कहनी ११४: अच्छा चरवाहा और चोर
यीशु ने तीन साल से फरीसियों और धार्मिक नेताओं का सामना किया था। यह और भी अधिक स्पष्ट होता जा रहा था कि उनके दिल विद्रोह और पाप में पक्के हो गए थे। परमेश्वर कि सच्चाई को सुनने के बाद उसको अस्वीकार कर देना ही बहुत खतरनाक बात है। हर एक ह्रदय परमेश्वर के लिए जीने के लिए बनाया गया था, जब कोई अपनी हदों को पार करता जाता है, उसका ह्रदय कठोर होता जाता है। उसकी अद्भुद करुणा में, परमेश्वर पीछे लगा रहता है, लेकिन एक समय आता है जब वह उस व्यक्ति को उसकी अपनी मर्ज़ी करने के लिए छोड़ देता है। वह उन्हें अपने ह्रदयों को कठोर बनने के लिए छोड़ देता है, और फिर यह स्थाई हो जाता है। इस्राएल के कई धार्मिक अगुवों के ह्रदय पत्थर के थे, और बहुत से अभी होने जा रहे थे। वे यीशु को केवल नफ़रत कि नज़र से देखते थे, और उनके विचार उसके लिए केवल उसे नष्ट करने के लिए होते थे।
उस अंधे व्यक्ति कि चंगाई और यीशु के प्रति साहस दिखाना, इस बात को स्पष्ट करता है कि जो यीशु के पीछे चलेंगे वे भी सताय जाएंगे। यीशु ने एक दृष्टान्त के द्वारा उन्हें समझाया। मैं आपको इस कहानी के विषय में पहले से बता देती हूँ ताकि आप और अच्छे से समझ सकें। इस दृष्टान्त में बहुत से चिन्हों का प्रयोग किया गया है। यीशु ना केवल एक द्वार है, वह एक अच्छा चरवाहा भी है जो एक द्वार से निकल कर आता है।
चोर वे होते हैं जो परमेश्वर को महिमा देने का और उसका वचन का प्रचार करने का ढोंग करते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि वे झूठ बोलते हैं और धोखा देते हैं। वे धर्म को नहीं चाहते क्यूंकि वह उन्हें परमेश्वर के करीब लेकर आता है, उन्हें धर्म केवल अपने पद और स्वयं कि इज़ज़त के लिए चाहिए, और उसे हासिल करने के लिए वे कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। वे यीशु के समय के फरीसी और शास्त्री जैसे हैं जो झूठी शिक्षाएं देते हैं। भेड़ें वो हैं जो अपने चरवाहा, यीशु, कि आवाज़ को सुनते हैं और उसके पीछे चलते हैं। उनका उदहारण हम पतरस और चेलों में और उस अंधे व्यक्ति में देखते हैं। यीशु ने कहा,
“'मैं तुमसे सत्य कहता हूँ जो भेड़ों के बाड़े में द्वार से प्रवेश न करके बाड़ा फाँद कर दूसरे प्रकार से घुसता है,वह चोर है, लुटेरा है। किन्तु जो दरवाजे से घुसता है, वही भेड़ों का चरवाहा है। द्वारपाल उसके लिए द्वार खोलता है। और भेड़ें उसकी आवाज सुनती हैं। वह अपनी भेड़ों को नाम ले लेकर पुकारता है और उन्हें बाड़े से बाहर ले जाता है। जब वह अपनी सब भेड़ों को बाहर निकाल लेता है तो उनके आगे-आगे चलता है। और भेड़ें उसके पीछे-पीछे चलती हैं क्योंकि वे उसकी आवाज पहचानती हैं। भेड़ें किसी अनजान का अनुसरण कभी नहीं करतीं। वे तो उससे दूर भागती हैं। क्योंकि वे उस अनजान की आवाज नहीं पहचानतीं।'”
--यूहन्ना १०:१-५
जब आपने इस पद को पढ़ा तब आपने क्या समझा? इस कहानी को समझने का एक तरीका है कि अपने आप को उसमें डाल दें। कल्पना कीजिये यदि आप इस दृष्टांत का हिस्सा होते। आप एक भेड़ हैं, और एक विशेष द्वार है जिसमें आप अंदर बाहर कर सकते हैं जब आपके साथ के अन्य भेड़ें आपका घेरा छोड़ देते हैं। आपके पास एक बहुत ही अच्छा चरवाहा है जो आपसे प्रेम करता है। आप भी उससे प्रेम करते हैं। जब भी आपके पास आता है, वह उस सच्चाई के द्वार से आता है। जब वह आपके नाम को पुकारता है, आप सुरक्षित और संरक्षित महसूस करते हैं, और आप अपनी देख भाल के लिए निश्चिन्त रहते हैं। और वह जहां भी जाये आप उसके पीछे जाने के लिए तैयार हैं। और ऐसा कोई नहीं है, जिसके पीछे आप और आपके साथी जाना चाहेंगे। किसी और कि आवाज़ अजनबी और खतरनाक लगती है, और यह अच्छा है। वे चोर और लुटेरे हैं जो भेड़ों के समुदाय से प्रेम नहीं करते हैं! वे वहाँ अपने लिए कुछ चुराने के लिए ही हैं!
यीशु कह रहे थे कि वे जो वास्तव में परमेश्वर पिता से प्रेम करते हैं वे ही उसके सन्देश को पसंद करेंगे जो यीशु लेकर आया है। वे उसके पीछे उसी तरह चलना पसंद करेंगे जिस तरह एक भेड़ अपने चरवाहे के पीछे चलती हैं। इस्राएल के लोग जो यीशु के पीछे नहीं चलते थे वे यह दिखा रहे थे कि वे परमेश्वर के कभी थे ही नहीं!
इस पर यीशु ने उनसे फिर कहा,
“'मैं तुम्हें सत्य बताता हूँ, भेड़ों के लिये द्वार मैं हूँ।'"
यह शायद बहुत ही साधारण बात लगती होगी कहने में, लेकिन यह बहुत बड़ी है। यीशु ना केवल एक चरवाहा बनने का दावा कर रहा था जो दो हज़ार साल पहले अपने बच्चों के समूह कि रक्षा करने के लिए आया था। वह हर समय के लिए सत्य का द्वार बनने का दावा कर रहा था। दुनिया की सृष्टि से पहले, और मानवजाति के इतिहास में भी, इस्राएल देश के बनने में और परमेश्वर के वचन को लिखे जाने में, यीशु ही वह सच्चाई का द्वार था जो इस दुनिया में आया!
सर्वत्र काल में, ऐसे लोग थे जिन्होंने सच्चाई को नहीं अपनाया। सच्चाई को और स्पष्ट करने के बजाय, वे उसे अपने अधिकार और उद्देश्य के लिए उपयोग करते रहे।
इस पर यीशु ने उनसे फिर कहा,
“'मैं तुम्हें सत्य बताता हूँ, भेड़ों के लिये द्वार मैं हूँ। वे सब जो मुझसे पहले आये थे, चोर और लुटेरे हैं। किन्तु भेड़ों ने उनकी नहीं सुनी। मैं द्वार हूँ। यदि कोई मुझमें से होकर प्रवेश करता है तो उसकी रक्षा होगी वह भीतर आयेगा और बाहर जा सकेगा और उसे चरागाह मिलेगी। चोर केवल चोरी, हत्या और विनाश के लिये ही आता है। किन्तु मैं इसलिये आया हूँ कि लोग भरपूर जीवन पा सकें।'" --यूहन्ना १०:७-१०
अब यह मान के चलिए कि आप एक भेड़ हैं। अच्छे चरवाहा के इस पृथ्वी पर आने से पहले, भेड़ो के झुण्ड को पकड़ने के लिए चोर और लुटेरे आते थे। वे सच्चाई के द्वार से निकल कर नहीं आते थे, वे द्वार के धार्मिक सीमाओं को चढ़ कर किनारों से चोरी चुप्पे आते थे। वे आपकी देख भाल के लिए नहीं आते थे बल्कि आपकी नुक्सान और धोखा देने के लिए आते थे। एक भेड़ होते हुए, क्या आप ऐसे धोखा देने वाले चोरों कि सुनेंगे जो झुण्ड को नष्ट करना चाहते हैं? या आप निश्चित तौर पर उस सच्चाई के द्वार से अंदर बाहर जाएंगे?