टस से मस नहीं हुए! उनका परिणाम अनंतकाल कि सज़ा है!
चेले परमेश्वर कि योजना के नए तेजस्वी हिस्से को सीख रहे थे जो पुराने नबियों को बताया नहीं गया था। यीशु उन्हें दिखा रहा था कि किस तरह पुराने नियम में भविष्यवाणी प्रभु के दिन के साथ नयी बातों के साथ फिट होती है जो परमेश्वर ने अपने बेटे के द्वारा बताईं। यीशु ने इस तरह समझाया:
“'देखो, इसीलिये हर धर्मशास्त्री जो परमेश्वर के राज्य को जानता है, एक ऐसे गृहस्वामी के समान है, जो अपने कठोर से नई-पुरानी वस्तुओं को बाहर निकालता है।'”
जो परमेश्वर के वचन को सच्ची नम्रता और विश्वास के साथ पढ़ता है वह आत्मा के द्वारा चलाया जाएगा। जो वफादारी से सुनते हैं वे यीशु के नय कार्य को और वह सब कुछ जो परमेश्वर के राज्य के विषय में सिखाया गया उसे समझ सकेंगे, और वे अपने जीवन उसके लिए दे देंगे। सच्चे विश्वासियों का ह्रदय अतीत में सिखाई हुई परमेश्वर कि बातों का आदर करेंगे, और फिर भी उनके ह्रदय नयी बातों के लिए जो वह कर रहा है, खुले रहेंगे। राज्य कि बहुमूल्य शिक्षाएं सब एक साथ आ जाएंगी। यीशु का कार्य पुराने नियम कि सब भविष्यवाणियां और वायदे उनके ऊपर ज्योति के समान है। वह अपने चेलों को दिखा रहा था कि कैसे पुराने नियम में परमेश्वर के कार्य उसके बेटे के द्वारा नय कार्य के लिए रास्ता बना रहा था। यह कार्य उसके चेलों का होगा जो अपने स्वामी कि सुनते हैं, और स्वर्ग के राज्य को दुनिया को सुनाते हैं!