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कहनी ११४: अच्छा चरवाहा और चोर

यीशु ने तीन साल से फरीसियों और धार्मिक नेताओं का सामना किया था। यह और भी अधिक स्पष्ट होता जा रहा था कि उनके दिल विद्रोह और पाप में पक्के हो गए थे। परमेश्वर कि सच्चाई को सुनने के बाद उसको अस्वीकार कर देना ही बहुत खतरनाक बात है।

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कहनी ११५: अच्छा चरवाहा--भाग २ 

यीशु अपने चेलों को समझा रहे थे कि इस्राएल के देश में क्या हो रहा था। यदि यीशु ही मसीहा है, तो उसके और धार्मिक अगुवों के बीच क्यूँ ऐसा युद्ध था? क्या उन्हें एक साथ मिलकर काम नहीं करना चाहिए? यीशु ने समझाया कि, वे जो उसके हैं और अपने स्वर्गीय पिता कि आवाज़ को सुनते हैं, तो उन्हें पश्चाताप करके उसके पीछे चलना चाहिए।

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