कहानी १०६: यीशु का भय 

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फरीसी और शास्त्रि जब यीशु के खिलाफ साजिश रच रहे थे और सवालों से उसे फंसाना चाहते थे, यीशु फिर भी प्रचार करते रहे।निश्चित रूप से चेले इस बात को समझते थे कि यीशु के साथ उनकी वफादारी उनके जीवन को जोखिम में डाल सकती है। सो यीशु ने उन्हें दुष्ट और शक्तिशाली लोगों कि तरफ से सही रूप से देखने के तरीके सिखाये। उसने उन्हें ऊपर कि ओर और अधिक शक्ति को देखने को कहा:

“'फरीसियों के ख़मीर से, जो उनका कपट है,बचे रहो। कुछ छिपा नहीं है जो प्रकट नहीं कर दिया जायेगा। ऐसा कुछ अनजाना नहीं है जिसे जाना नहीं दिया जायेगा। इसीलिये हर वह बात जिसे तुमने अँधेरे में कहा है, उजाले में सुनी जायेगी। और एकांत कमरों में जो कुछ भी तुमने चुपचाप किसी के कान में कहा है, मकानों की छतों पर से घोषित किया जायेगा।

“किन्तु मेरे मित्रों! मैं तुमसे कहता हूँ उनसे मत डरो जो बस तुम्हारे शरीर को मार सकते हैं और उसके बाद ऐसा कुछ नहीं है जो उनके बस में हो। मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि तुम्हें किस से डरना चाहिये। उससे डरो जो तुम्हें मारकर नरक में डालने की शक्ति रखता है। हाँ, मैं तुम्हें बताता हूँ,बस उसी से डरो।

“क्या दो पैसे की पाँच चिड़ियाएँ नहीं बिकतीं? फिर भी परमेश्वर उनमें से एक को भी नहीं भूलता। और देखो तुम्हारे सिर का एक एक बाल तक गिना हुआ है। डरो मत तुम तो बहुत सी चिड़ियाओं से कहीं अधिक मूल्यवान हो।

“किन्तु मैं तुमसे कहता हूँ जो कोई व्यक्ति सभी के सामने मुझे स्वीकार करता है, मनुष्य का पुत्र भी उस व्यक्ति को परमेश्वर के स्वर्गदूतों के सामने स्वीकार करेगा। किन्तु वह जो मुझे दूसरों के सामने नकारेगा, उसे परमेश्वर के स्वर्गदूतों के सामने नकार दिया जायेगा।'"    --लूका १२:१ब-९

इस दृश्य की कल्पना कीजिए। आप जीवते परमेश्वर के सिंहासन के सामने खड़े हैं। परमेश्वर का महान, शानदार प्रकाश उसके सिंहासन से बाहर चमकता है। चौबीस अगुवों के साथ करूब भी हैं जो परमेश्वर कि प्रशंसा करते रहते हैं। और आप भी वहाँ खड़े हैं। इस धरती पर रहकर आपने बहुत से पाप किये। आपने लोगों को उस तरह से प्रेम नहीं किया जैसा कि परमेश्वर ने आपसे चाहा था, और आप के कुछ हिस्सो ने भी परमेश्वर को अपने पूरे दिल, प्राण, मन और ताक़त से प्रेम नहीं किया। आप जानते हैं कि आप युगानुयुग के लिए परमेश्वर कि पवित्र उपस्थिति में रहने योग्य नहीं हैं। आपके पाप और असफलताएं आपके प्राण गंदे बोझ कि तरह हैं। लेकिन परमेश्वर के दाहिने हाथ आपका उद्धारकर्ता बैठा है जो आपको बचाएगा। वहाँ यीशु है जो, अपने पूरे शानदार सामर्थ में राज कर रहा है। जब आप उसके आगे घुटने टेकते हैं, तो यह पहली बार नहीं होगा कि आप उसे राजा घोषित करते हैं। इस पृथ्वी पर आपके जीवन भर, आपको सुसमाचार सुनाया गया, और परमेश्वर ने आपकी आँखें खोल दीं ताकि आप देख सकें कि बाइबिल में यीशु के विषय में जो बातें लिखीं हैं वे सच हैं।

आप अपने भरोसा उस पर डालते हैं। अब जब आप परमेश्वर के सिंहासन के सामने खड़े होते हैं, यीशु कि धार्मिकता आपको ढांप देती है। उसने अपने लहू से आपके पापों कि कीमत चुकाई, और परमेश्वर पिता अपने पुत्र कि अच्छाई को आपमें देखता है। आपको शुद्ध और साफ़ किया गया क्यूंकि आपने यीशु को अपने जीवन में स्वीकार करने में असफल नहीं रहे।

और इसलिए, यीशु सब दूतों के सामने, पूरे स्वर्ग और पृथ्वी और परमेश्वर पिता के सामने आपको अपना कहता है। आप युगानुयुग के लिए उसके हैं।

अब, हम यह नहीं जानते कि क्या ऐसा वास्तव में होगा, लेकिन हम कल्पना कर सकते हैं। आप अपने परमेश्वर के सिंहासन के सामने अपने को यीशु के साथ एक सुरक्षित पद पर देख सकते हैं। उस फरीसी कि कल्पना कीजिये जिसने यीशु का इस पृथ्वी पर विरोध किया और उसे क्रूस पर चढ़ा दिया और अब स्वर्ग के सिंघासन के सामने उसे लाया गया है। उसने यीशु को इंकार किया था और अब परमेश्वर सब दूतों के सामने उसका इंकार करेगा। अब बहुत देर हो चुकी है और उसे अब परमेश्वर के क्रोध का सामना करना पड़ेगा। यीशु ने उसके लिए एक रास्ता बनाया था, लेकिन उसने इंकार कर दिया था, और इसलिए प्रभु कहता है, "'ठीक है, तुम अपनी मर्ज़ी कर सकते हो। तुमने जो परमेश्वर से हट कर जो रास्ता चुना था वो तुम्हारा है।" उस अलगाव का स्थान नरक है।

जीवन में जो कुछ भी अच्छा और पवित्र है उसका स्त्रोत परमेश्वर है, इसलिए अलगाव का स्थान बहुत ही कष्ट और मुसीबत का है। उस फरीसी के बारे में सोचिये जिसे यीशु ने सारे ब्रह्मांड के सामने बेदखल कर दिया। सोचिये जब उसे नरक में हमेशा हमेशा के लिए फेंक दिया जाएगा जहां उसका अलगाव परमेश्वर से और सारी अच्छी चीज़ों से हो जाएगा जो वह अपने साथ लाता है।

यह सब बातें हमें बहुत दूर में दिखती हैं लेकिन यीशु उन्हें उत्तम दृष्टि से देखने में सक्षम था। वह यह समझता था कि वे जिन्होंने उसे स्वीकारा था और वे जिन्होंने उसका इंकार किया था उनके जीवन दाव पर लगे थे। उन्हें कठोरता पूर्वक उस भयानक भाग्य के लिए डाटना ज़यादा अनुरागशील था बजाय इसके कि वे अपने ही झूठ के कारण धोखा खाते।

लेकिन उन्हें उस भयंकर भविष्य के विषय में बताकर जो फरीसियों और शास्त्रियों के लिए था, यीशु खुलकर उनके नेतृत्व का विरोध कर रहा था। उसने उन पर सबसे गम्भीर बातों के लिए दोषी ठराया और उनके और अपने बेच एक रेखा खींच दी। राष्ट्रों को इस बात का निर्णय लेना होगा कि किसने उनके विश्वास को बनाया। क्या वे मसीह पर विश्वास कर के परमेश्वर कि उन नयी बातों का आदर करेंगे जो वह रहा था? इस्राएल के धार्मिक अगुवों ने अपने बगावत कि पुष्टि कर दी थी। अब लोग क्या करेंगे?