अगले दिन, यीशु के रूपांतरण होने के बाद वे पहाड़ से पतरस, याकूब और यूहन्ना के साथ जब वापस आये तो, भीड़ बाकी के चेलों को घेरी हुई थी। कुछ शास्त्री, जो धार्मिक अगुवे थे जो उनके साथ बहस कर रहे थे।
Read Moreएक बार यीशु के शिष्यों के बीच इस बात पर विवाद छिड़ा कि उनमें सबसे बड़ा कौन है। वे आपस में बहस कर रहे थे कि परमेश्वर के राज्य में कौन सबसे बड़ा होगा। यहूदी संस्कृति में, पद और हैसियत बहुत ज़रूरी थे। समाज में सब अपने पद को जानते थे।
Read Moreपिछले छे महीनो से, यीशु ने अपने आप को लोगों के आगे आना बंद कर दिया था। यहूदी अगुवे उसे मारने के ताक में थे, गलील के लोग अपने पापों से पश्चाताप करने से इंकार कर रहे थे। उनमें से कुछ ने उसे राजा बनाने कि साजिश भी रची।
Read Moreयेरूशलेम जाने के लिए जब यीशु और उसके चेलों ने गुप्त तरीके से रास्ता निकाला, तब यहूदी उसके आने कि इंतेजारी में थे। लोग आपस में यह बातें करते थे कि यदि वह एक अच्छा आदमी था या धोखेबाज़ जो लोगों को परमेश्वर से दूर ले जाना चाहता है।
Read Moreमिलापवाले तम्बू का पर्व शुरू हो चुका था और सब यही सोच रहे थे कि यीशु कब आएगा और इस बात कि अफवाह फैलाई गई थी कि यहूदी अगुवे उसे मरवा देंगे। वह आया और बहुत साहस और सफाई के साथ बोला।
Read Moreइस्राएल के देश का यह तनाव और सोच विचार से भरा जश्न का अंतिम दिन था। क्या वे इस बात को स्वीकारते कि यीशु के पास परमेश्वर के द्वारा दी गयी सामर्थ और अधिकार है, जैसा कि वह कहता था? क्या वे उसे मसीह के रूप में स्वीकार करेंगे?
Read Moreयरूशलेम के मंदिर के आंगनों में जहां यीशु सिखा रहे थे, वहाँ लोगों ने उस पर विश्वास किया। उसने उनसे कहा,“'यदि तुम लोग मेरे उपदेशों पर चलोगे तो तुम वास्तव में मेरे अनुयायी बनोगे। और सत्य को जान लोगे। और सत्य तुम्हें मुक्त करेगा।'”
Read Moreयीशु अपने चेलों के साथ यहूदिया में ही था। मिलापवाले तम्बू का पर्व समाप्त हो गया था परन्तु यीशु के प्रति विरोध बढ़ गया था। येरूशलेम के धार्मिक अगुवे गुस्से से उबल रहे थे। जो लोग आपस में नफ़रत करते थे वे अब एक जुट होकर यीशु के विरुद्ध साज़िश रच रहे थे। उसे रोका जाना ज़रूरी था। वे उसे मरवा देना चाहते थे।
Read Moreजब यीशु यहूदिया के शहर में प्रचार कर रहे थे, तब एक न्यायशास्त्री खड़ा हुआ और यीशु की परीक्षा लेने के लिये उससे सवाल करने लगा। वकील का दूसरा नाम शिक्षक भी है। ये लोग पुराने नियम कि व्यवस्था को पढ़ने में सारा जीवन व्यतीत कर देते थे।
Read Moreयीशु यहूदिया के गांवों और कस्बों से होते हुए अपनी यात्रा कर रहा था। वह बेथानी नामक गांव में पहुंचा जो यरूशलेम से लगभग दो मील की दूरी पर था। मार्था वहाँ अपने भाई और बहन के साथ रहती थी। उसने यीशु का उदारता के साथ उसका स्वागत सत्कार किया।
Read Moreयीशु परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार को सुनाने के लिए यहूदिया के क्षेत्र में जाते रहे। शास्त्री और फरीसी यीशु पर आरोप लगाते रहे कि वह शैतान कि ओर से आया है। उसके दुष्ट आत्माओं को निकालने और स्पष्ट रूप से संदेश को सीखाने के बावजूद उन लोगों ने पश्चाताप करने से इंकार कर दिया।
Read Moreफरीसी और शास्त्रि जब यीशु के खिलाफ साजिश रच रहे थे और सवालों से उसे फंसाना चाहते थे, यीशु फिर भी प्रचार करते रहे।निश्चित रूप से चेले इस बात को समझते थे कि यीशु के साथ उनकी वफादारी उनके जीवन को जोखिम में डाल सकती है।
Read Moreयीशु जब यहूदिया में उपदेश दे रहा था, वहीं एक आदमी उठ खड़ा हुआ और उससे एक सवाल पूछा। यह उसके माता पिता से विरासत में मिलने वाली सम्पत्ति के बारे में था। वह चाहता था कि उसके भाई उसके साथ बटवारा करे। आम तौर पर, यहूदी लोगों के लिए, इन प्रश्नों के इन प्रकार के उत्तर परमेश्वर की व्यवस्था के द्वारा दिए जाते थे।
Read Moreजिस समय से यीशु ने अपनी सेवकाई शुरू कि और खानी में अब तक, ढाई साल से अधिक हो गए हैं। वह और उसके चेले स्वर्ग राज्य के सत्य का प्रचार और लुभावने चमत्कार और दया का दिल प्रतिपादन कृत्यों के माध्यम से सबसे उच्च परमेश्वर की शक्ति का प्रदर्शन, इस्राएल के शहरों और गांवों में जाकर किया।
Read Moreप्रभु यीशु ने अपने चेलों के लिए स्वर्ग के राज के लिए आशा दी थी। स्वर्ग का राजा चाहता है कि लोग उस पर पूर्ण रीति से भरोसा करें। यहां तक कि उनकी सांसारिक संपत्ति को कम महत्व देते हुए परमेश्वर के कामों में इस पृथ्वी पर लगाना है।
Read Moreप्रभु का दिन आने वाला है, और जिस समय यीशु पृथ्वी पर चला करते था, वह उसकी अपेक्षा करते थे। वो दिन न्याय का दिन होगा और अविश्वास और विद्रोह के विरुद्ध में आग होगी। जो उस पर विश्वास करेंगे उनके लिए उद्धार का दिन होगा।
Read Moreयीशु जब प्रचार करते जा रहे थे, वे उन भयानक विकृतियों और झूठ को खोलते जा रहे थे जिसने लोगों को भय और झूठे विश्वास में जकड़ा हुआ था। अपने स्वर्गीय पिता के विषय में झूठ सुनकर वह कितना अपमानित महसूस कर रहा होगा!
Read Moreमिलापवाले तम्बू के पर्व के तीन महीने बीत चुके थे और अब समर्पण के पर्व का समय आ गया था।एक बार फिर, सभी तीर्थयात्त्री इस्राएल देश से यरूशलेम को यात्रा के लिए जाएंगे। पिछले पर्व की घटनाएं अभी भी लोगों के दिमाग में ताजा थीं।
Read Moreफिर उसके पड़ोसी और वे लोग जो उसे भीख माँगता देखने के आदी थे, उसे देख कर हैरान हुए। वह उस व्यक्ति के समान दिखता था जिसे वे हर रोज़ देखते थे लेकिन ऐसा कैसे हो सकता था? उन्होंने एक दूसरे से पुछा,“क्या यह वही व्यक्ति नहीं है जो बैठा हुआ भीख माँगा करता था?”
Read Moreयीशु ने तीन साल से फरीसियों और धार्मिक नेताओं का सामना किया था। यह और भी अधिक स्पष्ट होता जा रहा था कि उनके दिल विद्रोह और पाप में पक्के हो गए थे। परमेश्वर कि सच्चाई को सुनने के बाद उसको अस्वीकार कर देना ही बहुत खतरनाक बात है।
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